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गुरुवार, 24 मई 2012

स्वतन्त्रता सैनानी द्वार , खंदोई - अभिकल्पना



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स्वतन्त्रता सैनानी  द्वार , खंदोई 

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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

डॉक्टर राम मनोहर लोहिया का ग्राम खंदोई से सम्बन्ध और उसका राजनैतिक प्रभाव


डॉ राम मनोहर लोहिया 
ब्रिटिश शासन काल में जनपद बुलंदशहर के ग्राम खंदोई स्पष्ट रूप से दो भागों में बँट चुका था - एक ओर श्री करन लाल जी के नेतृत्वमें आज़ादी के दीवानों ने अपनी जानों की बाजी लगा दी थी जिसमें गाँव के लगभग ४० परिवारों ने अपने पूरे संसाधनआज़ादी के लिए समर्पित कर दिए थे. दूसरी ओर जमींदार परिवार थे जो समाज की शोषणपरक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अंग्रेजों के पक्षधर बने हुए थे. 

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जवाहर लाल नेहरु ने देश की आज़ादी के विरोधी अंग्रेजों के वफादार  जमींदारों और राजघरानोंको कांग्रेस में सम्मिलित करना आरम्भ कर दिया. इस पर सच्चे देशभक्तों का कांग्रेस में कोई महत्व नहीं रहा, और कांग्रेस देश में नए नाम से अंग्रेज़ी शोषणपरक  शासनव्यवस्था को बनाए रखने का माध्यम बन गयी. 

देशभक्तों के नेतृत्व के लिए डॉ राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेन्द्र देव, आदि आगे आये और  उन्होंने देश के प्रथम लोकतांत्रिक चुनाव- 1952 में कांग्रेस  के समक्ष एक चुनौती के रूप में सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया, जिसकी हवा ने ग्राम खंदोई को भी झकझोर दिया. गाँव के  पुराने दो खेमे सोशलिस्ट और कांग्रेस के नामों से जाने जाने लगे. एक ओर श्री करन लाल जी का  नेतृत्व था तो दूसरी ओर जमींदारों का पूंजीवादी शोषण. 

इसी आन्दोलन में डॉ लोहिया का खंदोई में आगमन हुआ और वे गाँव में एक सप्ताह रहे तथा  खंदोई को केंद्र बनाकर आसपास के क्षेत्र में कांग्रेस के देशद्रोहियोंके हाथ की कठपुतली बनाए  जाने के विरुद्धक्रांति की मशाल प्रज्वलित की. इसी समय डॉ लोहिया ने ग्राम खंदोई में एक  जूनियर हाई स्कूल 'जनता जूनियर हाई स्कूल' की स्थापना की जो आज जनता इंटर कॉलेज के  नाम से जाना जाता है किन्तु समाज कंटकों ने इसे अपने अधिपत्य में ले लिया है. 

डॉ लोहिया के आगमन की ज्वाला से ग्राम खंदोई के 200 से अधिक  लोग, जिनमें इस लेखक , जो उस  समय मात्र 4 वर्ष का था, सहित बच्चे, स्त्रियाँ, युवा तथा वृद्ध सम्मिलित थे  सोशलिस्ट झंडे के नीचे जेल  गए. क्षेत्र के अनेक  कृषकों की जम्मेंदारों द्वारा अपहृत  भूमियों को कृषकों को वापिस  दिलाया.  

श्री करन लाल 
डॉ लोहिया ने श्री करन लाल जी को 1952 के चुनाव हेतु अनूपशहर विधान सभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी का उम्मीदवार बनाया. क्षेत्रवासियों में लाल टोपीधारियों की बाढ़ सी  गयी और बच्चे-बड़े-बूढों की जवान से एक ही नारा गूंजने लगा, 'धन और धरती बँट कर रहेगी, भूखी  जनता अब ना सहेगी'. 

देश में कांग्रेस के नाम पर क्षुद्र अवसरवादियों का शासन बना रहा जिसका सबसे अधिक  दुष्प्रभाव  खंदोई-वासियों पर पडा. शासकों और प्रशासक खंदोई-वासियों के सोशलिस्ट आन्दोलन को व्यापक समर्थन दिए जाने के कारण खंदोई के विकास की पूरी तरह अवहेलना करते रहे. गाँव के 40 से अधिक स्वतन्त्रता सेनानी इससे निराश अवश्य हुए किन्तु वे कांग्रेस के समाज-विरोधी  रुख के समक्ष कभी नहीं झुके.  

