आपके प्रधान मंत्री बनने को लगभग एक माह होने जा रहा है, किन्तु महंगाई, भृष्टाचार, बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर अभी तक सरकार ने अपनी इच्छाशक्ति भी नहीं दर्शाई है। सवा करोड़ भारतीयों के जीवन जीवन स्तर में सुधार तो बहुत दूर की बात है। गंगा की स्वच्छता योजना और काले धन पर जाँच दल जैसे बड़े लोगों के वैभवशाली कदम तो पूर्व की सरकारों ने भी उठाये थे जिन पर गरीब भारतीयों की गाढ़े पसीने की कमाई के हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला। अब कुछ सकारात्मक होगा इसके कोई आसार नहीं लगते।
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शुक्रवार, 20 जून 2014
श्रीमान प्रधानमंत्री जी
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रविवार, 15 अप्रैल 2012
चलें गाँव की ओर
शहरों की बढ़ती आबादी की दूसरी सबसे बड़ी समस्या उत्सर्जित पदार्थों के ढेर हैं जहां केवल मॉल-मूत्र से ही भूजल तथा शहरों के पास बहने वाली नदियाँ प्रदूषित हो गयी हैं. वहां सांस लेने के लिए शुद्ध वायु का भी अभाव है. छोटे-बड़े शहरों के आसपास वायु में जहरीले द्रव्यों की मात्रा जीवन मानकों बहुत अधिक है. बढ़ते शहरीकरण की तीसरी समस्या खतरनाक बीमारियाँ जैसे स्वाइन फ्लू, कैंसर, आदि का प्रसार है जिनका भय हर समय बना रहता है और देखते ही देखते लोग अकाल मृत्यु के शिकार होते जा रहे हैं.
शहरीकरण के अंधे दौर ने मनुष्यों को शारीरिक कष्ट ही नहीं दिए, सम्माजिक प्राणी की मानसिक शांति को भी भंग कर दिया है. मनुष्य को उसके प्राकृतिक गुणों प्रेम, दया, परोपकार, समाज-सेवा आदि से दूर कर उसमें अहंकार, भृष्टाचार, दुश्मनी, ईर्ष्या, आदि के बीज बो दिए हैं. वह अधिकाधिक धन कमाने की होड़ में परिवार और समाज से कट चुका है और माता-पिता, पिता-पुत्र, भाई-बहन, आदि के रिश्ते भी केवल कागजी रह गए हैं.
आवश्यकता इस बात की है कि हमारी सरकार की जो भी योजना बनायी जाएँ, वे गाँव को आधार बनाकर बनाई जाएँ. गाँव में रोज़गार के अवसर बढ़ाये जाएँ, कुटीर उद्योगों का विकास हो और शहरीकरण की को सीमित किया जाए, ताकि गाँव से शहरों की ओर को पलायन रुके.
हालांकि सरकार में बैठे जन-प्रतिनिधि, प्रशासक, योजना बनाने वाले लोगों में से अधिकाँश गाँव की मिट्टी में ही पाले-बढे हैं, लेकिन शहरों की चकाचौंध में वे गाँव की पगडंडी, खेतों की हरियाली, कोयल की कूक, मोर का नांच आदि को भूल गए हैं और वे केवल फिल्म, टेलीविजन, आदि के कृत्रिम आनंद में वास्तविकताओं से दूर हो मानसिक अशांति को बढाते जा रहे हैं.
स्वतन्त्रता सैनानियों के गाँव खंदोई से आरम्भ हुए अभियान 'अपनी मात्रभूमि के लिए' में आप सभी सम्मिलित हों ताकि मानवता को समस्याओं से मुक्ति मिले, मन को शांति तथा मन को चैन मिले. तभी 'मेरा गाँव मेरा देश' का सपना साकार होगा.
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