आमरण भूख हड़ताल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
आमरण भूख हड़ताल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 24 मार्च 2011

आमरण भूख हड़ताल के तीन दिन पूरे, किन्तु प्रशासन असंवेदनशील

प्रेस विज्ञप्ति 

आमरण भूख हड़ताल के तीन दिन पूरे, किन्तु प्रशासन असंवेदनशील 

उत्तर प्रदेश के जनपद गाज़ियाबाद के ग्राम पलवाडा की निवासी हेमलता वहां के प्राथमिक विद्यालय में नियमानुसार नियुक्त शिक्षामित्र है किन्तु विगत तीन वर्षों से वह शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराने से वंचित कर दी गयी है जिसके विरोध में उसने सम्बंधित बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी को उसने पचासों बार लिखित और मौखिक निवेदन किये हैं, किन्तु झूंठे आश्वासनों के अतिरिक्त उसे कुछ प्राप्त नहीं हुआ. हेमलता भूमिहीन. ग्रामीण निर्धन प्रजापति परिवारों की पुत्री तथा वधु है इसलिए उसकी पीड़ा की ओर अधिकारियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया. 

अंततः वह अपने पति, माता, बहिन और सास के साथ २१ मार्च २०११ से जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष आमरण भूख हड़ताल पर बैठ गयी. उसके साथ उसके दो पुत्र भी हैं जिनमें से छोटा उसके दूध पर निर्भर होने के कारण भूख से बिलख रहा है. भूख हड़ताल के दूसरे दिन उसकी माता की स्थिति गंभीर हो गयी और प्रशासन द्वारा उसे कोई चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं कराई गयी. अतः अन्य समर्थकों के आग्रह पर उसे अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर वापिस अपने गाँव पलवाडा जाना पड़ा. शेष चार की भूख हड़ताल आज तीसरे दिन भी जारी रही किन्तु अभी तक भी उन्हें कोई चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई गयी है, जब की हेमलता की सास की दशा दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही है किन्तु वह अपनी हड़ताल पर अडिग है.


प्रशासन की ओर से इन्हें कारावास में डाले जाने की धमकियाँ दी गयी हैं किन्तु इनकी समस्या का कोई हल प्रदान नहीं किया जा रहा है. इनसे कहा जा रहा है इनका मामला १७ मार्च को शिक्षा विभाग के परियोजना निदेशक को भेज दिया गया है जहां से निर्देश आने पर अथवा किसी अन्य अधिकारी द्वारा जांच किये जाने पर  तदनुसार एक माह के अन्दर शिकायत का निपटान कर दिया जाएगा जो हडतालियों द्वारा विश्वास  योग्य नहीं माना जा रहा है जिसके कारण हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही और आगे भी चलती रहेगी. उक्त अविश्वास के लिए हडतालियों के पास पर्याप्त कारण हैं. 

हेमलता को उपस्थिति दर्ज न कराने के लिए उसे कोई लिखित कारण नहीं बताया गया. उसके स्थान पर एक अन्य महिला को शिक्षामित्र नियुक्त किया गया था, जिस नियुक्ति को बाद में अनियमित पाए जाने के कारण निरस्त कर दिया गया. इन निर्णयों में कभी भी परियोजना निदेशक को सम्मिलित नहीं किया जाकर सभी निर्णय बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर पर ही लिए गए थे. इससे सिद्ध होता है कि हेमलता को उपस्थिति दिए जाने के सम्बन्ध में परियोजना निदेशक को सम्मिलित करना एक बहाना मात्र है जो उसके उत्पीडन को जारी रखने के उद्येश्य से बनाया जा रहा है. 

इस प्रकरण के घटनाक्रम के बारे में हेमलता तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मध्य कोई मतभेद नहीं है, इसलिए किसी जांच की कोई आवश्यकता ही नहीं है. उपलब्ध तथ्यों के आधार पर केवल निर्णय लिया जाना है जिसके लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी पूर्णतः सक्षम हैं. तथापि मामले को बेसिक शिक्षा अधिकारी, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी की बदनीयती तथा जिलाधिकारी की लापरवाही के कारण अब भी उसी प्रकार से टलाया जा रहा है जिस प्रकार विगत तीन वर्षों से टलाया जाता रहा है. 