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

स्वतन्त्रता सेनानी स्मृति योजना, खंदोई

९ अगस्त १९४२ को गांधीजी के आह्वान 'अंग्रेजो भारत छोडो' की चिंगारी गाँव खंदोई भी पहुँची. खंदोई के नौजवानों में भी अंग्रेज़ी सरकार की दमनकारी नीतियों के प्रति आक्रोश था. महात्मा गाँधी के आह्वान पर महाशय करन लाल जी के नेतृत्व में दर्ज़नों नौजवानों ने एकत्र होकर अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध संघर्ष की योजना बनायी. अंग्रेज़ी सरकार के सिंचाई कार्यालय (चरौरा कोठी) जिसमे अँगरेज़ अधिकारी किसानों के मुकदमे सुनते थे, खंदोई के नौजवानों ने इसी दफ्तर को नष्ट करने की योजना बनायी.



२१ अगस्त १९४२ की रात्री को खंदोई के लोगों जिनमें सर्वश्री राम चन्द्र सिंह, गिरवर प्रसाद शर्मा, नन्द राम गुप्ता, नेकलाल, आदि के साथ एक बच्चा खचेडू सिंह भी श्री करन लाल जी के नेतृत्व में जंगल (खेतों) के रास्ते होते हुए पडौस के गाँव भगवन्तपुर पहुंचे और वहां से मिट्टी के तेल का कनस्तर लेकर रात्री में ही चरौरा कोठी पहुँच गए. कुछ लोगों ने टेलीफोन के तार काट दिए तथा दफ्तर को चारों ओर से घेर कर उसमें आग लगा दी. थोड़ी ही देर में दफ्तर जल कर राख हो गया. आग लगाने की खबर भी पूरे क्षेत्र में आग की तरह फ़ैल गयी. आग लगाने वाले आज़ादी के दीवाने भूमिगत हो गए.


तत्कालीन कलेक्टर हार्डी इतने क्रोधित हुए कि खंदोई में भारी फ़ोर्स के साथ आ धमके तथा गाँव के लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिए. कलेक्टर हार्डी ने पूरे गाँव को आग के हवाले करने तक का फरमान सुना दिया. लेकिन संघर्ष शील जनता के सामने उन्हें हाथ खींचना पडा. दर्जनों लोगों को जेल में डाल दिया गया. कलेक्टर हार्डी ने तत्कालीन जज श्री डी पद्मनाभन को श्री करन लाल को फांसी दिए जाने का आदेश दे दिया. इस पर जज महोदय श्री पद्मनाभन, जो क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति रखते थे, ने वकील के माध्यम से श्री करन लाल को सन्देश भिजवा दिया कि वे तब तक अदालत में हाजिर न हों जब तक कि हार्डी बुलंदशहर कि कलेक्टर रहे अन्यथा फांसी दिया जाना नहीं टाला जा सकेगा.


हार्डी के बुलंदशहर से तबादले के बाद श्री करन लाल जी अदालत में हाजिर हुए जिसपर उन्हें कारागार भेज दिया गया. कुल मिलकर उन्हें ३ वर्ष से अधिक की सजा मिली थी. गाँव के अन्य लोगों को भी सजाएं मिलीं.


देश के शहीदों, संघर्ष करने वालों तथा आजादी के दीवानों के जज्बात तथा देश के नौजवानों जैसे सरदार भगत सिंह, चन्द्र शेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान आदि की कुर्बानी तथा महात्मा गाँधी के नेतृत्व से १५ अगस्त १९४७ को देश के लोगों आज़ादी की सांस ली. गाँव खंदोई के लोगों को भी आज़ादी के साथ बहुत राहत मिली. कुछ समय बाद आज्ज़दी के लिए संघर्ष करने वालों को 'स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी' का दर्ज़ा दिया गया एवं सरकार द्वारा उन्हें पेंशन भी दी गयी. खंदोई के २6 लोग भी इस सूची में स्थान पा सके. आज़ादी के संघर्ष में लगभग ४० लोगों ने हिस्सा लिया था, किन्तु  आज़ादी से पहले मृत्यु अथवा ३ माह से कम की सजा के कारण उन्हें उस सूची में स्थान नहीं मिल पाया.  

१९३६ में गठित किसानों का महत्वपूर्ण संगठन 'किसान सभा' आज़ादी के संघर्ष की कथा तिथियों के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है जिसमें देश को आर्थिक आजादी दिलाने का संकल्प भी लिया जाता है. क्षेत्रीय स्तर पर, खंदोई के लोगों द्वारा आजादी के लिए संघर्ष को याद करने के लिए २१ अगस्त (चरौरा कोठी काण्ड) को भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है जिसमें आज के नौजवानों को देश प्रेम के लिए प्रेरित करने, आज़ादी के महत्व को समझाने तथा अधूरी आजादी को पूरा करने का आह्वान किया जाता है. इन कार्यक्रमों में चरौरा कोठी काण्ड के सैनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.

