रोगों की रोकथाम उनकी चिकित्सा की तुलना में सस्ती और अति लाभकर सिद्ध होती है. इसलिए बौद्धिक जनतंत्र में रोगों की रोक्थाम्म पर विशेष बल है. इसके निम्नांकित उपाय प्रस्तावित हैं -
नशीले द्रव्यों पर पूर्ण प्रतिबन्ध
लोगों में मानसिक रोगों की उत्पत्ति में नशीले द्रव्यों जैसे तम्बाकू, शराब, अफीम, गांजा, भांग आदि का प्रमुख योगदान होता है. इनके उपयोग से व्यक्तिगत और सामाजिक अर्थव्यवस्था दुष्प्रभावित होती है जिससे रोगों की समुचित चिकित्सा भी संभव नहीं हो पाती. इसलिए बौद्धिक जनतंत्र इस प्रकार के सभी द्रव्यों के उत्पादन एवं वितरण पर पूर्ण प्रतिबन्ध की व्यवस्था है. स्त्रियों पर अत्याचार भी इसी प्रकार के द्रयों के सेवन के कारण होते हैं. इसका उल्लंघन देशद्रोह माना जायेगा जिसके लिए मृत्यु दंड का प्रावधान है.
कुछ लोगों के लिए स्वास्थ कारणों से इनके सेवन को आवश्यक माना जाता हैं किन्तु बौद्धिक जनतंत्र ऐसे लोगों को रियायत देकर पूरे समाज को दूषित होने का खतरा नहीं उठता और ऐसे लोगों को भी इसकी अनुमति नहीं दी जायेगी.
सामाजिक वानिकी एवं पर्यावरण संरक्षण
देश भर में भूमि तल पर स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण के लिए बौद्धिक जनतंत्र सभी नदी-नालों, सड़को, रेल पटरियों के किनारों पर वृक्ष उगाने के लिए कृत-संकल्प है. इससे देश की अर्थ व्यवस्था पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा. इसके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति के लिए न्यूनतम एक वृक्ष लगाये जाने का लक्ष्य है.
इससे भीषण गर्मी और शीत का शमन होगा जो अधिकाँश रोगों के कारण होते हैं. इस योजना के क्रियान्वयन में वनस्पति के चुनाव पर विशेष ध्यान दिया जायेगा क्योंकि देश के शत्रु इस भूमि पर अनेक हानिकर पेड़-पौधे उगाते रहे हैं जो बिना किसी शोध के आज भी प्रचलित हैं. एक सामान्य नियम यह है कि भारत की जलवायु के अनुकूल वे वृक्ष हैं जिनकी पत्तियां चिकनी तथा पतली होती हैं.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए औद्योगिक प्रदूषक द्रव्यों को उनके उद्गम पर ही उपचारित किया जाएगा और उनका नदी नालों में डालना पूर्ण प्रतिबंधित होगा.
परिवार नियोजन
स्त्री जाति के स्वास्थ पर उनके ऊपर बारम्बार मातृत्व का भार एक बड़ा कारण होता है. इसी से बच्चों का स्वास्थ भी दुष्प्रभावित होता है. देश में सीमित जनसँख्या का ही उपयोग एवं पोषण किया जा सकता है, इसलिए भी जनसँख्या का नियंत्रण अनिवार्य है. वर्तमान में जनतांत्रिक प्रावधानों के अंतर्गत राजनैतिक सत्ता हथियाने के उद्येश्य से अनेक जातियां और वर्ग अपनी जनसंख्याओं में अप्रत्याशित वृद्धि कर रहे हैं. इसलिए बौद्धिक जनतंत्र में तीन से अधिक बच्चे उत्पन्न करने वाले युगलों को सदैव के लिए मताधिकार से वंचित कर दिया जायेगा, और चौथे, पांचवे, आदि बच्चों के मताधिकार की न्यूनतम आयु सामान्य मताधिकार आयु २५ वर्ष के स्थान पर क्रमशः ३०, ३५, आदि वर्ष निर्धारित होगी. यह प्रावधान सभी पर लागू होगा और जाति, धर्म,क्षेत्र आदि का कोई इचार नहीं किया जाएगा.
