एक ओर भारत के राजनैतिक अपराधी अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए देश के सघन शहरों से लेकर सुदूर ग्रामों तक आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि लोग आक्रांत रहते हुए उनकी शरण पाने हेतु लालायित रहें, तो दूसरी ओर देश के चुनिन्दा बुद्धिजीवी अल्प संख्या में होने पर भी देश में सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयास कर रहे हैं. आज २२ अगस्त २०१० को इन बुद्धिजीवियों ने दिल्ली में लोदी मार्ग स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर के एक कक्ष में इंडिया रिजुवेनेशन इनिशिएटिव के तत्वाधान में विचार विमर्श किया जो उनकी २३वीन बैठक थी. इस बैठक की विशेषता यह रही कि एक ओर राष्ट्रीय स्तर पर भृष्टाचार उन्मूलन हेतु संकल्पित भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा एवं अन्य वर्गों के अनेकानेक सेवारत और सेवानिवृत अधिकारी उपस्थित थे तो दूसरी ओर जन-सामान्य के स्तर पर कार्य करने वाले अनेक समर्पित बुद्धिजीवी भी वहां उपस्थित थे. इन दोनों वर्गों की उपस्थिति स्पष्ट संकेत देती है कि परिवर्तन के प्रयास ग्राम स्तर से लेकर राष्ट्र स्तर तक किये जा रहे हैं.
राष्ट्र स्तर पर सक्रिय उक्त बुद्धिजीवियों में सर्वश्री विजय शंकर पाण्डेय, सुनील कुमार, जाविद चौधरी (सभी आई ए एस), श्री बी. आर. लाल (आई पी एस), सहित एक दर्ज़न सज्जन उपस्थित थे. जिन सज्जनों की उपस्थिति अपेक्षित थी उनमें सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश श्री आर सी लाहोटी, और उत्तर प्रदेश पुलिस के उप महा निरीक्षक (प्रशिक्षण) थे जो कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण उपस्थित न हो सके.
ग्राम से जनपद स्तर पर कार्य करने वालों में मैं स्वयं, इटावा के श्री महेश मानव, राजस्थान के विधायक श्री सुखराम कोली, आदि ने भाग लिया. दोनों वर्गों के समन्वय का श्रेय ओनेस्टी प्रोजेक्ट के श्री जय कुमार झा को जाता है. श्री महेश मानव अनेक वर्षों से इस कार्य में लगे हैं और देश भर में समधर्मियों से मिलकर देश में एक सर्वव्यापक आन्दोलन की रचना कर रहे हैं. श्री सुखराम कोली विधायक होते हुए भी अपनी सरलता और सहजता के साथ जन सामान्य के हितों के लिए समर्पित हैं. वे यात्राओं के लिए जन साधारण की तरह सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करते हैं, और अपनी सुख सुविधा के लिए सार्वजनिक धन के उपयोग से बचे ही रहते हैं.
इंडिया रिजुवेनेशन इनिशिएटिव ने स्विस बैंकों में जमा देश के १,४५६ बिलियन डॉलर को देश में वापिस लाने हेतु एक अभियान चला रखा है जिसको अनेक समाचार पत्रों और ब्लोगों पर प्रकाशित किया गया है. यह धन देश के कुल विदेशी ऋण का लगभग ७ गुणित है तथा इसके देश में ही उपयोग किये जाने से भारत में विश्व स्तर के साधन बड़ी सुगमता से विकसित किये जा सकते हैं जिससे भारत तुरंत विकसित देशों की श्रेणी में पहुँच सकता है.
धरा स्तर पर कार्य करने वाले बुद्धिजीवियों ने अपनी कठिनाइयाँ बताते हुए उनसे अपने सतत संघर्षों के संकल्प व्यक्त किये. उच्च स्तर पर कार्यरत बुद्धिजीवियों ने धरा स्तर पर कार्य करने वाले लोगों को अपने पूरे सहयोग का आश्वासन देते हुए उनका उत्साह बढाया. वस्तुतः धरा स्तर पर कार्य करना अधिक दुष्कर है क्यों कि अधिकाँश भृष्ट अधिकारी और राजनेता उनके कार्यों में बाधाएं खडी करते रहते हैं.
ये सभी इमानदार पूर्व और वर्तमान अधिकारी देश और समाज में फैले भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए पूरी तरह समर्पित होकर काम कर रहें हैं ...इनका प्रयास बेहद सराहनीय और अनुकरणीय है ...
जवाब देंहटाएंआपसे इस मीटिंग में मिलना बहुत ही अच्छा लगा,श्री सुखराम कोली जी जैसे चरित्रवान लोगों की आज इस देश के लोगों तथा राजनीती को सख्त जरूरत है ,कुलमिलाकर इस मीटिंग को एक घनघोर अँधेरे को मिटाकर सुबह का उजाला लाने के सच्चे प्रयास के रूप में देखा जा सकता है ...