अब खंदोई के सभी स्वतन्त्रता सैनानियों का स्वर्गवास हो चुका है. उनके संघर्ष को जीवंत बनाए रखने के लिए, ग्रामवासियों ने पश्चिमी प्रवेश मार्ग पर एक भव्य 'स्वतन्त्रता सेनानी द्वार' के निर्माण का संकल्प लिया है. जिसके पास ही तालाब का सौन्दर्यकरण, वृहत वृक्षारोपण, तथा मनोरंजन पार्क का निर्माण भी किया जाएगा.  

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

मेरी आमरण भूख हड़ताल - स्पष्टीकरण

अपने क्षेत्र में विद्युत् की दुरावस्था से तृस्त होकर मैंने आमरण भूख हड़ताल की सूचना विद्युत् और प्रशासनिक अधिकारियों को दी थी. उसी सन्दर्भ में उन्ही अधिकारियों को जो दूसरा पत्र मैंने लिखा है, उसका हिंदी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत है. यह भी उन अधिकारियों को प्रेषित कर दिया जाएगा.

सेवा में,
अध्यक्ष महोदय
उत्तर प्रदेश शक्ति निगम लिमिटेड
लखनऊ

श्रीमान जी,
दिनांक ११ फरवरी २०११ को एक्सीकुटिव इंजिनियर, ई.डी.डी.३, बुलंदशहर मेरे पास आये थे और मुझसे ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को तुरंत अर्थ करने का वायदा किया. किन्तु वे मुझे इसका कोई संतोषजनक उत्तर न दे सके कि यह कार्य अब तक के लगभग एक वर्ष में क्यों नहीं किया जा सका जिसका मुझे भारी मूल्य चुकाना पडा है. जैसा कि आपके अधीनस्थ सदैव से करते आये हैं, वे भी अपने उन दोषी सहकर्मियों एक्सीकुटिव इंजिनियर, उप खंड अधिकारी और जूनियर इंजिनियर के संरक्षण से चिंतित थे जिनके कारण मुझे आमरण भूख हड़ताल जैसा कठोर दुखद कदम उठाना पडा है.
इस सन्देश द्वारा मैं आपके क्षेत्रीय अधिकारियों की कार्य पद्यति से निराशा और अपनी आमरण भूख हड़ताल पर अडिग रहने के बारे में अपने स्पष्टीकरण देना चाहता हूँ.


१. ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल अर्थिंग
आज जब मेरी आमरण भूख हड़ताल का समाचार फ़ैल चुका था, एक्सीकुटिव इंजिनियर प्रमोद कुमार ई.डी.डी. ३, पी वी वी एन एल बुलंदशहर मुझसे मिले और ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को अर्थ करने का वचन दिया जिसकी मैं एक वर्ष से अधिक समय से जब से यह ट्रांस्फोर्मेर स्थापित हुआ था, मांग करता रहा हूँ. मैंने उन्हें ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल अर्थ की स्थिति दिखाई जिसके दो चित्र आपके सन्दर्भ हेतु एवं यह समझने के लिए कि आपके क्षेत्र अधिकारी किस तरह का कार्य कर रहे हैं, संलग्न कर रहा हूँ.

ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल अर्थ करना एक सामान्य प्रक्रिया है और ट्रांस्फोर्मेर स्थापित करने वाले किसी भी कर्मी द्वारा सरलता से किया जा सकता है. किन्तु यह इस ट्रांस्फोर्मेर पर नहीं किया गया जिसके लिए मैं लगातार जोर देता रहा हूँ और इसकी अनुपस्थिति से हानि उठता रहा हूँ. इसके लिए मैं जूनियर इंजिनियर के.एल.गुप्ता, एस.डी.ओ. अमिट कुमार और एक्सीकुटिव इंजिनियर विश्वम्भर सिंह सी बार निवेदन करता रहा हूँ. किन्तु इस बारे में कभी जुछ नहीं किया गया. जैसा कि मैंने अपने पिछले पत्र में कहा था कि इस बारे में मैं अपनी वेदना व्यक्त करने के लिए सम्बंधित एस.ई. के पास ३ बार गया किन्तु प्रत्येक उन्होंने मुझसे मिलने से ही इनकार कर दिया.


अंततः, ४ दिसम्बर २०१० को मैंने आपके उच्च कार्यालय को ईमेल द्वारा अवगत कराया जिसके बाद एस.डी.ओ. अमिट कुमार और ई.ई. (टेस्ट) राकेश कुमार मेरे पास आये जब मैंने उन्हें अपनी समस्या बतायी. उन्होंने ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को २/३ दिन में अर्थ करने का वचन दिया किन्तु दीर्घ काल तक कुछ नहीं किया. इस बारे में मैंने आपको अपने ईमेल सन्देश द्वारा २२ जनवरी  २०११ को अवगत कराया जिस पर आपने कोई ध्यान नहीं दिया. .