कल आमरण भूख हड़ताल के चौथे दिन हेमलता के न्याय हेतु संघर्ष के समर्थन में मैं रूडकी विश्व विद्यालय का इंजीनियरिंग स्नातक ६२ वर्षीय राम बंसल उसी स्थल पर अपनी आमरण भूख हड़ताल आरम्भ करूंगा ताकि मैं हेमलता परिवार के साथ आत्मोसर्ग करके विश्व को बता सकूं कि तथाकथित जनतांत्रिक भारत का प्रशासन जन-साधारण के न्याय-संगत अधिकारों के प्रति कितना असंवेदनशील है.  

सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

भृष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष

भारतीयों के नाम एक पत्र -

मित्रो, 

आज देश का समस्त जन-गन-मन राजनेताओं और प्रशासकों के भृष्टाचार से तृस्त है. इसके विरुद्ध, अनेक व्यक्ति और संगठन अपने-अपने तरीकों से संघर्ष कर रहे हैं. इसी प्रकार की एक पहल के रूप में,  ८७ वर्षीय और हम सबके पितातुल्य श्री अन्ना हजारे ने ५ अप्रैल २०११ से जंतर मंतर नयी दिल्ली पर आमरण भूख हड़ताल की घोषणा की है. उनकी मांग है की देश में तुरंत ऐसा क़ानून बनाया जाए कि भृष्टाचार का मामला प्रकाश में आने के तीन माह के अन्दर दोषियों को दण्डित किया जाये और उनकी अवैध संपत्ति जब्त कर ली जाए. यह हम सबके लिए लज्जा का विषय है कि हमारे वयोवृद्ध अपने जीवन का बलिदान करें और हम इसका तमाशा देखते रहें. 

कुछ संगठन और आधुनिक नेता इस वयोवृद्ध के जीवन को दांव पर लगाकर अपनी-अपनी नेतागिरी चमकाने में लगे हैं. मैंने उनसे आग्रह किया है कि उनके जीवन को दांव पर लगाने के स्थान पर हम सब बड़ी संख्या में आत्म-बलिदान के लिए प्रस्तुत हों, जिस पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया. अतः मैंने उक्त मांग के साथ स्वयं ५ अप्रैल २०११ से जंतर मंतर नयी दिल्ली पर आमरण भूख हड़ताल का निश्चय किया है जिसकी सूचना राष्ट्रपति महोदय और प्रधान मंत्री महोदय को दे दी है. साथ ही श्री अन्ना हजारे से निवेदन किया है कि वे भूख हड़ताल न करें और स्थल पर आत्म बलिदानियों की प्रेरणा हेतु उपस्थित रहें. 

आप सभी से मेरे निवेदन हैं कि -
  1. स्वयं ५ अप्रैल २०११ से जंतर मंतर, नयी दिल्ली पर मेरे साथ आमरण भूख हड़ताल के लिए प्रस्तुत हों और इसकी अग्रिम सूचना राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री महोदयों को दें. 
  2. जो व्यक्तिगत कारणों से ऐसा नहीं कर सकते, वे उक्त सत्याग्रह के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचें और यथाशक्ति भूख हड़ताल करें और इस जन आन्दोलन के सहयोगी बनें. 
  3. दूर दराज़ के स्त्री-पुरुष जो नयी दिल्ली न पहुँच सकें, अपने-अपने गाँव, कसबे अथवा शहरों में ५ अप्रैल २०११ से यथाशक्ति भूख हड़ताल करें और इसकी अग्रिम सूचना सम्बंधित जिलाधिकारी को दें. 
  4. उपरोक्त जन आन्दोलन के लिए अपने परिवार जनों, मित्रों और परिचितों को प्रेरित करें जो ५ अप्रैल के बाद अपने-अपने घरों पर रहकर ही यथाशक्ति भूख हड़ताल करें.  

