आधुनिक भारत में अनेक जन नायक हुए हैं, किन्तु कोई भी लम्बे समय तक नेतृत्व का दायित्व नहीं संभालता पाया गया है. महात्मा गाँधी निश्चित रूप से जन नायक थे किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वे नेतृत्व भर से मुक्त ही रहना चाहते थे, अतः उन्हें भी ऐसा जन नायक नहीं कहा जा सकता जो प्रत्येक स्थिति में जनता का नेतृत्व कर सके. अतः गांधी को जन नायक तो कहा जा सकता है किन्तु भारत नायक नहीं कहा जा सकता जिसके लिए कठोर एवं प्रखर राष्ट्रवाद की भावना की आवश्यकता है. इसके विपरीत गाँधी केवल मानवतावादी थे.
स्वतंत्र भारत के नेताओं में केवल एक नाम ऐसा है जो तब से अब तक सम्मान के साथ याद किया जाता है और जिसने अपने दायित्व निर्वाह से स्वयं को अद्वितीय सिद्ध किया था. यह नाम है 'सरदार वल्लभ भाई पटेल', जिन्होंने अंग्रेजों की देन विखंडित भारत को एक छ्त्र के नीचे ला दिया जिसकी क्षमता अन्य किसी नेता में नहीं थी. यदि स्वतंत्र भारत का नेतृत्व सरदार को दिया जाता तो आज देश की यह दुर्दशा न होती जो नेहरु और उसके परिवार ने की है.
दूसरा व्यक्ति जो भारत को सही नेतृत्व प्रदान करने में समर्थ था वह थे 'नेताजी सुभाष चन्द्र बोस' जिनके लिए देश सर्वोपरि था, लोगों की स्वतन्त्रता अथवा नेताओं के स्वार्थ राष्ट्र हित के समक्ष कोई महत्व नहीं रखते थे. इसी कारण से वे भारत में स्वतन्त्रता के तुरंत बाद जनतंत्र की स्थापना के विरोधी थे. वे चाहते थे कि जनतांत्रिक अधिकार पाने से पहले भारतीयों को अनुशासन सिखाना होगा जिसका उस समय तो नितांत अभाव था ही, आज की स्थिति और भी अधिक दयनीय हुई है.
स्वतन्त्रता से पूर्व के भारत, उसके बाद के भारत में केवल अंतर इतना है कि उस समय विदेशी भारतीयों का बहुविध शोषण कर रहे थे और आज देशी लोग भारतीयों का शोषण ही नहीं कर रहे, उन्हें बहुविध पथ-भृष्ट भी कर रहे हैं ताकि वे कुशासन के विरुद्ध सिर उठाने योग्य ही न रहें. आज के भारत का कुशासन अंग्रेज़ी कुशासन से अधिक घातक है.
भारतीयों में जिन गुणों का नितांत अभाव है तथापि सर्वाधिक अपरिहार्यता है, वे हैं - अनुशासन और राष्ट्रवाद. अतः भारत और भारतीयों को सही दिशा देने के लिए नायक में इन दोनों गुणों की सर्वाधिक आवश्यकता है. अनुशासन के सापेक्ष स्थिति इतनी विकृत कर दी गयी है कि कठोर कदम उठाये बिना इसकी स्थापना संभव नहीं रह गयी है. अतः वर्तमान भारत नायक को कठोर अनुशासक होने की आवश्यकता है जिसमें लोगों की वर्तमान निरंकुश स्वतन्त्रता] जिसने अब उद्दंडता का रूप ले लिया है, का हनन होना स्वाभाविक है. इस विषय में संदेह यह व्यक्त किया जाता है कि लोग इसे पसंद नहीं करेंगे. किन्तु वस्तुतः ऐसा नहीं है, जन-साधारण आज के छोटे-बड़े नेताओं से इतना तृस्त है कि वे कठोर अनुशासक को पसंद करेंगे. इसका विशेष कारण यह है कि कठोर अनुशासन में जन-साधारण को कोई हानि नहीं है, हानि केवल आज के स्वार्थी नेतृत्व को ही होनी है. और यही जन-साधारण की हार्दिक अभिलाषा है.
आधुनिक विश्व और वैश्वीकरण के सन्दर्भ में राष्ट्रवाद का महत्व क्षीण है, किन्तु भारत के हितों की रक्षा के लिए और विदेशियों द्वारा इसके शोषण को रोकने के लिए इसकी नितांत आवश्यकता है. राष्ट्रवाद राष्ट्र स्तर पर अपना घर संभालने जैसा कार्य है. आज की विडम्बना यह है कि भारत की आतंरिक स्थिति संभाले बिना इसे वैश्वीकरण में धकेल दिया गया है. जिसके कारण अनेक धनाढ्य देश भारतीय हितों के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं और भारत के वर्तमान नेता भारत के इस शोषण में निजी स्वार्थों के लिए सहयोग दे रहे हैं. अतः, आज आवश्यकता यह है कि हमें विश्व की ओर से अपने द्वार कुछ समय के लिए बंद कर अपना घर संभालना चाहिए, जिसके बाद वैस्वीकरण से भारत के हितों को कोई आंच नहीं आ सकेगी. अतः वर्तमान भारत के नायक के लिए कठोर अनुशासक होने के साथ-साथ प्रखर राष्ट्रवादी होने की आवश्यकता है.
आपकी राय से सहमत - अपने लाल बहादुर शाश्त्रीजी का नाम क्यों छोड़ दिया
जवाब देंहटाएंआज वास्तव में सख्त अनुशासन वाला नेतृत्व चाहिए और साथ-साथ निडर और निःस्वार्थी भी | बहुत ही दर्दनाक स्थिति है इस देश के व्यवस्था का चारो तरफ सरकार में बैठे भ्रष्ट लोगों द्वारा लूट खसोट मची हुयी है..और आम नागरिक भूखे कराह कर चोरी-चकारी,बेईमानी करने को मजबूर है ?
जवाब देंहटाएंवर्तमान समय में तो मेरे मुताबिक दो ही लोगों के अंदर मुझे ये सामर्थ्य नज़र आता है
जवाब देंहटाएं1. श्री नरेन्द्र मोदी 2. स्वामी रामदेव
महक
@आदरणीय एवं मेरे प्रिय देवसूफी राम कु० बंसल जी
जवाब देंहटाएं" ब्लॉग संसद " का सदस्य बनने का invitation ना जाने कब से आपकी e-mail id पर आया हुआ है ,आपने अभी तक उसे स्वीकार क्यों नहीं किया ?
अगर वो invitation आप तक नहीं पहुंचा है तो मैं उसे दोबारा send कर देता हूँ ,आपकी e-mail id पर फिर से एक invitation आएगा ,उस पर क्लिक करते ही वो आपसे आपकी e-mail id और पासवर्ड मांगेगा ,उसे डालते ही और क्लिक करते ही आप भी " ब्लॉग संसद " के member बन जायेंगे , डरीयेगा मत क्योंकि वो पासवर्ड मेरे पास नहीं आएगा ,ये ब्लॉगर वेबसाइट का ही नियम है और इस प्रक्रिया से हर सदस्य को गुजरना पड़ता है ,मुझ पर यकीन ना हो तो आप झा जी से इस बारे में पूछें
हम सबकी " ब्लॉग संसद " आपका,आपके अनुभव का और आपके प्रस्तावों का बेसब्री से इन्तेज़ार कर रही है
महक