मेरा मत यह है कि मुझे आपके अधिकारियों द्वारा दूषित भावनाओं के साथ सताया गया. इसके परिणामस्वरूप मेरा कंप्यूटर सिस्टम पिछले एक वर्ष में ५/६ बार ल्शातिग्रस्त हुआ और मुझे इसका भारी मूल्य चुकाना पडा. इससे मेरे लेखन कार्यों में पडा विघ्न मेरे लिए चिंता का विषय है. 

२. ऊंचागांव विद्युत् केंद्र उपकरण नवीनीकरण
ऊंचागाओं विद्युत् केंद्र ५० वर्ष से अधिक पुराना है और इसके अधिकाँश उपकरण इतने ही पुराने हैं और अपने सेवा योग्य जीवन काल को बहुत पहले समाप्त कर चुके हैं. यह इस क्षेत्र के विद्युत् उपभोक्ताओं के समक्ष समुचित विद्युत् पाने में यह एक बड़ी समस्या है. एक वर्ष से अधिक समय से विद्युत् के क्षेत्रीय अधिकारी विभिन्न अवसरों पर मुझे बताते रहे हैं कि उपकरणों के  नवीनीकरण के कार्य के लिए मांग उच्च स्तर को भेजी जा चुकी है और शीघ्र ही नवीनीकरण कर दिया जाएगा. किन्तु मुझे घोर निराशा हुई जब ई.ई. प्रमोद कुमार ने मुझे बताया कि उक्त नवीनीकरण संबंधी कोई दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए नए सिरे मांग भेजने की आवश्यकता हो सकती है. इसका अर्थ यह है कि आपके क्षेत्रीय अधिकारी इस विषय पर उपभोक्ताओं को छलते रहे हैं अथवा वे अपने कार्यालयी कार्य में भी सक्षम नहीं हैं. कारण जो भी हो, यह मुझ जैसे उपभोक्ताओं के लिए निराशा का विषय है.


३. ऊंचागांव विद्युत् केंद्र - निपुण कर्मचारी
मेरे क्षेत्र के विद्युत् उपभोक्ता दीर्घ काल से ऊंचागांव विद्युत् केंद्र पर निपुण कर्मियों की कमी से परेशान होते रहे हैं. ई.ई. प्रमोद कुमार ने मुझे बताया कि विद्युत् केंद्र पर उपभोक्ताओं के लिए विद्युत् उपकरणों की देख-रेख के लिए एक भी निपुण कर्मी उपलब्ध नहीं है. और जो भी अस्थायी अनिपुण व्यक्ति उपलब्ध हैं, उनके पास समुचित उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. इससे मुझे और भी अधिक निराशा हुई है. 


४. उपभोक्ताओं हेतु विद्युत् लाइन
मेरे ग्राम के विद्युतीकरण के ४५ वर्षों तक लगभग २० विद्युत् कनेक्शन थे और विद्युत् लाइन की दशा दयनीय थी. मेरे यहाँ आने के बाद कुछ सुधार कार्य किये गए और मैंने लोगों से अधिकृत रूप में विद्युत् उपयोग करने के आग्रह किये. परिणामस्वरूप, गाँव में अधिकृत विद्युत् उपभोक्ताओं की संख्या लगभग १०० तक पहुँच गयी. किन्तु अनेक नए उपभोक्ताओं के घरों के पास में विद्युत् लाइन नहीं हैं जब कि वे विद्युत् बिल्लों के भुगतान कर रहे हैं. इस प्रकार आपके अधिकारियों द्वारा इन मूक लोगों का शिकार बनाये जाने पर मेरी सहानुभूति इनके साथ है.

आपके अधिकारियों की इस प्रकार की कार्य दक्षता पर भी मुझे बताया गया है कि जे.ई. के एल गुप्ता को पदोन्नति द्वारा पुरस्कृत किया गया है, ई.ई विश्वम्भर सिंह को अपनी वैभवशाली जीवन चर्या हेतु स्थानांतरित कर दिया गया है और एस.डी.ओ. अमिट कुमार अपने श्रेष्ठ कार्यों के लिए प्रशंसा पाते हुए अपने कार्यकाल का आनंद ले रहे हैं.  

इस प्रकार, मैं स्वयं को अँधेरी सुरंग के अंतिम सिरे पर पाता हूँ जहां मेरी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है. एक अनुशासित नागरिक और एक विनम्र उपभोक्ता होने के नाते मैं आपके अधीनस्थ उच्च अधिकारियों के साथ अभद्र नहीं हो सकता. ऐसी अवस्था में अधिकाँश उपभोक्ता आपके अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने समस्याओं के समाधान पा लेते हैं किन्तु मैं अपनी जागृत अंतरात्मा के कारण ऐसा भी नहीं कर सकता. इससे मेरे पास आपके क्षेत्र अधिकारियों की आन्तारात्माओं को जागृत करने और उत्तर प्रदेश राज्य में विद्युत् उपभोक्ताओं की दयनीय स्थिति विश्व को दर्शाने के लिए अपने जीवन की आहुति देने के अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग शेष नहीं रह गया है.  