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

भारतीय नेतृत्व संकट

 २६ फरवरी २०११ को इंडिया अगेंस्ट करप्शन की एक बैठक में भाग लिया जिसमें भारत सरकार पर भृष्टाचार के विरुद्ध एक प्रभावी क़ानून बनाने के लिए दवाब बनाने हेतु एक सुप्रसिद्ध ८७ वर्षीय श्री अन्ना हजारे की ५ अप्रैल २०११ से आरम्भ होने वाली जंतर मंतर, नयी दिल्ली  पर 'आमरण भूख हड़ताल' के लिए समर्थन जुटाने की व्यवस्था की गयी. इस सन्दर्भ में मेरी पीड़ा.

मैंने बैठक में एक प्रश्न उठाया - एक सम्मानित ८७ वर्षीय व्यक्ति का जीवन दांव पर लगाने के स्थान पर उन्हें सुरक्षित रहने के लिए क्यों नहीं समझाया जा रहा है, और जो युवा व्यक्ति इस आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, वे स्वयं आमरण भूख हड़ताल क्यों नहीं कर रहे हैं?  मुझे तुरंत उत्तर दे दिया गया - अन्ना के जीवन को दांव पर लगाने से तुरंत परिणाम पाने की संभावना है जबकि दूसरों के जीवन दांव पर लगाने से परिणाम पाने में विलम्ब हो सकता है. यह संभव है - की एक अन्ना के जीवन के स्थान पर अनेक लोगों के जीवनों की आवश्यकता हो, अथवा अन्ना की भूख हड़ताल के प्रत्येक दिन के स्थान पर एनी किसी की अनेक दिनों की भूख हड़ताल की आवश्यकता हो. तथापि, मेरी मान्यता है कि वयोवृद्धों की युवाओं द्वारा सेवा की जानी चाहिए न कि युवाओं की स्वार्थ सिद्धि के लिए उनके जीवनों को दांव पर लगाया जाए. बैठक में आन्दोलन के तथाकथित नेताओं द्वारा मुझे चुप कर दिया गया किन्तु मेरी धारणा यही है कि एक वयोवृद्ध जीवन की रक्षा के लिए अनेक युवाओं के जीवन दांव पर लगाया जाना उचित है. अपनी इस धारण के अंतर्गत मैंने अन्ना के स्थान पर अथवा उनके साथ आमरण भूख हड़ताल करने की घोषणा कर दी.   

बहुधा कहा जाता है कि ब्रिटिश भारत में देश के संसाधनों के शोषण के लिए केवल एक 'ईस्ट इंडिया कंपनी' थी किन्तु स्वतंत्र भारत में हमारे जीवनों को अंधकारमय करने के लिए इस प्रकार की हजारों कंपनियां हैं. इससे मेरे मस्तिष्क में एक नवीन समतर्क उभरता है - ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में अपने जीवन-बलिदान द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए केवल एक गाँधी था और बिना कुछ बलिदान किये स्वतन्त्रता के फल को पाने के लिए लालायित भी केवल एक ही नेहरु था. किन्तु भृष्टाचार के विरुद्ध वर्तमान संघर्ष में जीवन-बलिदान कर भृष्टाचार से मुक्ति पाने हेतु गाँधी (अन्ना) तो एक ही रहा, किन्तु बिना कुछ बलिदान किये फल पाने के लालायित दर्ज़न भर नेहरु उपस्थित हैं. भारत का नेतृत्व इसी से प्रदूषित है - शहीद पडौस में तो हों किन्तु अपने घर में न हो.   

