भारत में विविध प्रकार के आरक्षण सामाजिक और राजनैतिक भृष्टाचार के प्रतीक हैं और यह महादानव विकराल रूप धारण कर चुका है. इसके माध्यम से राजनेता और प्रशासक अपने मनोवांछित स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं. एक बार फिर, मुझे पंचायत चुनाव में प्रत्याशी होने के अपने मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया है, क्योंकि यह गाँव के असामाजिक तत्वों, विकास क्षेत्र और जनपद के प्रशासनिक अधिकारियों के मनोनुकूल नहीं है.
प्रदेश सरकार की घोषित नीति के अनुसार गाँव खंदोई का प्रधान पद अनारक्षित रहना था जैसा कि सन २००० में रहा था. तदनुसार ग्रामवासी मुझे इस पद पर चुन कर चारों और फैले भृष्टाचार से संघर्ष करते हुए गाँव का विकास चाहते थे. इससे गाँव के असामाजिक तत्वों को और विकास क्षेत्र के अधिकारियों को बड़ी असुविधा होनी थी जो विकास के संसाधनों को हड़पते रहने के अभ्यस्त हो गए हैं. अतः उन्होंने सरकार की आरक्षण हेतु घोषित नीति की अवहेलना करते हुए गाँव की प्रधान पद को अन्य पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित घोषित कर दिया है. इससे मैं चुनाव मैदान से बाहर कर दिया गया हूँ ताकि गाँव में अशिक्षित असामाजिक तत्व सत्तासीन रह सकें और विकास क्षेत्र के अधिकारियों के साथ मिलकर विकास के संसाधनों को हड़पते रहें.
मेरे पद के लिए प्रत्याशी होने का समाचार दूर-दूर तक फ़ैल चुका था जिससे लोगों को गाँव के क्षेत्र के विकास के लिए भृष्टाचार पर अंकुश लगने की आशा थी. मेरी अभिलाषा थी कि मैं इस पद से अपने गाँव को एक आदर्श गाँव के रूप में विकसित कर दूंगा ताकि देश के अन्य गाँवों को उसी आधार पर विकसित होने का मार्ग प्रशस्त हो सके. इस योजना के अंतर्गत -
- गाँव में कुटीर उद्योगों की स्थापना से गाँव के प्रत्येक नागरिक को गाँव में ही रोजगार के अवसर प्रदान करना है,
- गाँव के किसी नागरिक को अपने कार्यों के लिए किसी सरकारी कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं होगी और जनपद स्तर तक के अधिकारी नियमित रूप से गाँव अथवा क्षेत्र में ही अपने शिविर लगायेंगे और नागरिकों की उचित समस्याओं का तत्काल निवारण करेंगे,
- गाँव में एक उच्च प्राथिमिक विद्यालय, कन्या माध्यमिक विद्यालय, एक डिग्री कॉलेज, और एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के स्थापना होगी ताकि स्थानीय लोगों में सभ्यता विकास एवं रोजगार हेतु शिक्षा एवं कौशल विकसित हो,
- गाँव में एक खेल स्टेडियम की स्थापना हो ताकि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को अपनी प्रतिभा दर्शाने के अवसर मिलें. अभी गाँव में कोई खेल का मैदान भी नहीं है.
- गाँव की सार्वजनिक संपदा, प्रमुखतः भूमि, को निजी अधिकारों से मुक्त करा निर्धन और भूमिहीन परिवारों को देना ताकि वे अपने कूड़े-करकट गाँव के मार्गों के दोनों ओर डालने के लिए विवश न रहें. इससे गाँव का वातावरण शुद्ध होगा और लोग स्वस्थ रहेंगे.
- गाँव में चल रहे अनेक अवैध शराब के विक्रय केन्द्रों को बंद कराया जाएगा ताकि लोग शराब से विमुख होकर विकास की ओर ध्यान दें.
- गाँव में होने वाले झगड़े-फिसादों को गाँव में ही निपटाया जाएगा, ताकि सौहार्द-पूर्ण वातावरण बने और लोगों की कमाई मुकदमों पर व्यर्थ न हो.
- गाँव के प्रत्येक मार्ग के दोनों ओर वृक्षारोपण होगा ताकि वातावरण शुद्ध हो, और गाँव सभा को नियमित आय हो. इससे मार्गों पर अवैध अधिकारों से मुक्त रखा जा सकेगा.
- गाँव में विद्युत् व्यवस्था दुरुस्त कराई जायेगी और लोगों को इसकी चोरी न करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि वे वैध रूप से विद्युत् उपभोक्ता बनें.
इसके लिए आपको भी अपने खिलाफ गुट की तरह ही रणनीति अपनानी चाहिए ,आपको अपने किसी समर्थक अन्य पिछड़ी जाति के व्यक्ति को चुनाव में खड़ा कर जीतवा देना चाहिए यदि आपका प्रत्याशी विजयी होता है तो आप उसे आगे कर अपना गांव विकास का एजेंडा पूरी तरह लागू कर सकते है |
जवाब देंहटाएंये राजनीती है इसमें राजनितिक चालों को राजनितिक हथकंडो से ही काटा जा सकता है | जो मैंने तरीका सुझाया है एसा प्रयोग मैंने लोगों को अक्सर करते देखा है |
शेखावत जी की सलाह नेक और दुरुस्त है आप अपने तरीके से जुगाड़ कर बाजी पलट सकते हैं
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