खेल आधुनिक जीवन के सुसंगठित व्यावसायिक अंग बन गए हैं जबकि इनका व्यवसायीकरण स्वयं इनके और खिलाड़ियों के अस्तित्व के लिए घातक बनता जा रहा है. तथापि कुछ चतुर व्यक्तियों को खेलों की चिंता के सापेक्ष अपने व्यावसायिक लाभों की अधिक चिंता रहती है और वे इस बारे में लोगों को भ्रमित कर उन्हें खेल देखने के लिए आकर्षित करते रहे है. इससे खेल अपने वास्तविक एवं प्राकृत उपयोग से दूर होते जा रहे हैं. वस्तुतः खेलों के दो प्राकृत उपयोग हैं - कौशल विकास और स्वास्थ लाभ.
कौशल विकास
प्रत्येक जीव में एक अंतर्चेतना खेल-खेल में शिक्षा-दीक्षा गृहण करना है जिसके कारण प्रत्येक जीव जन्म से ही खेलों में रमने लगता है और उन्हीं के माध्यम से अपनी जीवनोपयोगी विद्याएँ गृहण करता है और उनका अभ्यास करता रहता है. अतः खेल जीवनोपयोगी विद्याएँ सीखने के प्राकृत माध्यम होते हैं. इसी कारण प्रत्येक खेल खिलाड़ी में किसी कौशल का विकास करता है, जो केवल खेल में ही उपयोगी न होकर जीवन में उपयोगी होता है. इसके विपरीत, प्रत्येक कौशल के विकास हेतु किसी खेल की आवश्यकता होती है. खेल जीवन में वैज्ञानिकों के प्रयोगों की तरह होते हैं जो वस्तुस्थिति से हटकर प्रयोगशालाओं में परीक्षित किये जाते हैं और सफल सिद्ध होने पर उनके सार्थक उपयोग किये जाते हैं.
खेलों द्वारा विकसित कौशल को केवल खेल के लिए उपयोग करना खेलों के प्राकृत उपयोगों के विरुद्ध है, जिसके कारण पेशेवर खिलाड़ी समाज के ऊपर निरर्थक भार होते हैं, जैसे कोई वैज्ञानिक जीवन भर प्रयोगशाला में निरर्थक प्रयोग करता रहे. खेल प्रत्येक जीव के लिए सार्थक कौशल विकसित करने के माध्यम होते हैं और इनका उपयोग इसी उद्येश्य से किया जाना चाहिए.
स्वास्थ लाभ
खेलों का दूसरा लाभ खिलाड़ियों को व्यायाम द्वारा स्वास्थ लाभ प्रदान करना है. चूंकि स्वास्थ सभी के लिए सर्वाधिक महत्व रखता है, इसलिए प्रत्येक जीव को खिलाड़ी होना चाहिए. वस्तुतः ऐसा होता भी है, अधिकाँश जीव स्वास्थ लाभ के लिए अपनी इच्छानुसार खेल खेलते है भले ही वे औपचारिक खेल न माने जाते हों.
इन प्राकृत उपयोगों के लिए खेल जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं. किन्तु खेल केवल औपचारिक नियमन और नामकरण वाले ही नहीं होते. बच्चे की किलकारी भी उसके लिए एक खेल होता है जो वह अपना हर्ष प्रकट करने के लिए उपयोग में लाता है. इससे उसके स्वर तंत्र का अभ्यास होता है और वह सीखता है कि किलकारी सभी के लिए आनंददायक होती है. इसी से वह अपनी किलकारियों में विविधता लाकर उनके विविध उपयोगों की खोज भी करता है.
आधुनिक खेल व्यवसाय मनुष्य जाति को खेल खेलते रहने से दूर ले जाते हुए दूसरों को खेलते हुए देखने के लिए उकसाते रहते हैं जिससे लोग स्वयं खेल खेलने से दूर होते जा रहे हैं और स्वयं कौशल विकास से वंचित रहने के कारण जीवन में असफल होते हैं.
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