मैं इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़ा रहा हूँ और ३० जनवरी २०११ की रामलीला मैदान से जंतर मंतर मार्च में भी उपस्थित था. तब भी भारत के नेतृत्व संकट से मुझे पीड़ा हुई थी. उसमें नेताओं द्वारा जनसाधारण - स्त्री, पुरुष और बच्चों, से नारे लगाते हुए रामलीला मैदान से जंतर मंतर तक जाने के लिए कहा गया था किन्तु नेता स्वयं अन्य मार्गों से होते हुए अपनी कारों द्वारा जंतर मंतर पहुंचे थे. मुझे याद है ५० के दशक के अपने बचपन का समाजवादी आन्दोलन जिसे मैंने देखा ही नहीं ठाट अपने परिवार के साथ भाग लिया था और जेल गया था. तब सभी नेता अग्रणी पंक्तियों में जनसाधारण के साथ उनका वास्तविक नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ते थे. भारतीय राजनीती के वे स्वर्णिम दिन थे किन्तु अब अंधेरी रात है जब तथाकथित नेता खतरों से बचे रहने के लिए अपना मुंह छिपाए रहते हैं और अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए आम आदमी का जीवन खतरे में डाल रहे हैं.     

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

मेरी आमरण भूख हड़ताल - स्पष्टीकरण

अपने क्षेत्र में विद्युत् की दुरावस्था से तृस्त होकर मैंने आमरण भूख हड़ताल की सूचना विद्युत् और प्रशासनिक अधिकारियों को दी थी. उसी सन्दर्भ में उन्ही अधिकारियों को जो दूसरा पत्र मैंने लिखा है, उसका हिंदी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत है. यह भी उन अधिकारियों को प्रेषित कर दिया जाएगा.

सेवा में,
अध्यक्ष महोदय
उत्तर प्रदेश शक्ति निगम लिमिटेड
लखनऊ

श्रीमान जी,
दिनांक ११ फरवरी २०११ को एक्सीकुटिव इंजिनियर, ई.डी.डी.३, बुलंदशहर मेरे पास आये थे और मुझसे ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को तुरंत अर्थ करने का वायदा किया. किन्तु वे मुझे इसका कोई संतोषजनक उत्तर न दे सके कि यह कार्य अब तक के लगभग एक वर्ष में क्यों नहीं किया जा सका जिसका मुझे भारी मूल्य चुकाना पडा है. जैसा कि आपके अधीनस्थ सदैव से करते आये हैं, वे भी अपने उन दोषी सहकर्मियों एक्सीकुटिव इंजिनियर, उप खंड अधिकारी और जूनियर इंजिनियर के संरक्षण से चिंतित थे जिनके कारण मुझे आमरण भूख हड़ताल जैसा कठोर दुखद कदम उठाना पडा है.
इस सन्देश द्वारा मैं आपके क्षेत्रीय अधिकारियों की कार्य पद्यति से निराशा और अपनी आमरण भूख हड़ताल पर अडिग रहने के बारे में अपने स्पष्टीकरण देना चाहता हूँ.


१. ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल अर्थिंग
आज जब मेरी आमरण भूख हड़ताल का समाचार फ़ैल चुका था, एक्सीकुटिव इंजिनियर प्रमोद कुमार ई.डी.डी. ३, पी वी वी एन एल बुलंदशहर मुझसे मिले और ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को अर्थ करने का वचन दिया जिसकी मैं एक वर्ष से अधिक समय से जब से यह ट्रांस्फोर्मेर स्थापित हुआ था, मांग करता रहा हूँ. मैंने उन्हें ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल अर्थ की स्थिति दिखाई जिसके दो चित्र आपके सन्दर्भ हेतु एवं यह समझने के लिए कि आपके क्षेत्र अधिकारी किस तरह का कार्य कर रहे हैं, संलग्न कर रहा हूँ.

ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल अर्थ करना एक सामान्य प्रक्रिया है और ट्रांस्फोर्मेर स्थापित करने वाले किसी भी कर्मी द्वारा सरलता से किया जा सकता है. किन्तु यह इस ट्रांस्फोर्मेर पर नहीं किया गया जिसके लिए मैं लगातार जोर देता रहा हूँ और इसकी अनुपस्थिति से हानि उठता रहा हूँ. इसके लिए मैं जूनियर इंजिनियर के.एल.गुप्ता, एस.डी.ओ. अमिट कुमार और एक्सीकुटिव इंजिनियर विश्वम्भर सिंह सी बार निवेदन करता रहा हूँ. किन्तु इस बारे में कभी जुछ नहीं किया गया. जैसा कि मैंने अपने पिछले पत्र में कहा था कि इस बारे में मैं अपनी वेदना व्यक्त करने के लिए सम्बंधित एस.ई. के पास ३ बार गया किन्तु प्रत्येक उन्होंने मुझसे मिलने से ही इनकार कर दिया.


