शुक्रवार, 19 मार्च 2010

शिक्षा व्यवस्था

बौद्धिक जनतंत्र में अकादमी शिक्षा के पांच स्तर निर्धारित किये गए हैं -

  1. प्राथमिक शिक्षा - ५ वर्ष,
  2. आधारिक शिक्षा - ४ वर्ष, 
  3. माध्यमिक शिक्षा - ३ वर्ष, 
  4. स्नातक शिक्षा - ३ वर्ष,
  5. स्नातकोत्तर शिक्षा - ३ वर्ष

इनमें से माध्यम के तीन वर्गों के पश्चात तकनीकी एवं व्यावसायिक  प्रशिक्षा के प्रावधान हैं, जिनको निम्नांकित चार्ट में दर्शाया गया है -
उपरोक्त चार्ट में प्रशिक्षा क्षेत्र में वर्त्तमान की तुलना में कुछ परिवर्तन दर्शाया गया है, जो इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा आदि व्यावसायिक प्रशिक्षाओं के बारे में हैं, वर्तमान में ये प्रशिक्षएं माध्यमिक शिक्षा के पश्चात् दी हा रही हैं और ४/५ वर्ष की हैं. इनमें परिवर्तन करके ये प्रशिक्षएं स्नातकोत्तर होंगी और ३ वर्ष की अवधि की होंगी. 

उक्त विविद शिक्षा एवं प्रशिक्षा क्षेत्रों में देश की आवश्यकतानुसार संस्थानों की स्थापना एवं उनका विकास किया जायेगा ताकि मानव संसाधन का किसी भी क्षेत्र में न तो बहुलता हो और न ही अभाव. स्पर्द्धा को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से कठोर नियोजन एवं अनुपालन द्वारा विलुप्त कर दिया जायेगा ताकि नागरिकों के जीवन तनाव-मुक्त बन सकें. वर्त्तमान में, मानव संसाधन नियोजन का नितांत अभाव है जिससे अभावों और प्रतिस्पर्द्धाओं का संवर्धन हुआ है और अधिकाँश नागरिक तनावग्रस्त हैं.  .

जैसा कि इस संलेख में बार बार कहा जा चुका है, देश में सभी शिक्षा एवं प्रशिक्षाएं निःशुल्क होंगी तथा इन्हें प्राप्त करने के अवसर सभी नागरिकों को एक समान रूप से उपलब्ध होंगे. इस उद्देश्य से देश भर में फैले निजी शिक्षा, प्रशिक्षा संसथान बंद कर दिए जायेंगे ताकि शिक्षा के क्षेत्र में धनाढ्यता के आधार पर अंतराल न हो जैसा कि अभी हो रहा है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

केवल प्रासंगिक टिप्पणी करें, यही आपका बौद्धिक प्रतिबिंब होंगी