भोजन और पोषण
भारत में शक्कर और सब्जियों के उत्पादन और खपत पर विशेष शोधों की आवश्यकता है क्योंकि अधिकाँश रोग इन्ही के माध्यम से पनप रहे हैं. शीरा युक्त शक्कर जैसे गुड, आदि शरीर में बड़ी शीघ्रता से सड़ने लगते हैं और रोग उत्पन्न करने लगते हैं. वैसे भी मनुष्य को शुद्द शक्कर खाने की कोई आवश्यकता नहीं होती क्योंकि इसकी पर्याप्त मात्रा फलों और अन्नों से प्राकृत रूप में उपलब्ध हो जाती है.
अनेक सब्जियां जैसे लौकी, तोरई आदि पोषण विहीन होती हैं जिनका भारत में बहुत प्रचलन है. इनकी खपत से लोगों को दालों के प्रति रुझान कम होता है जो संतुलित पोषण के लिए अनिवार्य होती हैं. नाईटशेड परिवार की अनेक सब्जियां जैसे आलू, बैंगन, टमाटर, आदि पर शोध किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि इनके गुण धर्म मानावानुकूल होने की संभावना अल्प है.
देश में फलों की खपत विश्व की तुलना में बहुत कम है जिससे भी स्वास्थ दुष्प्रभावित होता है. इसलिए बौद्धिक जनतंत्र देश में फलों के उत्पादन और खपत को प्रोत्साहित करेगा.
स्वच्छता
स्वच्छता स्वास्थ का पर्याय होती है जबकि के जनजीवन में अनेक प्रकार की गंदगियाँ और गंदे व्यवहार व्याप्त हैं. मेले आदि पर नदी स्नान छूट की बीमारियों के प्रसार का प्रमुख कारण है जो इस देश की संस्कृति में समाहित है. छोटे-छोटे घरों में पशुपालन के कारण पशुओं के मॉल मूत्र घर में रहने वाले पुरुषों, बच्चों और स्त्रियों में अनेक प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं.
बंद स्थान में स्नान करना स्वास्थ के लिए अनेक प्रकार से लाभकर होता है - शरीर के गुप्तांगों की सफाई, नदी स्नान की वर्जना, खुले वातावरण के तापमान से रक्षा आदि.
पीने का पानी, जो अभी तक स्वच्छ रूप में देश की बड़ी जनसँख्या को उपलब्ध नहीं कराया गया है, रोगों का प्रमुख जन्मदाता रहा है. अतः प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ जल उपलब्ध कराना बौद्धिक जनतंत्र की प्राथमिकता है.
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सोमवार, 10 मई 2010
रविवार, 10 जनवरी 2010
बौद्धिक जनतंत्र की प्राथमिकताएं एक - स्वास्थ
प्रत्येक प्राणी के लिए स्वास्थ सर्वोपरि होता है और यह स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए भी एक अनिवार्यता है. चूंकि बौद्धिक जनतंत्र स्वस्थ समाज के लिए लक्ष्यित है, इसलिए इसमें नागरिकों के स्वास्थ को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है. नागरिकों का स्वास्थ राष्ट्र की सर्वोत्तम संपदा होती है इसका दायित्व भी राष्ट्र का ही होना चाहिए. इस मत के अनुसार बौद्धिक जनतंत्र में समस्त राष्ट्र में सभी नागरिकों के लिए सभी प्रकार की स्वास्थ परामर्श एवं सेवाएं सार्वजनिक क्षेत्र में निःशुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है.साथ ही चिकित्सा सेवाएँ निजी क्षेत्र में रहेंगी और नागरिकों को उनका भुगतान करना होगा ताकि नागरिकों में स्वस्थ बने रहने के लिए निरंतर जागरूकता बनी रहे.