अंततः, ४ दिसम्बर २०१० को मैंने आपके उच्च कार्यालय को ईमेल द्वारा अवगत कराया जिसके बाद एस.डी.ओ. अमिट कुमार और ई.ई. (टेस्ट) राकेश कुमार मेरे पास आये जब मैंने उन्हें अपनी समस्या बतायी. उन्होंने ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को २/३ दिन में अर्थ करने का वचन दिया किन्तु दीर्घ काल तक कुछ नहीं किया. इस बारे में मैंने आपको अपने ईमेल सन्देश द्वारा २२ जनवरी  २०११ को अवगत कराया जिस पर आपने कोई ध्यान नहीं दिया. .

मेरा मत यह है कि मुझे आपके अधिकारियों द्वारा दूषित भावनाओं के साथ सताया गया. इसके परिणामस्वरूप मेरा कंप्यूटर सिस्टम पिछले एक वर्ष में ५/६ बार ल्शातिग्रस्त हुआ और मुझे इसका भारी मूल्य चुकाना पडा. इससे मेरे लेखन कार्यों में पडा विघ्न मेरे लिए चिंता का विषय है. 

२. ऊंचागांव विद्युत् केंद्र उपकरण नवीनीकरण
ऊंचागाओं विद्युत् केंद्र ५० वर्ष से अधिक पुराना है और इसके अधिकाँश उपकरण इतने ही पुराने हैं और अपने सेवा योग्य जीवन काल को बहुत पहले समाप्त कर चुके हैं. यह इस क्षेत्र के विद्युत् उपभोक्ताओं के समक्ष समुचित विद्युत् पाने में यह एक बड़ी समस्या है. एक वर्ष से अधिक समय से विद्युत् के क्षेत्रीय अधिकारी विभिन्न अवसरों पर मुझे बताते रहे हैं कि उपकरणों के  नवीनीकरण के कार्य के लिए मांग उच्च स्तर को भेजी जा चुकी है और शीघ्र ही नवीनीकरण कर दिया जाएगा. किन्तु मुझे घोर निराशा हुई जब ई.ई. प्रमोद कुमार ने मुझे बताया कि उक्त नवीनीकरण संबंधी कोई दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए नए सिरे मांग भेजने की आवश्यकता हो सकती है. इसका अर्थ यह है कि आपके क्षेत्रीय अधिकारी इस विषय पर उपभोक्ताओं को छलते रहे हैं अथवा वे अपने कार्यालयी कार्य में भी सक्षम नहीं हैं. कारण जो भी हो, यह मुझ जैसे उपभोक्ताओं के लिए निराशा का विषय है.


३. ऊंचागांव विद्युत् केंद्र - निपुण कर्मचारी
मेरे क्षेत्र के विद्युत् उपभोक्ता दीर्घ काल से ऊंचागांव विद्युत् केंद्र पर निपुण कर्मियों की कमी से परेशान होते रहे हैं. ई.ई. प्रमोद कुमार ने मुझे बताया कि विद्युत् केंद्र पर उपभोक्ताओं के लिए विद्युत् उपकरणों की देख-रेख के लिए एक भी निपुण कर्मी उपलब्ध नहीं है. और जो भी अस्थायी अनिपुण व्यक्ति उपलब्ध हैं, उनके पास समुचित उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. इससे मुझे और भी अधिक निराशा हुई है. 


४. उपभोक्ताओं हेतु विद्युत् लाइन
मेरे ग्राम के विद्युतीकरण के ४५ वर्षों तक लगभग २० विद्युत् कनेक्शन थे और विद्युत् लाइन की दशा दयनीय थी. मेरे यहाँ आने के बाद कुछ सुधार कार्य किये गए और मैंने लोगों से अधिकृत रूप में विद्युत् उपयोग करने के आग्रह किये. परिणामस्वरूप, गाँव में अधिकृत विद्युत् उपभोक्ताओं की संख्या लगभग १०० तक पहुँच गयी. किन्तु अनेक नए उपभोक्ताओं के घरों के पास में विद्युत् लाइन नहीं हैं जब कि वे विद्युत् बिल्लों के भुगतान कर रहे हैं. इस प्रकार आपके अधिकारियों द्वारा इन मूक लोगों का शिकार बनाये जाने पर मेरी सहानुभूति इनके साथ है.

