शास्त्रों में 'पर्व' सब्द के दो भाव संभव हैं, क्योंकि यह शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों पर्विस तथा पर्वुस से उद्भूत किया गया है जिनके अर्थ
क्रमशः 'आँगन' तथा 'छोटा' हैं. आधुनिक संस्कृत में 'पर्व' का अर्थ 'त्यौहार' है जो शब्द के मौलिक आशयों से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, इसलिए इस आधार पर किये गए शास्त्रीय अनुवाद विकृत होते हैं.
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