जन साधारण की मान्यता है कि आदर्शवादिता और व्यावहारिकता में ध्रुवीय अंतराल होता है और दोनों का समन्वय संभव नहीं हो सकता. महामानवीय दृष्टिकोण इससे भिन्न है जिसके अनुसार आदर्शवादिता व्यावहारिकता की कोटि का मानदंड होता है. जिसका तात्पर्य यह है कि व्यक्ति का लक्ष्य आदर्श के निकटतम पहुँचने का प्रयास करना चाहिए, यह निकटता ही उसकी सफलता होती है.
प्रत्येक व्यक्ति का प्रत्येक कर्म हेतु एक आदर्श होना चाहिए, और उसे इसके लिए प्रयास करने चाहिए. यद्यपि व्यक्ति की परिस्थितियां प्रायः इसमें बाधक होती हैं, तथापि उसका प्रयास होना चाहिए कि वह परिस्थितियों पर विजय पाए और आदर्श स्थिति की प्राप्ति करे. इस प्रयास में उसे यह भी ध्यान रखना होता है कि परिस्थितियां उसके नियंत्रण में नहीं होतीं, क्योंकि इनका निर्माण पूर्वकाल में होता है, और ये पूरे सामाजिक परिपेक्ष्य पर निर्भर करती हैं. व्यक्ति का न तो पूर्व कालपर कोई नियंत्रण होता है और ना ही सामाजिक परिपेक्ष्य पर. इस कारण से व्यक्ति यदि अपने आदर्श की प्राप्ति नहीं कर पाता है, तो उसे इससे हतोत्साहित नहीं होना चाहिए क्योंकि इसमें उसका कोई दोष नहीं होता.
आदर्श और व्यवहार में परिस्तितिवश अंतर बने रहने का अर्थ यह कदापि नहीं होता कि व्यक्ति इस अंतराल को अपना भाग्य स्वीकार कर ले और इसे मिटने के कोई प्रयास ही न करे, जैसा कि प्रायः साधारण मनुष्य करते हैं. इसी कारण से जन-साधारण के कोई आदर्श ही नहीं होते क्योंकि इसे वे अप्राप्य मानकर इसकी ओर ध्यान ही नहीं देते. यह साधारण और असाधारण मनुष्यों में स्पष्ट अंतराल होता है.
इस कारण से प्रत्येक असाधारण व्यक्ति का सदैव एक लक्ष्य होता है जो उसके उस विषयक आदर्श से उत्प्रेरित होता है. उसका प्रयास लक्ष्य की प्राप्ति होता है, चाहे वह जन साधारण की दृष्टि में कितना भी अव्यवहारिक प्रतीत न हो. उसकी दृष्टि सदैव उसी लक्ष्य पर स्थिर होती है.
परिस्थितिवश किसी आदर्श स्थिति के अप्राप्य होने अर्थ यह कदापि नहीं है कि आदर्श निरर्थक है. इसका अर्थ यह है कि परिस्थितियां विकृत हो गयीं हैं जिनके संशोधन प्रयासों की आवश्यकाता है. अतः असाधारण व्यक्ति अपने आदर्श प्राप्ति के प्रयासों के साथ-साथ परिस्थितियों के संशोधन के बी प्रयास करता है. यही उसकी असधारानता अथवा महामानवता होती है.
सुन्दर विशलेषण
जवाब देंहटाएंaap bahut achcha likhte hain..........
जवाब देंहटाएंmujhe ek script chahiye thi,
जवाब देंहटाएंshiksha pranali mein aa rahe badlav par,
please send it to my email-id mayankpgupta@gmail.com
jaldi se jaldi school mein chahiye