आपके अधिकारियों की इस प्रकार की कार्य दक्षता पर भी मुझे बताया गया है कि जे.ई. के एल गुप्ता को पदोन्नति द्वारा पुरस्कृत किया गया है, ई.ई विश्वम्भर सिंह को अपनी वैभवशाली जीवन चर्या हेतु स्थानांतरित कर दिया गया है और एस.डी.ओ. अमिट कुमार अपने श्रेष्ठ कार्यों के लिए प्रशंसा पाते हुए अपने कार्यकाल का आनंद ले रहे हैं.  

इस प्रकार, मैं स्वयं को अँधेरी सुरंग के अंतिम सिरे पर पाता हूँ जहां मेरी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है. एक अनुशासित नागरिक और एक विनम्र उपभोक्ता होने के नाते मैं आपके अधीनस्थ उच्च अधिकारियों के साथ अभद्र नहीं हो सकता. ऐसी अवस्था में अधिकाँश उपभोक्ता आपके अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने समस्याओं के समाधान पा लेते हैं किन्तु मैं अपनी जागृत अंतरात्मा के कारण ऐसा भी नहीं कर सकता. इससे मेरे पास आपके क्षेत्र अधिकारियों की आन्तारात्माओं को जागृत करने और उत्तर प्रदेश राज्य में विद्युत् उपभोक्ताओं की दयनीय स्थिति विश्व को दर्शाने के लिए अपने जीवन की आहुति देने के अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग शेष नहीं रह गया है.  

इसलिए, मैं चार मांगों के साथ अपने गाँव में विद्युत्  वितरण ट्रांस्फोर्मेर के निकट २० फरवरी २०११ से आरम्भ अपनी प्रस्तावित आमरण भूख हड़ताल पर अविचल हूँ -

  • तीन सम्बंधित अधिकारियों - ई.ई. विश्वम्भर सिंह, एस.डी.ओ. अमिट कुमार, और जे.ई. के.एल.गुप्ता के विरुद्ध मुझे सताने हेतु अपने उत्तरदायित्वों के प्रति उदासीन रहने के लिए कठोर कार्यवाही हो. के.एल.गुप्ता की पदोन्नति तुरंत निरस्त की जाए.
  • ऊंचागांव विद्युत् गृह के सभी ५० वर्ष से अधिक पुराने उपकरण नवीन उपकरणों से विस्थापित किये जाएँ.
  • ऊंचागांव विद्युत् गृह पर समुचित संख्या में  निपुण कर्मीं नियुक्त किये जाएँ.
  • सभी अधिकृत विद्युत् उपभोक्ताओं के घरों के पास तक विद्युत् लाइन पूरी की जाएँ.
भवदीय

राम कुमार बंसल
गाँव खंदोई, बुलंदशहर.
Picture

My Life : Passion for making a Difference
http://rambansal-the-theosoph.blogspot.comI

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

मेरी आमरण भूख हड़ताल

अपने घर, गाँव और क्षेत्र में विद्युत् प्रदाय की अति गंभीर रूप से बुरी दशा से मैं इतना निराश हो गया हूँ कि विद्युत् अधिकारियों की अंतरात्मा को जागृत करने के लिए मैं अपने जीवन को समाप्त करने हेतु प्रस्तुत हूँ. जिसके लिए मैंने जनपद प्रशासन और विद्युत् अधिकारियों को जो सूचना दी है, उसका हिंदी अनुवाद निम्नांकित है.    

