शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

हम किधर जा रहे हैं

विगत लगभग एक माह में मेरे गाँव में कुछ घटनाएँ हुईं जो हमारे चारों ओर घट रही अनेक घटनाओं जैसी ही हैं किन्तु इनसे हमें स्पष्ट संकेत मलते हैं कि हम भारतवासी इस समय किधर जा रहे हैं, और इस मार्ग पर चलते हुए हमारा भविष्य क्या होगा. 

अधिकार और चोरी 
गाँव के एक वयोवृद्ध किसान अपने खेत की सिंचाई के लिए अपना ट्यूबवेल चला रहे थे जो ४४० वोल्ट पर चलता है. अचानक एक ११००० वोल्ट की लाइन का एक तार टूटा और ट्यूबवेल की ४०० वोल्ट लाइन पर आ पड़ा. मोटर को ११००० वोल्ट प्राप्त होने पर उसकी ध्वनि बदली तो किसान मोटर बंद करने के लिए स्टार्टर की ओर भागे. जैसे ही उन्होंने उसे छुआ, उनके शरीर में विद्युत् धारा प्रवाहित हुई, और वे ट्यूबवेल के कुए में गिर गए. वहां उनका एक पैर और एक हाथ कट गया. कुछ समय बाद उनका मृत शरीर कुए से निकाला गया. उनका शरीर और कपडे बुरी तरह झुलसे हुए थे.

मैंने उनके पुत्र को बताया कि मृत्यु विद्युत् प्रशासन की लापरवाहियों से हुई है इसलिए उन्हें इसकी पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए जिससे उन्हें ५ लाख रुपये तक की क्षतिपूर्ति हो सकेगी. किन्तु मेरा सुझाव यह कहकर नकार दिया गया कि उनकी आय बहुत है इसलिए वे किसी क्षतिपूर्ति की मांग नहीं करेंगे. शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

क्षतिपूर्ति किसान का अधिकार था किन्तु इसे प्राप्त करने के लिए कुछ संघर्ष करना पड़ता, जिससे बचा गया. यही परिवार घर में उपयोग के लिए बिजली की चोरी करता है जिसका बिल केवल १३२ रुपये प्रति माह देना पड़ता जिसे बचने के लिए चोरी की जा रही है. विचार कीजिये कि एक ओर ५ लाख रुपये को इसलिए ठुकराया गया कि घर में आय की कोई कमी नहीं है. दूसरी ओर रुपये ४.५० की प्रतिदिन चोरी की जा रही है. अब क्या हो नैतिकता का मूल्य, हमारी दृष्टि में.

एक प्रसिद्ध कथावत है - व्यक्ति को अधिकार भीख में नहीं मिलते, इन्हें आगे बढ़कर पाया जाता है. दूसरे शब्दों में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों के लिए भी संघर्ष करने की आवश्यकता होती है. जो लोग संघर्ष नहीं करते वे अपने अधिकारों से वंचित ही रह जाते हैं. इससे उनकी उपलब्धियां अल्प हो जाती हैं जिसके कारण वे जीवन को अभावग्रस्त अनुभव करते हैं और आत्म संतुष्ट नहीं हो पाते. इस अभाव की आपूर्ति के लिए वे छल-कपट का मार्ग अपनाते हैं जिससे समाज में विकृतियाँ उत्पन्न करते हैं. भारत के जन साधारण की मानसिकता की वर्तमान स्थिति ऐसी ही है जो उपरोक्त उदाहरण से स्पष्ट है.

