उत्तर प्रदेश के गाँवों में पंचायत चुनावों का दौर चल रहा है जिसमें मेरा गाँव खंदोई भी सम्मिलित है. प्रत्याशियों के पास मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कोई अपने सामाजिक कार्य न होने के कारण उन्हें निःशुल्क शराब पिलाना ही एक मात्र मार्ग है जिसे जोर-शोर से अपनाया जा रहा है. आस-पास के कुछ गाँवों में तो शराब पर ५ लाख रुपये तक व्यय हो चुके हैं किन्तु मेरे गाँव में यह कुछ सीमित है किन्तु अब इसमें तेजी आ रही है. अभी तक मैं स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास करता रहा हूँ किन्तु अब स्थिति मेरे नियंत्रण से बाहर हो रही है.
यद्यपि गाँव में लगभग १०-१२ व्यक्ति ही पियक्कड़ हैं किन्तु शराब के निःशुल्क उपलब्ध होने के कारण लगभग ५० प्रतिशत लोग इसे पीने लगते हैं, जिनमें से अनेक इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि चुनाव के बाद भी वे अपना घर-परिवार नष्ट-भृष्ट करके शराब पीते रहते हैं. इस प्रकार प्रत्येक चुनाव में कुछ नए पियक्कड़ बन जाते हैं. अधेड़ और वृद्ध लोगों को तो जो बनना था वे बन चुके हैं इसलिए उन पर तो इस शराबखोरी का कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, किन्तु युवाओं का इसके चंगुल में आना उनके जीवन के लिए यक्ष प्रश्न बन जाता है. इसलिए उनका इससे दूर रखना बहुत महत्वपूर्ण है.
मेरे गाँव में कोई खेल का मैदान नहीं है, यहाँ तक कि गाँव के माध्यमिक विद्यालय के पास जो खेल के मैदान के लिए स्थान उपलब्ध था उसे प्रबंध समिति ने निजी लाभ के लिए निजी अधिकारों में दे दिया है और उस पर निजी भवन बन चुके हैं. इस कारण से गाँव के युवाओं के लिए खेलों के लिए कोई सार्वजनिक स्थान उपलब्ध नहीं है. इसलिए वे अपनी शामें मार्गों पर खड़े रहकर आवारागर्दी में व्यतीत करते रहे हैं.
गाँव के युवाओं को एक नयी दिशा देने के उद्येश्य से मैंने अपने निवास के उद्यान में खेलों के लिए एक छोटा सा मैदान बना दिया है जो गाँव के सभी व्यक्तियों के लिए खुला रहता है. अब गाँव के लगभग ८०-१०० युवा और बच्चे प्रत्येक शाम को लगभग ४ बजे से ही इस मैदान में आने लगते हैं और संध्या ६-७ बजे तक विविध प्रकार के खेल खेलते रहते हैं जिनमें कबड्डी अधिक लोकप्रिय है. युवा शाम को थक कर अपने घर जाकर भोजन के बाद सो जाते हैं. इस प्रकार वे आवारागर्दी और शराबखोरी से दूर हो गए हैं, और उनमें अपने शरीर शौष्ठव की प्रतिस्पर्द्धा जागृत हुई है.
घर में खेल का सार्वजनिक मैदान बनने से मुझे कुछ असुविधा अवश्य हुई है, उद्यान को भी कुछ आघात पहुंचते हैं, किन्तु गाँव के युवा समाज को लाभ हो रहा है वह मेरी व्यक्तिगत क्षति से अनेक गुणित है. इसलिए मुझे इस सब से प्रसन्नता है.