"सेवा में,
श्रीमान जिलाधिकारी महोदय,
बुलंदशहर


श्रीमान जी,
मैं ६२ वर्षीय इंजिनियर हूँ और अब विगत लगभग १० वर्षों से अपने पैतृक गाँव में रहते हुए लेखन कार्य कर रहा हूँ. मैं सर्वश्री पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम लिमिटेड का अपने गाँव खंदोई, उपखंड जहांगीराबाद, विद्युत् वितरण खंड ३, बुलंदशहर के अंतर्गत कुछ वर्षों से एक विद्युत् उपभोक्ता हूँ और अपने कंप्यूटर सिस्टम पर लेखन कार्य के लिए उपयुक्त और पर्याप्त विद्युत् प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता रहा हूँ किन्तु विद्युत् निगम के क्षेत्रीय अधिकारियों - जूनियर इंजिनियर, सुब-डिविजनल ऑफिसर, एक्जीकुटिव इंजिनियर की कर्तव्यहीनता के कारण बुरी तरह से असफल होता रहा हूँ. अपनी कठिनाई बुलंदशहर स्थित अधीक्षण अभियंता श्री आर. के. गुप्ता के समक्ष रखने के लिए मैंने ३/४ प्रयास किये हैं किन्तु वे शिकायत करने वाले उपभोक्ताओं से मिलने से ही इनकार करते रहे हैं.


वर्त्तमान में, मैं विगत ६ माह से विद्युत् वोल्टेज में अत्यधिक अप्रत्याशित विचलन - १०० से ३०० तक, से दुखी हूँ जिसके कारण मेरा कंप्यूटर प्रत्येक १०/१५ मिनट पर बंद हो जाता है. जबकि निर्धारित मानक के अनुसार वोल्टेज में केवल ६ प्रतिशत उतर-चढ़ाव अनुमत है. मैंने इस समस्या का अध्ययन किया है और इसके दो कारण पाए हैं -
  1. विद्युत् वितरण ट्रांसफार्मर का न्यूट्रल भूमि से ठीक प्रकार से नहीं जोड़ा गया है जिससे लाइन पर एक-फेज के विद्युत् भारों में परिवर्तन होते रहने से न्यूट्रल का विभव परिवर्तित होता रहता है.
  2. विद्युत् लाइन पर भारी मात्रा में अनधिकृत विद्युत् भार - लाइट तथा पॉवर, चोरी से डाले जा रहे हैं जिसमें जूनियर इंजिनियर और उच्च अधिकारियों का व्यक्तिगत लाभों के कारण सहयोग रहता है.        
मैं जूनियर इंजिनियर और उच्च अधिकारियों से ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को ठीक से अर्थ करने हेतु निवेदन करता रहा हूँ किन्तु उन द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने के कारण उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के चेयरमेन तक पहुंचा हूँ जिन्होंने क्षेत्र अधिकारियों को मेरी शिकायत दूर करने के निर्देश दिए हैं. इसके परिणामस्वरूप उप खंड अधिकारी और एक एक्सीकुटिव इंजिनियर श्री राकेश कुमार लगभग एक माह पूर्व मेरे पास आये और मैंने उन्हें समस्या से अवगत कराया जिसपर उन्होंने २/३ दिन में कार्यवाही का आश्वासन दिया. किन्तु अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है और समस्या दिन प्रति दिन गहनतर होती जा रही है.
उक्त राज्य पोषित अधिकारियों की मुझ जैसे सही विद्युत् उपभोक्ताओं के प्रति इस प्रकार की लापरवाही और कर्तव्यहीनता मैं उसी समय से देखता रहा हूँ जब मैंने विद्युत् कनेक्शन के लिए आवेदन किया था. इन अधिकारियों की कार्य प्रणाली मेन दमन, शोषण, भृष्टाचार, आदि भरपूर हैं.
उक्त मामले को मैं विद्युत् उपभोक्ता फोरम में ले गया था किन्तु फोरम के अधिकारी उसी विद्युत् निगम के अधीन हैं जिसके विरुद्ध शिकायत की गयी थी, इसलिए वे विद्युत् निगम अधिकारीयों के विरुद्ध जब तक निर्णय नहीं लेते जब तक कि उनके निजी स्वार्थ निहित न हों. इसके अतिरिक्त फोरम को अपने निर्णय के अनुपालन कराने के अधिकार भी नहीं हैं. इस बारे में मैंने फोरम के नियोक्ता उत्तर प्रदेश विद्युत् नियामक आयोग को भी लिख किन्तु उन्होंने उपभोक्ता शिकायतों को सुनने से इंकार कर दिया. इस सबका अर्थ यही है कि वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत विद्युत् उपभोक्ता शिकायत दूर करने का कोई उपाय नहीं है.
उक्त व्यक्तिगत समस्या के अतिरिक्त मेरे क्षेत्र की अनेक विद्युत् समस्याएँ भी हैं जिनसे मैं भी प्रभावित होता हूँ -

