प्रत्येक प्राणी के लिए स्वास्थ सर्वोपरि होता है और यह स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए भी एक अनिवार्यता है. चूंकि बौद्धिक जनतंत्र स्वस्थ समाज के लिए लक्ष्यित है, इसलिए इसमें नागरिकों के स्वास्थ को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है. नागरिकों का स्वास्थ राष्ट्र की सर्वोत्तम संपदा होती है इसका दायित्व भी राष्ट्र का ही होना चाहिए. इस मत के अनुसार बौद्धिक जनतंत्र में समस्त राष्ट्र में सभी नागरिकों के लिए सभी प्रकार की स्वास्थ परामर्श एवं सेवाएं सार्वजनिक क्षेत्र में निःशुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है.साथ ही चिकित्सा सेवाएँ निजी क्षेत्र में रहेंगी और नागरिकों को उनका भुगतान करना होगा ताकि नागरिकों में स्वस्थ बने रहने के लिए निरंतर जागरूकता बनी रहे.
स्वास्थ के लिए रोगों की चिकित्सा से अधिक उनकी रोकथाम करना अधिक महत्वपूर्ण होता है, जिसके लिए निम्नांकित उपाय निर्दिष्ट हैं -
स्वच्छता एवं शुद्धता : स्वास्थ के लिए स्वच्छता अनिवार्य है इसलिए शासन एवं प्रशासन ग्राम स्तर तक सार्वजनिक स्थलों एवं मार्गों की सफाई के लिए उत्तरदायी होंगे एवं इसकी व्यवस्था संचालित करेंगे..खाद्य सामग्रियों में मिलावट रोकने के लिए यह राष्ट्रद्रोह माना जाएगा जिसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान है.साथ ही समस्त देश में उत्पादित सभी वस्तुओं की गुणवत्ता का नियमन सरकारी क्षेत्र के गुणवत्ता एवं मूल्य निर्धारण आयोग द्वारा किया जायेगा जिसके अंतर्गत प्रत्येक वस्तु के लिए केवल तीन गुणवत्तावर्ग निर्धारित होंगे ताकि देश में किसी घटिया वस्तु का उत्पादन ही न हो. बौद्धिक जनतंत्र में घटिया वस्तु का उत्पादन राष्ट्र के संसाधनों का दुरूपयोग मन गया है.
मादक द्रव्य वर्जित : राष्ट्र में कहीं भी किसी भी मादक द्रव्य का उत्पादन अथवा वितरण अवैध घोषित होगा जिनमें तम्बाकू, मदिरा, अफीम, गांजा, भांग आदि सम्मिलित हैं. इस प्रावधान का उल्लंघन राष्ट्र-द्रोह होगा जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाएगा. औषधि के रूप में भी केवल फलों के रसों के किण्वन से उत्पादित मदिराएं अनुमत होंगी जिनपर अन्य औषधियों की भांति ही कोई कर लागू नहीं किया जाएगा.
खाद्योत्पादन : मनुष्यों के स्वास्थ में फलों का बहुत महत्व होता है इस दृष्टि से देश में फलों के उत्पादन के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जायेंगे ताकि उचित मूल्य पर फल सभी को उपलब्ध हो सकें. इसके अतिरिक्त गन्ने के उत्पादन को निरुत्साहित किया जाएगा, क्योंकि इससे उत्पादित शक्कर मनुष्य के शरीर में मोटापा, मधुमेह, आदि अनेक रोगों को जन्म देती है. दलहन तथा तिलहनों का उत्पादन संवर्धित किया जाएगा जिससे नागरिकों को प्रोटीन तथा प्राकृत वसायुक्त खाद्य उपलब्ध हो सकें. उदाहरण के लिए, जई एक ऐसा खाद्यान्न है जो मनुष्यों के लिए बहुत महत्व रखता है किन्तु भारत में अभी तक इसे लोकप्रिय नहीं बनाया गया है तथा इसे केवल पशुओं को खिलाया जाता है. बौद्धिक जनतंत्र ऐसे खाद्यान्नों पर शोध करा इनके उत्पादन एवं संधानन को प्रोत्साहित करेगा.
परिवार नियोजन : स्वस्थ समाज के लिए सीमित परिवार आवश्यक होता है जिससे कि स्त्रियों पर मातृत्व का अनुचित भार ना पड़े तथा वे परिवार के स्वास्थ पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें. परिवार नियोजन नीति का उल्लंघन दंडनीय है, साथ ही नियोजन के सभी सेवाएं सार्वजनिक क्षेत्र में निःशुल्क उपलब्ध होंगी.
चिकित्सा बीमा : रोगों की चिकित्सा के लिए नागरिक अपना बीमा करा सकेंगे ताकि दुर्घटना आदि कि अवस्था में चिकित्सा व्यय का वहन बीमा करने वाला प्रतिष्ठान कर सके. ये प्रतिष्ठान भी निजी क्षेत्र में होंगे क्योंकि सरकार किसी व्यावसायिक गतिविधि में लिप्त नहीं होगी.
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