मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

भारत की प्रथम राज्य व्यवस्था

 जब देवों ने भारत भूमि को अपना घर बनाया था उस समय उनकी शासन करने की कोई अभिलाषा नहीं थी. वे बस यही चाहते थे कि यहाँ की समतल एवं उर्वरक भूमि मानवता के विकास के लिए हो क्योंकि इतनी विशाल समतल एवं सजल भूमि उन्हें अन्यत्र नहीं पाई थी. इसलिए उन्होंने बिना कोई राज्य-व्यवस्था स्थापित किये ही विकास कार्य आरम्भ कर दिए.

उनके विकास से प्रभावित होकर अनेक जातियों ने इस भूमि पर अपना अधिकार चाह जिसके लिए सबसे पहले यहाँ यहूदी आये और इश्वर, धर्म आदि के नाम पर लोगों को पथ्भ्रिष्ट करने लगे ताकि उनपर शासन करना सरल हो. इसका देवों द्वारा विरोध किये जाने पर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गयी, जिससे निपटने के लिए उन्हें अपनी राज्य-व्यवस्था कि अनिवार्यता अनुभव हुई और उन्होंने इसका निर्णय लिया.


यहूदियों का प्रथम मुख्यालय दक्षिण भारत के मदुरै में था जिसका सीधा मुकाबला करने के लिए उन्होंने अपनी राज्य व्यवस्था के मुख्यालय के लिए दक्षिण भारत में ही एक नया नगर बसाया और उसे अपने प्रसिद्द विद्वान् अत्री के सम्मान में 'आत्रेयपाद' नाम दिया जिसे आज हैदराबाद कहा जाता है. हैदराबाद की चारमीनार नगर एवं राज्य कि स्थापना के अवसर पर बनायी गयी थी.

ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश्वर के पिताश्री दशरथ को राज्याध्यक्ष बनाया गया. यहाँ यह भी ध्यान दिया जाये कि इन तीनों भाइयों को बाद के लिखे झूंठे ग्रन्थ 'वाल्मीकि रामायण' में राम, लक्ष्मण तथा भरत कहा गया है जो इनके गुणात्मक नाम थे. उस समय गुणात्मक नामों का प्रचालन था जो व्यक्तियों के कर्मों के अनुसार निर्धारित किये जाते थे और इनको वास्तविक नामों से अधिक महत्व दिया जाता था ताकि लोग सत्कर्म करने के लिए उत्साहित हों.

राज्य व्यवस्था में ब्रह्मा को युवराज घोषित किया गया जिसपर भरत ने घोर आपत्ति की क्योंकि वे आयु में सबसे बड़े थे और युवराज बनाने के अधिकारी थे. इस आपत्ति के कारण राज्य को तीन भागों में बांटा गया तथा तीनों भाइयों को भागों का उप-राज्याध्यक्ष बनाया गया. तदनुसार ब्रह्मा को पूर्वी क्षेत्र का प्रबंध सौंपा गया और उनका मुख्यालय वर्तमान के म्यांमार क्षेत्र में, जिसका नाम अभी कुछ समय पहले तक ब्रह्मा ही था, प्रजा नामक स्थान में रखा गया जिसके कारण ब्रह्मा को प्रजापति भी कहा जाने लगा..

मध्य क्षेत्र का कार्यभार विष्णु को दिया गया जिसका मुख्यालय वर्तमान के पश्चिमी बंगाल में स्थित विष्णुपुर को बनाया गया. उसी समय बनाये गए महल विष्णुपुर में आज भी विद्यमान हैं. पूर्वी क्षेत्र भरत के अधीन दिया गया जिसका मुख्यालय वर्तमान राजस्थान के राजगढ़ को बनाया गया. राजगढ़ का विशाल किला खँडहर अवस्था में आज भी विद्यमान है.

3 टिप्‍पणियां:

  1. ये कहाँ की कपोल कल्पना और मनगढ़न्त बाते हैं?

    जवाब देंहटाएं
  2. जिन लोगों के मस्तिष्क सदियों से धो धो कर खाली कर दिए गये हैं, उनके लिए वास्तविकता कपोल-कल्पना ही प्रतीत होगी.

    जवाब देंहटाएं
  3. but your articles have inconsistencies for this story? are you are looking for feedback so that you can improve them?

    जवाब देंहटाएं

केवल प्रासंगिक टिप्पणी करें, यही आपका बौद्धिक प्रतिबिंब होंगी