स्वास्थ के लिए रोगों की चिकित्सा से अधिक उनकी रोकथाम करना अधिक महत्वपूर्ण होता है, जिसके लिए निम्नांकित उपाय निर्दिष्ट हैं -
स्वच्छता एवं शुद्धता : स्वास्थ के लिए स्वच्छता अनिवार्य है इसलिए शासन एवं प्रशासन ग्राम स्तर तक सार्वजनिक स्थलों एवं मार्गों की सफाई के लिए उत्तरदायी होंगे एवं इसकी व्यवस्था संचालित करेंगे..खाद्य सामग्रियों में मिलावट रोकने के लिए यह राष्ट्रद्रोह माना जाएगा जिसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान है.साथ ही समस्त देश में उत्पादित सभी वस्तुओं की गुणवत्ता का नियमन सरकारी क्षेत्र के गुणवत्ता एवं मूल्य निर्धारण आयोग द्वारा किया जायेगा जिसके अंतर्गत प्रत्येक वस्तु के लिए केवल तीन गुणवत्तावर्ग निर्धारित होंगे ताकि देश में किसी घटिया वस्तु का उत्पादन ही न हो. बौद्धिक जनतंत्र में घटिया वस्तु का उत्पादन राष्ट्र के संसाधनों का दुरूपयोग मन गया है.
मादक द्रव्य वर्जित : राष्ट्र में कहीं भी किसी भी मादक द्रव्य का उत्पादन अथवा वितरण अवैध घोषित होगा जिनमें तम्बाकू, मदिरा, अफीम, गांजा, भांग आदि सम्मिलित हैं. इस प्रावधान का उल्लंघन राष्ट्र-द्रोह होगा जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाएगा. औषधि के रूप में भी केवल फलों के रसों के किण्वन से उत्पादित मदिराएं अनुमत होंगी जिनपर अन्य औषधियों की भांति ही कोई कर लागू नहीं किया जाएगा.
खाद्योत्पादन : मनुष्यों के स्वास्थ में फलों का बहुत महत्व होता है इस दृष्टि से देश में फलों के उत्पादन के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जायेंगे ताकि उचित मूल्य पर फल सभी को उपलब्ध हो सकें. इसके अतिरिक्त गन्ने के उत्पादन को निरुत्साहित किया जाएगा, क्योंकि इससे उत्पादित शक्कर मनुष्य के शरीर में मोटापा, मधुमेह, आदि अनेक रोगों को जन्म देती है. दलहन तथा तिलहनों का उत्पादन संवर्धित किया जाएगा जिससे नागरिकों को प्रोटीन तथा प्राकृत वसायुक्त खाद्य उपलब्ध हो सकें. उदाहरण के लिए, जई एक ऐसा खाद्यान्न है जो मनुष्यों के लिए बहुत महत्व रखता है किन्तु भारत में अभी तक इसे लोकप्रिय नहीं बनाया गया है तथा इसे केवल पशुओं को खिलाया जाता है. बौद्धिक जनतंत्र ऐसे खाद्यान्नों पर शोध करा इनके उत्पादन एवं संधानन को प्रोत्साहित करेगा.
परिवार नियोजन : स्वस्थ समाज के लिए सीमित परिवार आवश्यक होता है जिससे कि स्त्रियों पर मातृत्व का अनुचित भार ना पड़े तथा वे परिवार के स्वास्थ पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें. परिवार नियोजन नीति का उल्लंघन दंडनीय है, साथ ही नियोजन के सभी सेवाएं सार्वजनिक क्षेत्र में निःशुल्क उपलब्ध होंगी.
चिकित्सा बीमा : रोगों की चिकित्सा के लिए नागरिक अपना बीमा करा सकेंगे ताकि दुर्घटना आदि कि अवस्था में चिकित्सा व्यय का वहन बीमा करने वाला प्रतिष्ठान कर सके. ये प्रतिष्ठान भी निजी क्षेत्र में होंगे क्योंकि सरकार किसी व्यावसायिक गतिविधि में लिप्त नहीं होगी.