इसलिए, मैं चार मांगों के साथ अपने गाँव में विद्युत्  वितरण ट्रांस्फोर्मेर के निकट २० फरवरी २०११ से आरम्भ अपनी प्रस्तावित आमरण भूख हड़ताल पर अविचल हूँ -

  • तीन सम्बंधित अधिकारियों - ई.ई. विश्वम्भर सिंह, एस.डी.ओ. अमिट कुमार, और जे.ई. के.एल.गुप्ता के विरुद्ध मुझे सताने हेतु अपने उत्तरदायित्वों के प्रति उदासीन रहने के लिए कठोर कार्यवाही हो. के.एल.गुप्ता की पदोन्नति तुरंत निरस्त की जाए.
  • ऊंचागांव विद्युत् गृह के सभी ५० वर्ष से अधिक पुराने उपकरण नवीन उपकरणों से विस्थापित किये जाएँ.
  • ऊंचागांव विद्युत् गृह पर समुचित संख्या में  निपुण कर्मीं नियुक्त किये जाएँ.
  • सभी अधिकृत विद्युत् उपभोक्ताओं के घरों के पास तक विद्युत् लाइन पूरी की जाएँ.
भवदीय

राम कुमार बंसल
गाँव खंदोई, बुलंदशहर.
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My Life : Passion for making a Difference
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शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

मेरी आमरण भूख हड़ताल

अपने घर, गाँव और क्षेत्र में विद्युत् प्रदाय की अति गंभीर रूप से बुरी दशा से मैं इतना निराश हो गया हूँ कि विद्युत् अधिकारियों की अंतरात्मा को जागृत करने के लिए मैं अपने जीवन को समाप्त करने हेतु प्रस्तुत हूँ. जिसके लिए मैंने जनपद प्रशासन और विद्युत् अधिकारियों को जो सूचना दी है, उसका हिंदी अनुवाद निम्नांकित है.    

"सेवा में,
श्रीमान जिलाधिकारी महोदय,
बुलंदशहर


श्रीमान जी,
मैं ६२ वर्षीय इंजिनियर हूँ और अब विगत लगभग १० वर्षों से अपने पैतृक गाँव में रहते हुए लेखन कार्य कर रहा हूँ. मैं सर्वश्री पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम लिमिटेड का अपने गाँव खंदोई, उपखंड जहांगीराबाद, विद्युत् वितरण खंड ३, बुलंदशहर के अंतर्गत कुछ वर्षों से एक विद्युत् उपभोक्ता हूँ और अपने कंप्यूटर सिस्टम पर लेखन कार्य के लिए उपयुक्त और पर्याप्त विद्युत् प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता रहा हूँ किन्तु विद्युत् निगम के क्षेत्रीय अधिकारियों - जूनियर इंजिनियर, सुब-डिविजनल ऑफिसर, एक्जीकुटिव इंजिनियर की कर्तव्यहीनता के कारण बुरी तरह से असफल होता रहा हूँ. अपनी कठिनाई बुलंदशहर स्थित अधीक्षण अभियंता श्री आर. के. गुप्ता के समक्ष रखने के लिए मैंने ३/४ प्रयास किये हैं किन्तु वे शिकायत करने वाले उपभोक्ताओं से मिलने से ही इनकार करते रहे हैं.