शराबी का पतन 
गाँव का एक सतीश नामक हृष्ट-पुष्ट युवा था बहुत परिश्रमी. मजदूरी करके परिवार का लालन-पालन करता था बड़ी खुशी के साथ. सन २००५ में गाँव में पंचायत प्रधान का चुनाव हुआ. चुनाव जीतने के लिए एक प्रत्याशी ने पूरे गाँव के शराबियों को इच्छानुसार पीने की दावतें दीन लगभग एक महीन तक, जिनमें लगभग १ लाख रूपया व्यय हुआ. उक्त युवा प्रत्याशी का मित्र था इसलिए दावतों में उसने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इसके बाद अन्य तथाकथित जनतांत्रिक चुनाव हुए और उनमें भी जी भर के शराब की दावतें हुईं. परिणामस्वरूप उक्त युवा सुबह से शाम तक पीने वाला शराबी बन गया. मुफ्त की शराब न मिलने पर उसने अपनी कमाई से शराब पीनी आरम्भ कर दी जिससे परिवार का लालन-पालन दूभर हो गया और घर में नित्य प्रति कलह होने लगी.

अभी कुछ दिन पूर्व, सतीश नशे में धुत अपने घर की छत पर सोया और रात्री में नीचे गिर गया. पत्नी उससे नाराज थी ही इसलिए उसने उसकी कोई परवाह नहीं की और वह रात भर वहीं पड़ा रहा. सुबह पत्नी उठी और वर्तमान ग्राम प्रधान, जिसने शराब पिलाकर पड़ प्राप्त किया था, के पास गयी और उससे उसके मित्र की हालत देखने को कहा. सतीश की गर्दन टूट चुकी थी और वह बेहोश था. उसे तुरंत दिल्ली अस्पताल भेजा गया. राजकीय अस्पताल में चिकित्सा पर लगभग ५०,००० रुपये व्यय करने के बाद अब सतीश गाँव में आ गया है. किन्तु उसके शरीर का नीचे का आधा भाग मृत है जिसके कारण वह केवल पड़े रहने में ही समर्थ है - जीवन की प्रत्येक कार्य के लिए पराश्रित. उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, परिवार भूमिहीन है इसलिए अब आय का कोई साधन नहीं है. उसकी पत्नी की मजदूरी करके बच्चे पालना विवशता है किन्तु ऐसा करते हुए वह सतीश की देखभाल नहीं कर सकती. इस प्रकार भारत के तथाकथित जनतंत्र ने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया है.

गुंडे के पिता की मृत्यु
अभी कुछ दिन पूर्व एक गुंडे ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था जिसका दंड उसे पुलिस द्वारा दिया गया. दंड देने की प्रक्रिया को विलंबित और सुकोमल करने के लिए पुलिस ने उसके परिवार से ३२,००० रुपये की रिश्वत ली तथापि उसे दंड भी पर्याप्त दिया गया. मामला अब न्यायालय में है.

उक्त गुंडे का पिता एक सज्जन एवं परिश्रमी लगभग ५० वर्षीय किसान था तथापि पुत्र मोह में गुंडागर्दी का समर्थन करता था. वह अपने पुत्र के अपराध के कारण उक्त धन और अपमान की क्षति को सहन नहीं कर सका और पुलिस कार्यवाही के दो दिन बाद ह्रदय गति रुक जाने से मृत्यु को प्राप्त हो गया. इस प्रकार गुंडे के दंड में पिता की मृत्यु भी सम्मिलित हो गयी.

जब हम अपनों के दोषों की अवहेलना करने लगते हैं तो दोष में वृद्धि होती रहती है जो एक दिन विनाशकारी सिद्ध होती है.

10 टिप्‍पणियां:

  1. जब हम अपनों के दोषों की अवहेलना करने लगते हैं तो दोष में वृद्धि होती रहती है जो एक दिन विनाशकारी सिद्ध होती है .. बहुत सही !!