  1. ऊंचागांव विद्युत् गृह के उपकरण लगभग ५० वर्ष पुराने हैं और उनके सेवाकाल बहुत पहले ही समाप्त हो चुके हैं. इससे विद्युत् उपलब्धि की निर्धारित अवधि में भी बार-बार विद्युत् बंद होती रहती है, जो निर्धारित ८ घंटे प्रतिदिन के स्थान पर मात्र ४-५ घंटे ही उपलब्ध होती है.   
  2. जनपद बुलंदशहर में विद्युत् अधीक्षण अभियंताओं की संख्य दोगुनित कर दी गयी है, तथा एक्सीकुटिव इंजीनिअरों की संख्या में भी वृद्धि होती रही है, किन्तु उपभोक्ता सेवा के लिए नियुक्त कर्मियों की संख्या कम की जाती रही है. इससे उपकरणों और लाइनों की देखरेख दुष्कर हो गयी है जिससे उपभोक्ता सेवाओं में गिरावट आयी है.
  3. क्षेत्र में विद्युत् की स्थिति सुधार के लिए निगम की अनेक योजनाएं दीर्घ काल से लंबित पडी हुई हैं जिसका कारण धन का अभाव बताया जाता है, जो क्षेत्र के विद्युत् अधिकारीयों द्वारा नियोजित अथवा उनकी लापरवाही के कारण विद्युत् की बड़े पैमाने पर चोरियों के कारण है. इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.  
अब चूंकि प्रदेश की शीर्षस्थ विद्युत् निगम के अध्यक्ष महोदय भी क्षेत्र अधिकारियों को अपनी कर्त्तव्य-परायणता और दायित्वों को समझाने में पूरी तरह असफल होते रहे हैं, मैं अब पूरी तरह निराश हो चुका हूँ और किसी सुधार की आशा नहीं कर सकता. इसी के साथ ही उक्त लापरवाहियों और कर्तव्यहीनता के सर्वाधिक दोषी जूनियर इंजिनियर श्री के. एल. गुप्ता को क्षेत्रीय अधिकारियों ने स्पष्ट कारणों से पदोन्नति देकर पुरस्कृत किया है.

अतः, मैंने पूजनीय महात्मा गाँधी से प्रेरणा पाकर उत्तर प्रदेश में विद्युत् अधिकारियों द्वारा विद्युत् उपभोक्ताओं के उत्पीडन को विश्व स्तर पर प्रकाश में लाने के लिए और विद्युत् अधिकारियों की अंतरात्माओं को अपने कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति जागृत करने के उद्देश्य से २० फरवरी २०११ से अपने गाँव खंदोई में विद्युत् वितरण ट्रांस्फोर्मेर के निकट आमरण भूख हड़ताल कर अपने जीवन को समाप्त करने का निर्णय लिया है. मेरे जीवन की इस प्रकार समाप्ति के लिए उपरोक्त विद्युत् अधिकारी ही पूर्णतः उत्तरदायी होंगे. 
Non-Violent Resistance (Satyagraha)
यह आप की सूचनार्थ और आप द्वारा ध्यान देने हेतु प्रेषित है. 

भवदीय 
राम कुमार बंसल 
पुत्र स्वर्गीय श्री करन लाल, स्वतन्त्रता सेनानी
गाँव खंदोई, जनपद बुलंदशहर."