वर्त्तमान में, मैं विगत ६ माह से विद्युत् वोल्टेज में अत्यधिक अप्रत्याशित विचलन - १०० से ३०० तक, से दुखी हूँ जिसके कारण मेरा कंप्यूटर प्रत्येक १०/१५ मिनट पर बंद हो जाता है. जबकि निर्धारित मानक के अनुसार वोल्टेज में केवल ६ प्रतिशत उतर-चढ़ाव अनुमत है. मैंने इस समस्या का अध्ययन किया है और इसके दो कारण पाए हैं -
  1. विद्युत् वितरण ट्रांसफार्मर का न्यूट्रल भूमि से ठीक प्रकार से नहीं जोड़ा गया है जिससे लाइन पर एक-फेज के विद्युत् भारों में परिवर्तन होते रहने से न्यूट्रल का विभव परिवर्तित होता रहता है.
  2. विद्युत् लाइन पर भारी मात्रा में अनधिकृत विद्युत् भार - लाइट तथा पॉवर, चोरी से डाले जा रहे हैं जिसमें जूनियर इंजिनियर और उच्च अधिकारियों का व्यक्तिगत लाभों के कारण सहयोग रहता है.        
मैं जूनियर इंजिनियर और उच्च अधिकारियों से ट्रांस्फोर्मेर न्यूट्रल को ठीक से अर्थ करने हेतु निवेदन करता रहा हूँ किन्तु उन द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने के कारण उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के चेयरमेन तक पहुंचा हूँ जिन्होंने क्षेत्र अधिकारियों को मेरी शिकायत दूर करने के निर्देश दिए हैं. इसके परिणामस्वरूप उप खंड अधिकारी और एक एक्सीकुटिव इंजिनियर श्री राकेश कुमार लगभग एक माह पूर्व मेरे पास आये और मैंने उन्हें समस्या से अवगत कराया जिसपर उन्होंने २/३ दिन में कार्यवाही का आश्वासन दिया. किन्तु अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है और समस्या दिन प्रति दिन गहनतर होती जा रही है.
उक्त राज्य पोषित अधिकारियों की मुझ जैसे सही विद्युत् उपभोक्ताओं के प्रति इस प्रकार की लापरवाही और कर्तव्यहीनता मैं उसी समय से देखता रहा हूँ जब मैंने विद्युत् कनेक्शन के लिए आवेदन किया था. इन अधिकारियों की कार्य प्रणाली मेन दमन, शोषण, भृष्टाचार, आदि भरपूर हैं.
उक्त मामले को मैं विद्युत् उपभोक्ता फोरम में ले गया था किन्तु फोरम के अधिकारी उसी विद्युत् निगम के अधीन हैं जिसके विरुद्ध शिकायत की गयी थी, इसलिए वे विद्युत् निगम अधिकारीयों के विरुद्ध जब तक निर्णय नहीं लेते जब तक कि उनके निजी स्वार्थ निहित न हों. इसके अतिरिक्त फोरम को अपने निर्णय के अनुपालन कराने के अधिकार भी नहीं हैं. इस बारे में मैंने फोरम के नियोक्ता उत्तर प्रदेश विद्युत् नियामक आयोग को भी लिख किन्तु उन्होंने उपभोक्ता शिकायतों को सुनने से इंकार कर दिया. इस सबका अर्थ यही है कि वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत विद्युत् उपभोक्ता शिकायत दूर करने का कोई उपाय नहीं है.
उक्त व्यक्तिगत समस्या के अतिरिक्त मेरे क्षेत्र की अनेक विद्युत् समस्याएँ भी हैं जिनसे मैं भी प्रभावित होता हूँ -

  1. ऊंचागांव विद्युत् गृह के उपकरण लगभग ५० वर्ष पुराने हैं और उनके सेवाकाल बहुत पहले ही समाप्त हो चुके हैं. इससे विद्युत् उपलब्धि की निर्धारित अवधि में भी बार-बार विद्युत् बंद होती रहती है, जो निर्धारित ८ घंटे प्रतिदिन के स्थान पर मात्र ४-५ घंटे ही उपलब्ध होती है.   
  2. जनपद बुलंदशहर में विद्युत् अधीक्षण अभियंताओं की संख्य दोगुनित कर दी गयी है, तथा एक्सीकुटिव इंजीनिअरों की संख्या में भी वृद्धि होती रही है, किन्तु उपभोक्ता सेवा के लिए नियुक्त कर्मियों की संख्या कम की जाती रही है. इससे उपकरणों और लाइनों की देखरेख दुष्कर हो गयी है जिससे उपभोक्ता सेवाओं में गिरावट आयी है.
  3. क्षेत्र में विद्युत् की स्थिति सुधार के लिए निगम की अनेक योजनाएं दीर्घ काल से लंबित पडी हुई हैं जिसका कारण धन का अभाव बताया जाता है, जो क्षेत्र के विद्युत् अधिकारीयों द्वारा नियोजित अथवा उनकी लापरवाही के कारण विद्युत् की बड़े पैमाने पर चोरियों के कारण है. इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.  
अब चूंकि प्रदेश की शीर्षस्थ विद्युत् निगम के अध्यक्ष महोदय भी क्षेत्र अधिकारियों को अपनी कर्त्तव्य-परायणता और दायित्वों को समझाने में पूरी तरह असफल होते रहे हैं, मैं अब पूरी तरह निराश हो चुका हूँ और किसी सुधार की आशा नहीं कर सकता. इसी के साथ ही उक्त लापरवाहियों और कर्तव्यहीनता के सर्वाधिक दोषी जूनियर इंजिनियर श्री के. एल. गुप्ता को क्षेत्रीय अधिकारियों ने स्पष्ट कारणों से पदोन्नति देकर पुरस्कृत किया है.

