गुरुवार, 13 मई 2010

मानव अधिकार आयोग की पुलिस पर निर्भरता

लगभग २ वर्ष पूर्व एक नव-विवाहित युगल रात्रि में मेरे गाँव से होकर कहीं जा रहा था. रास्ते में वे एक विद्युत् वोल्टेज युक्त तार में उलझ गए और दोनों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी. वह तार लगभग ८ दिन से टूटा पडा था और सम्बंधित विद्युत् कर्मियों ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया था. अतः मृत्यु विद्युत् कर्मियों की लापरवाही से हुई जिसके लिए उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए था.




युगल की पूर्व कथा कुछ इस प्रकार है. युवक तथा युवती परस्पर सम्बंधित थे और एक दूसरे से प्रेम करते थे.  युवती के परिवार ने इसका विरोध किया था और इसके लिए युवक की कुछ पिटाई भी की थी. इस पर भी वे नहीं माने तथा उन्होंने विवाह कर लिया. दुर्घटना की रात्रि युवक युवती को उसके घर से लेकर भाग रहा था. मृत्यु स्थल पर उनके शवों को देखने से स्पष्ट था कि विद्युत् तार में पहले युवती फंसी थी, जिसपर युवक ने उसे तार से छुडाने का प्रयास किया जिसमें वह भी मारा गया. उसके मृत चेहरे के भावों से स्पष्ट था कि युवक ने अंतिम दम तक संघर्ष किया था.


पुलिस ने स्थल पर आकर पंचनामा भरा जिसमें स्पष्ट लिखा गया कि मृत्यु जीवित विद्युत् तार में उलझकर विद्युत् की उपस्थिति से हुई. युवक के पास से कुछ कागजात भी पाए गए जिनमें उप जिलाधिकारी के नाम युवती की ओर से एक पत्र भी था जिसमें उसने अपनी माँ के दुश्चरित्र होने का आरोप लगाया था और उसके साथ दुर्व्यवहार की शिकायत की थी.

उनके शवों का पोस्ट मार्टम कराया गया जिसमें दोनों के शवों पर विद्युत् से जले जाने के चिन्ह पाए गए थे. युवक के सिर पर भी चोट का चिन्ह था किन्तु युवती के शरीर पर कोई चोट आदि का चिन्ह नहीं था. पोस्ट मार्टम की औपचारिकता के बाद केस को ठन्डे बसते में दाल दिया गया, अर्थात मृत्यु के दोषियों के विरुद्ध पुलिस स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी.

दुर्घटना के लगभग एक माह तक कोई कार्यवाही न होने पर मैं स्थानीय पुलिस थाना प्रभारी से मिला और पूरी घटना के बारे में कार्यवाही की मांग की. उसने मुझे सियाना तहसील दिवस में उप जिलाधिकारी के समक्ष शिकायत करने का परामर्श दिया ताकि उसे दिशा निर्देश मिलें और वह कार्यवाही करे. मैंने उप जिलाधिकारी के समक्ष शिकायत कर दी. इस पर पुलिस तथा विद्युत् अधिकारियों ने दवाब बनाकर युवक के पिता से युवती के माता-पिता के विरुद्ध हत्या की शिकायत करा दी. पुलिस ने तुरंत युवती के माता, पिता और एक मित्र को हत्या के अपराध में बंदी बना लिया और कारागार भेज दिया. उनपर हत्या का मुकदमा चलाया जा रहा है.
Electrocution of America: Is Your Utility Company Out to Kill You?

युवक के पास से युवती के उक्त पत्र से स्पष्ट है कि यदि युवती के माता-पिता उनकी हत्या करते तो वे उस पत्र को उनके पास कदापि नहीं छोड़ते. जब कि पुलिस का आरोप है कि युगल की हत्या के बाद उनके शवों को वहां विद्युत् तार में उलझाया गया. युवक के अंतिम दम तक संघर्ष करना भी इसे झूठ सिद्ध करता है.

इससे क्षुब्ध होकर मैंने इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में की, जिसने उसी पुलिस को रिपोर्ट देने के आदेश दिए जिस ने निर्दोषों के विरुद्ध हत्या का आरोप लगाया है. पुलिस ने आयोग के पत्र के लगभग ६ माह बाद, जब मामला ठंडा पड़ गया, आयोग को अपनी कार्यवाही को उचित बताते हुए मामले के न्यायालय के अधीन होने की सूचना दे दी. इस पर मानवाधिकार आयोग ने मेरी शिकायत निरस्त कर दी.

2 टिप्‍पणियां:

  1. सीमा को पहले ३ साल से प्रेम घर में बंदक बनाकर रख रहा है और उसे ६ दिन तक खाना बी नही दिया १ बार तो सीमा घर से किसी तरह भागी और जिला कलेक्टर के पास अपनी आप बीती सुना इ और चोट के निसान दिखये तो कलेक्टर साहब ने उसे बाल विकास अदिकारी के पास बेजा, बाल विकास अदिकारी ने उसे १०० रू दिए और बोला तुम रात कही गुजरो और सुभा १०:३० पर आजा ना तुम को नारी निकेतन बेज देगे और तुमहरे पति के खिला कार वाही करेगे सीमा वहा से निकली ही थी और पोलिस ने उसे पकड़ा और उसे ठाणे ले गये बिना लेडिज पोलिस के उसे रात भर ठाणे मे रख और सुभ उसे फिर उसके पति के हवाले कर दिया सीमा कहती रही की मुझे इस के साथ ना बेजो कलेक्टर साहब के पेस करदो लेकिन पोलिस ने उसकी नही सुनी और उसके पति के साथ जाने के लिए मजबूर किया तब से प्रेम के होसले और बुलंद हो गये और वो सीमा को और जादा परेसान करने लगा है और सीमा को नजर बंद रहता है कही बी आने जाने नही देता है प्रेम १ नसेडी है और सीमा की मदद करने वाला कोई नही है वो इतनी मजबूर है की २ बार तो आत्म हत्या करने की कोसिस कर चुकी है

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  2. यह गटना राजस्थान के जिला हनुमानगढ़ तसिल संगरिया के गाव हरिपुरा की है

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