स्वास्थ के लिए रोगों की चिकित्सा से अधिक उनकी रोकथाम करना अधिक महत्वपूर्ण होता है, जिसके लिए निम्नांकित उपाय निर्दिष्ट हैं -
स्वच्छता एवं शुद्धता : स्वास्थ के लिए स्वच्छता अनिवार्य है इसलिए शासन एवं प्रशासन ग्राम स्तर तक सार्वजनिक स्थलों एवं मार्गों की सफाई के लिए उत्तरदायी होंगे एवं इसकी व्यवस्था संचालित करेंगे..खाद्य सामग्रियों में मिलावट रोकने के लिए यह राष्ट्रद्रोह माना जाएगा जिसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान है.साथ ही समस्त देश में उत्पादित सभी वस्तुओं की गुणवत्ता का नियमन सरकारी क्षेत्र के गुणवत्ता एवं मूल्य निर्धारण आयोग द्वारा किया जायेगा जिसके अंतर्गत प्रत्येक वस्तु के लिए केवल तीन गुणवत्तावर्ग निर्धारित होंगे ताकि देश में किसी घटिया वस्तु का उत्पादन ही न हो. बौद्धिक जनतंत्र में घटिया वस्तु का उत्पादन राष्ट्र के संसाधनों का दुरूपयोग मन गया है.
मादक द्रव्य वर्जित : राष्ट्र में कहीं भी किसी भी मादक द्रव्य का उत्पादन अथवा वितरण अवैध घोषित होगा जिनमें तम्बाकू, मदिरा, अफीम, गांजा, भांग आदि सम्मिलित हैं. इस प्रावधान का उल्लंघन राष्ट्र-द्रोह होगा जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाएगा. औषधि के रूप में भी केवल फलों के रसों के किण्वन से उत्पादित मदिराएं अनुमत होंगी जिनपर अन्य औषधियों की भांति ही कोई कर लागू नहीं किया जाएगा.
खाद्योत्पादन : मनुष्यों के स्वास्थ में फलों का बहुत महत्व होता है इस दृष्टि से देश में फलों के उत्पादन के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जायेंगे ताकि उचित मूल्य पर फल सभी को उपलब्ध हो सकें. इसके अतिरिक्त गन्ने के उत्पादन को निरुत्साहित किया जाएगा, क्योंकि इससे उत्पादित शक्कर मनुष्य के शरीर में मोटापा, मधुमेह, आदि अनेक रोगों को जन्म देती है. दलहन तथा तिलहनों का उत्पादन संवर्धित किया जाएगा जिससे नागरिकों को प्रोटीन तथा प्राकृत वसायुक्त खाद्य उपलब्ध हो सकें. उदाहरण के लिए, जई एक ऐसा खाद्यान्न है जो मनुष्यों के लिए बहुत महत्व रखता है किन्तु भारत में अभी तक इसे लोकप्रिय नहीं बनाया गया है तथा इसे केवल पशुओं को खिलाया जाता है. बौद्धिक जनतंत्र ऐसे खाद्यान्नों पर शोध करा इनके उत्पादन एवं संधानन को प्रोत्साहित करेगा.
परिवार नियोजन : स्वस्थ समाज के लिए सीमित परिवार आवश्यक होता है जिससे कि स्त्रियों पर मातृत्व का अनुचित भार ना पड़े तथा वे परिवार के स्वास्थ पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें. परिवार नियोजन नीति का उल्लंघन दंडनीय है, साथ ही नियोजन के सभी सेवाएं सार्वजनिक क्षेत्र में निःशुल्क उपलब्ध होंगी.
चिकित्सा बीमा : रोगों की चिकित्सा के लिए नागरिक अपना बीमा करा सकेंगे ताकि दुर्घटना आदि कि अवस्था में चिकित्सा व्यय का वहन बीमा करने वाला प्रतिष्ठान कर सके. ये प्रतिष्ठान भी निजी क्षेत्र में होंगे क्योंकि सरकार किसी व्यावसायिक गतिविधि में लिप्त नहीं होगी.
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