अतः, मैंने पूजनीय महात्मा गाँधी से प्रेरणा पाकर उत्तर प्रदेश में विद्युत् अधिकारियों द्वारा विद्युत् उपभोक्ताओं के उत्पीडन को विश्व स्तर पर प्रकाश में लाने के लिए और विद्युत् अधिकारियों की अंतरात्माओं को अपने कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति जागृत करने के उद्देश्य से २० फरवरी २०११ से अपने गाँव खंदोई में विद्युत् वितरण ट्रांस्फोर्मेर के निकट आमरण भूख हड़ताल कर अपने जीवन को समाप्त करने का निर्णय लिया है. मेरे जीवन की इस प्रकार समाप्ति के लिए उपरोक्त विद्युत् अधिकारी ही पूर्णतः उत्तरदायी होंगे. 
Non-Violent Resistance (Satyagraha)
यह आप की सूचनार्थ और आप द्वारा ध्यान देने हेतु प्रेषित है. 

भवदीय 
राम कुमार बंसल 
पुत्र स्वर्गीय श्री करन लाल, स्वतन्त्रता सेनानी
गाँव खंदोई, जनपद बुलंदशहर."   






शनिवार, 18 सितंबर 2010

मनोरंजन, व्यायाम और चरित्र निर्माण के लिए खेलों का उपयोग

उत्तर प्रदेश के गाँवों में पंचायत चुनावों का दौर चल रहा है जिसमें मेरा गाँव खंदोई भी सम्मिलित है. प्रत्याशियों के पास मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कोई अपने सामाजिक कार्य न होने के कारण उन्हें निःशुल्क शराब पिलाना ही एक मात्र मार्ग है जिसे जोर-शोर से अपनाया जा रहा है. आस-पास के कुछ गाँवों में तो शराब पर ५ लाख रुपये तक व्यय हो चुके हैं किन्तु मेरे गाँव में यह कुछ सीमित है किन्तु अब इसमें तेजी आ रही है. अभी तक मैं स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास करता रहा हूँ किन्तु अब स्थिति मेरे नियंत्रण से बाहर हो रही है.

यद्यपि गाँव में लगभग १०-१२ व्यक्ति ही पियक्कड़ हैं किन्तु शराब के निःशुल्क उपलब्ध होने के कारण लगभग ५० प्रतिशत लोग इसे पीने लगते हैं, जिनमें से अनेक इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि चुनाव के बाद भी वे अपना घर-परिवार नष्ट-भृष्ट करके शराब पीते रहते हैं. इस प्रकार प्रत्येक चुनाव में कुछ नए पियक्कड़ बन जाते हैं. अधेड़ और वृद्ध लोगों को तो जो बनना था वे बन चुके हैं इसलिए उन पर तो इस शराबखोरी का कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, किन्तु युवाओं का इसके चंगुल में आना उनके जीवन के लिए यक्ष प्रश्न बन जाता है. इसलिए उनका इससे दूर रखना बहुत महत्वपूर्ण है.

मेरे गाँव में कोई खेल का मैदान नहीं है, यहाँ तक कि गाँव के माध्यमिक विद्यालय के पास जो खेल के मैदान के लिए स्थान उपलब्ध था उसे प्रबंध समिति ने निजी लाभ के लिए निजी अधिकारों में दे दिया है और उस पर निजी भवन बन चुके हैं. इस कारण से गाँव के युवाओं के लिए खेलों के लिए कोई सार्वजनिक स्थान उपलब्ध नहीं है. इसलिए वे अपनी शामें मार्गों पर खड़े रहकर आवारागर्दी में व्यतीत करते रहे हैं.    

गाँव के युवाओं को एक नयी दिशा देने के उद्येश्य से मैंने अपने निवास के उद्यान में खेलों के लिए एक छोटा सा मैदान बना दिया है जो गाँव के सभी व्यक्तियों के लिए खुला रहता है. अब गाँव के लगभग ८०-१०० युवा और बच्चे प्रत्येक शाम को लगभग ४ बजे से ही इस मैदान में आने लगते हैं और संध्या ६-७ बजे तक विविध प्रकार के खेल खेलते रहते हैं जिनमें कबड्डी अधिक लोकप्रिय है. युवा शाम को थक कर अपने घर जाकर भोजन के बाद सो जाते हैं. इस प्रकार वे आवारागर्दी और शराबखोरी से दूर हो गए हैं, और उनमें अपने शरीर शौष्ठव की प्रतिस्पर्द्धा जागृत हुई है.
Sports Ground Management: A Complete Guide

घर में खेल का सार्वजनिक मैदान बनने से मुझे कुछ असुविधा अवश्य हुई है, उद्यान को भी कुछ आघात पहुंचते हैं, किन्तु गाँव के युवा समाज को लाभ हो रहा है वह मेरी व्यक्तिगत क्षति से अनेक गुणित है. इसलिए मुझे इस सब से प्रसन्नता है.

