शब्द 'संस्कार' और' संस्कृत' प्रायः परस्पर सबंधित माने जाते हैं, किन्तु शास्त्रीय भाषा में ऐसा नहीं है.
किसी भी शब्द के आदि में 'सं' लगा होने का अर्थ होता है कि करता और कर्म साथ-साथ चलित हैं. संस्कार और संस्कृत ऐसे ही शब्द हैं जो लैटिन भाषा के क्रमशः scar और scrut शब्दों से बनाए गए हैं. इनमें से प्रथम का अर्थ 'दाग' तथा दूसरे का अर्थ 'परीक्षा' है. इस प्रकार शास्त्रों में 'संस्कार' शब्द का अर्थ 'दाग-सहित' और 'संस्कृत' का अर्थ 'परीक्षित होना' है. शास्त्रों में उपस्थित शब्द 'संस्कृत' का आधुनिक भाषा 'संस्कृत' से कोई सम्बन्ध नहीं है. वस्तुतः उस समय संस्कृत नामक कोई भाषा थी ही नहीं.
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