- ग्राम-स्तर : कृषि, कुटीर उद्योग,
- विकास खंड-स्तर : सामाजिक वानिकी, कृषि विकास,
- क़स्बा-स्तर : उपभोक्ता-वस्तु व्यापार, कलाएँ एवं हस्तकलाएँ, सड़क परिवहन आगार,
- जनपद स्तर : सार्वजनिक सम्पदा विकास एवं संरक्षण,
- नगर : औद्योगिक इकाइयां एवं व्यापार,
- प्रांत-स्तर : औद्योगिक विकास, सड़क परिवहन,
- महानगर-स्तर : पर्यटन, विदेश व्यापार, चलचित्र, उद्योग एवं व्यवसाय कार्यालय, वायु परिवहन आगार
- राष्ट्र-स्तर : सम्यक विकास, वायु परिवहन, रेल परिवहन. .
बौद्धिक जनतंत्र व्यवस्था के लिए समस्त आर्थिक गतिविधियों को पांच विशिष्ट वर्गों में रखता है -
- कृषि एवं पशुपालन,
- विकासीय ढांचा,
- खनिज एवं प्रसाधन उद्योग,
- अन्य उद्योग,
- कुटीर उद्योग
- भारत का विकास स्थानीय संसाधनों एवं प्रयासों पर ही आधारित होगा. विदेशी सहयोग केवल उन क्षेत्रों में ही अनुमत होगा जिन में स्थानीय संसाधनों का अभाव है.
- विदेशी उद्योगों को स्थानीय उद्योगों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं करने दी जायेगी और वे वही उत्पादन कर सकेंगे जिनका वे निर्यात कर सकें.
- भारत को विदेशी उद्योगों का बाज़ार नहीं बनाने दिया जायेगा एवं अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय उत्पादन से की जायेगी. इसके लिए आयात केवल नयी प्रोद्योगिकी, उत्पादक मशीनरी तक ही सीमित किया जायेगा.
- स्थानीय उत्पादन प्राथमिक रूप में स्थानीय आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए होगा. मांग तथा उत्पादन में ऐसा संतुलन रखा जायेगा किन अधिक प्रतिस्पर्द्धा हो और किसी वस्तु का अभाव. निर्यात प्राथमिकता से बाहर होगा.
- औद्योगिक सिद्धांत 'जो आज उपलब्ध है उसी को पर्याप्त समझना है' होगा. कल की अभिलाषाएं औद्योगिक विकास से संतुष्ट की जायेंगी.
- एक राष्ट्रीय आयोग भारत के व्यवसायियों और राज्नाताओं के विदेशी संपर्कों पर निगरानी रखेगा और इनको नियमित करेगा.
- राष्ट्रीय गुणवत्ता आयोग देश के उत्पादन की गुणवत्ता निर्धारित एवं नियमित करेगा और किसी को भी घटिया उत्पादन की अनुमति नहीं होगी.
- यद्यपि देश के अंतर्गत सभी व्यापार नियंत्रण और कर मुक्त होंगे किन्तु इसमें मध्यस्थों की भूमिका न्यूनतम राखी जायेगी ताकि उत्पादन लागत एवं उपभोलता मूल्यों में न्यूनतन अंतर हो.
अच्छी जानकारी .. धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंvery good article
जवाब देंहटाएंDr. Anil Agrawal
PHC UNCHAGAON