बुधवार, 11 अगस्त 2010

भृष्ट आरक्षण में भी भृष्टाचार

भारत में विविध प्रकार के आरक्षण सामाजिक और राजनैतिक भृष्टाचार के प्रतीक हैं और यह महादानव विकराल रूप धारण कर चुका है. इसके माध्यम से राजनेता और प्रशासक अपने मनोवांछित स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं. एक बार फिर, मुझे पंचायत चुनाव में प्रत्याशी होने के अपने मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया है, क्योंकि यह गाँव के असामाजिक तत्वों, विकास क्षेत्र और जनपद के प्रशासनिक अधिकारियों के मनोनुकूल नहीं है. 

प्रदेश सरकार की घोषित नीति के अनुसार गाँव खंदोई का प्रधान पद अनारक्षित रहना था जैसा कि सन २००० में रहा था. तदनुसार ग्रामवासी मुझे इस पद पर चुन कर चारों और फैले भृष्टाचार से संघर्ष करते हुए गाँव का विकास चाहते थे. इससे गाँव के असामाजिक तत्वों को और विकास क्षेत्र के अधिकारियों को बड़ी असुविधा होनी थी जो विकास के संसाधनों को हड़पते रहने के अभ्यस्त हो गए हैं. अतः उन्होंने सरकार की आरक्षण हेतु घोषित नीति की अवहेलना करते हुए गाँव की प्रधान पद को अन्य पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित घोषित कर दिया है. इससे मैं चुनाव मैदान से बाहर कर दिया गया हूँ ताकि गाँव में अशिक्षित असामाजिक तत्व सत्तासीन रह सकें और विकास क्षेत्र के अधिकारियों के साथ मिलकर विकास के संसाधनों को हड़पते रहें. 

मेरे पद के लिए प्रत्याशी होने का समाचार दूर-दूर तक फ़ैल चुका था जिससे लोगों को गाँव के क्षेत्र के विकास के लिए भृष्टाचार पर अंकुश लगने की आशा थी. मेरी अभिलाषा थी कि मैं इस पद से अपने गाँव को एक आदर्श गाँव के रूप में विकसित कर दूंगा ताकि देश के अन्य गाँवों को उसी आधार पर विकसित होने का मार्ग प्रशस्त हो सके. इस योजना के अंतर्गत -
  • गाँव में कुटीर उद्योगों की स्थापना से गाँव के प्रत्येक नागरिक को गाँव में ही रोजगार के अवसर प्रदान करना है,
  • गाँव के किसी नागरिक को अपने कार्यों के लिए किसी सरकारी कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं होगी और जनपद स्तर तक के अधिकारी नियमित रूप से गाँव अथवा क्षेत्र में ही अपने शिविर लगायेंगे और नागरिकों की उचित समस्याओं का तत्काल निवारण करेंगे,
  • गाँव में एक उच्च प्राथिमिक विद्यालय, कन्या माध्यमिक विद्यालय, एक डिग्री कॉलेज, और एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के स्थापना होगी ताकि स्थानीय लोगों में सभ्यता विकास एवं रोजगार हेतु शिक्षा एवं कौशल विकसित हो,
  • गाँव में एक खेल स्टेडियम की स्थापना हो ताकि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को अपनी प्रतिभा दर्शाने के अवसर मिलें. अभी गाँव में कोई खेल का मैदान भी नहीं है. 
  • गाँव की सार्वजनिक संपदा, प्रमुखतः भूमि, को निजी अधिकारों से मुक्त करा निर्धन और भूमिहीन परिवारों को देना ताकि वे अपने कूड़े-करकट गाँव के मार्गों के दोनों ओर डालने के लिए विवश न रहें. इससे गाँव का वातावरण शुद्ध होगा और लोग स्वस्थ रहेंगे. 
  • गाँव में चल रहे अनेक अवैध शराब के विक्रय केन्द्रों को बंद कराया जाएगा ताकि लोग शराब से विमुख होकर विकास की ओर ध्यान दें.
  • गाँव में होने वाले झगड़े-फिसादों को गाँव में ही निपटाया जाएगा, ताकि सौहार्द-पूर्ण वातावरण बने और लोगों की कमाई मुकदमों पर व्यर्थ न हो. 
  • गाँव के प्रत्येक मार्ग के दोनों ओर वृक्षारोपण होगा ताकि वातावरण शुद्ध हो, और गाँव सभा को नियमित आय हो. इससे मार्गों पर अवैध अधिकारों से मुक्त रखा जा सकेगा. 
  • गाँव में विद्युत् व्यवस्था दुरुस्त कराई जायेगी और लोगों को इसकी चोरी न करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि वे वैध रूप से विद्युत् उपभोक्ता बनें.                                              
DIY's Holiday Workshop 102उपरोक्त प्रावधानों से गाँव के असामाजिक तत्वों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की वर्तमान भृष्ट गतिविधियों पर अंकुश लग जाता जो उन्हें पसंद नहीं है. इसलिए इन सब ने मिलकर मुझे मेरे अधिकार से वंचित किया है.