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  2. सच में आपके द्वारा वर्णित इन घटनाओं को पढ़कर बहुत अफ़सोस होता है और रोने का दिल करता है , ये सब हमारी शिक्षा प्रणाली में नैतिक और चारित्रिक शिक्षा के अभाव का नतीजा है ,बड़े-2 भवन खड़े करके होने वाला विकास तो बाद में करना चाहिए पहले देश का चारित्रिक और नैतिक विकास करना पड़ेगा और दुष्टों को सौ फ़ीसदी दंड की व्यवस्था करनी पड़ेगी तभी कुछ संभव है

    हमारे नागरिकों की इस गलत मानसिकता के विषय में कुछ इसी तरह के अनुभव मैंने भी अपने ब्लॉग की इस पोस्ट पर लिखे थे
    जब अपनी जनता की ही ऐसी मानसिकता है तो नेताओं को क्या कहा जाए

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  3. बंसल साहब नमस्कार ,
    आपके पहले घटना "अधिकार और चोरी" के बारे में मैं इतना कहना चाहूँगा की ,हो सकता है ट्यूबवेल का कनेक्सन भी अवैध या किसी प्रकार के हेरा-फेरी पे आधारित हो या कानूनी प्रक्रिया में देरी की वजह से मृत व्यक्ति के परिजन मुआबजे की मांग के लिए आगे न बढे हों | लेकिन इस घटना में F .I .R का दर्ज नहीं होना बिजली बिभाग के लापरवाही और अनियमितता को और बढ़ाने का काम करेगा जो आम लोगों को भी दुःख पहुंचाएगा |
    आपके दुसरे घटना "शराबी का पतन"और तीसरे घटना "गुंडे के पिता की मृत्यु "के बारे में मेरा कहना है की कर्म और फल का अटूट रिश्ता है ,इसलिए कोई भी बुरा कर्म नहीं करना चाहिए और खासकर किसी भी सच्चे,अच्छे,इमानदार और देशभक्त को तो जरा भी तकलीफ नहीं पहुंचानी चाहिए | अच्छे और परोपकारी व्यक्ति की हर-हाल में तन,मन ,धन और ताकत से मदद जरूर करनी चाहिए | दोष चाहे अपना हो या पराया दोषों के सुधार के लिए नहीं सोचना और उसकी अवहेलना समूची मानवजाति के लिए विनाशकारी है |

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  4. आपके ग्राम प्रधान वाले प्रकरण का क्या हुआ .
    सरकार तो कड़े ही ऐसे बना रही है की लोग चोरी करें और मुह बंद रखें

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  5. यदि ग्राम प्रधान पद अनारक्षित रहा, जैसी की आशा है, तो मैं निश्चित रूप से चुना जाऊंगा, संभवतः निर्विरोध. लोगों में बहुत जोश है.

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  6. Part 1of 4

    बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

    दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

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  7. आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
    जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
    तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
    मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


    1. डॉ. अनवर जमाल जी
    2. सुरेश चिपलूनकर जी
    3. सतीश सक्सेना जी
    4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
    5. प्रवीण शाह जी
    6. शाहनवाज़ भाई
    7. जीशान जैदी जी
    8. पी.सी.गोदियाल जी
    9. जय कुमार झा जी
    10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
    11.असलम कासमी जी
    12.राजीव तनेजा जी
    13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
    14.साजिद भाई
    15.महफूज़ अली जी
    16.नवीन प्रकाश जी
    17.रवि रतलामी जी
    18.फिरदौस खान जी
    19.दिव्या जी
    20.राजेंद्र जी
    21.गौरव अग्रवाल जी
    22.अमित शर्मा जी
    23.तारकेश्वर गिरी जी

    ( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

    मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
    common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
    प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

    mahakbhawani@gmail.com

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  8. हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

    आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

    तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
    इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

    जय हिंद

    महक

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  9. @महक
    आपका विचार अच्छा है .इसकेलिए सबसे पहले तो अपने वास्तविक नाम और फोटो सामने लायें.

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  10. प्रिय महक,
    मैं विगत १५ वर्षों से एक वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार विमर्श कर लिखता रहा हूँ. क्योंकि मेरा विचार है कि हमें किसी परिवर्तन के लिए कदम बढ़ाने से पूर्व हमें वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर लेनी चाहिए. इसके लिए मैंने अपने निम्नलिखित ब्लोगों पर लिखा है -
    http://intellocracy.today.com
    http://intellocracy.blogspot.com
    http://bhaarat-bhavishya-chintan.blogspot.com

    Ram Bansal

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