अंततः विगत सप्ताह मेरे साथ वह हुआ जिसकी मुझे लम्बे समय से आशा थी. मेरे गाँव खंदोई, पुलिस थाना नर्सेना, जनपद बुलंदशहर में गुंडों का एक समूह है जो आरम्भ में तो काफी बड़ा था किन्तु अब उसके अनेक सदस्यों की हत्याओं अथवा गाँव छोड़ देने से कुछ छोटा होगया है. यह समूह चोरी, डकैती, बलात्कार, राहजनी, आदि के साथ-साथ गाँव में अपना वर्चस्व भी बनाये रखता है जिसके लिए गाँव के प्रधान पद पर भी अधिकार करने की प्रत्येक बार कोशिश करता है और इसमें दो बार सफल भी हुआ है. इस समूह को आशा थी कि सितम्बर-अक्टूबर, २०१० में होने वाले पंचायत चुनावों में भी उनका प्रत्याशी विजयी होगा और वे गाँव पर एक-क्षत्र शासन करते रहेंगे.
गाँव में मेरे सक्रिय होने और अनेक क्रांतिकारी सुधार किये जाने के कारण गाँव के अधिकाँश लोगों ने मुझसे प्रधान बनकर गाँव के सुधार के साथ-साथ गुंडागर्दी की समाप्ति का आग्रह किया. जनमत के समक्ष मुझे यह स्वीकार करना पडा किन्तु मेरी प्रथम शर्त यह है कि मैं किसी भी व्यक्ति को उसका मत पाने के लिए शराब अथवा कोई अन्य लालच नहीं दूंगा. लोगों ने यह भी स्वीकार कर लिया और वे स्वयं ही पारस्परिक चर्चाओं के माध्यम से मेरा प्रचार करने लगे. अनुमानतः गाँव के ७० प्रतिशत मतदाता मेरे पक्ष में हैं. मेरी लोकप्रियता से गुंडों में खलबली मची हुई है और वे किसी न किसी तरह मुझे गाँव से भगाने के प्रयासों में लगे हुए हैं.
गाँव के अधिकाँश लोग विगत ४० वर्षों से बिजली की बेधड़क चोरी कर रहे थे, जिससे बिजली उपकरण जर्जर अवस्था में थे और वोल्टेज सामान्य २३० के स्थान पर ५०-१०० रहता था. मैं लगभग ५ वर्ष पूर्व गाँव में अपने कंप्यूटर के साथ आया था और उपलब्ध वोल्टेज पर कंप्यूटर चलाया नहीं जा सकता था. इसलिए मैंने विद्युत् अधिकारियों से वोल्टेज में सुधार के साथ मुझे नियमानुसार विद्युत् कनेक्शन देने का आग्रह किया. विगत ५ वर्षों के मेरे सतत संघर्ष के बाद अब गाँव विद्युत् की स्थिति ठीक कहने योग्य है. इसी संघर्ष में अनेक विद्युत् चोरियां पकड़ी गयीं जिनके लिए गाँव वाले मुझे दोषी मानते हैं. इस पर भी मेरे आग्रहों पर १०० परिवारों ने विद्युत् के वैध कनक्शन करा लिए हैं. गुंडों को मेरे विरुद्ध दुष्प्रचार के लिए यह एक बड़ा कारण स्वतः प्राप्त हो गया है.
गुंडों ने उक्त सुधरी विद्युत् व्यवस्था को विकृत करने का प्रयास किया जिसे मैंने कठोरता से रोक दिया. इस पर वे मुझसे और भी अधिक क्रुद्ध हो गए हैं. पिछले सप्ताह मैं गाँव में एक स्थान पर बैठ था कि शराब में धुत एक गुंडे ने आकर मुझे गालियाँ देना आरम्भ कर दिया जिसका मैंने अपनी स्वाभाविक सौम्यता से प्रतिकार किया. इस पर उसने मुझे पीट-पीट कर गाँव से भगा देने की धमकी भी दी. मेरे कुछ समर्थकों के अतिरिक्त शेष गाँव चुप है, किसी का साहस नहीं है जो मेरे साथ आकर खडा हो जाए. कोई भी व्यक्ति गुंडों द्वारा अपमानित नहीं होना चाहता.
यह समूह गाँव में की गयी अनेक हत्याओं में भी लिप्त रहा है और नित्यप्रति अवैध गतिविधियाँ करता रहता है. स्वयं के बचाव के लिए यह समूह स्थानीय पुलिस से घनिष्ठ सम्बन्ध बनाए रखता है जबकि जनसामान्य पुलिस से दूरी बनाये रखता है. पुलिस कर्मी बहुधा इस समूह के साथ शराब आदि की दावतों में सम्मिलित होते रहते हैं. यही समूह गाँव के लोगों को झूठे आरोपों में फंसाकर पुलिस को आय भी कराता रहता है. इस कारण से पुलिस इस समूह के विरुद्ध किसी शिकायत पर ध्यान नहीं देती.
गाँव में फ़ैली गुंडागर्दी और मेरे विरुद्ध किये गए उक्त दुर्व्यवहार की शिकायत मैंने नर्सेना पुलिस थाने में १२ जून को की थी, साथ ही गाँव के ७ भद्र लोगों का प्रतिनिधि भी पुलिस थाने के प्रभारी से मिला था. किन्तु आज तक पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी है. ज्ञात हुआ है कि एक विधायक ने पुलिस को कार्यवाही न करने का निर्देश दिया है जिसका संरक्षण गुंडों को प्राप्त है. मेरे पारिवारिक इतिहास के कारण अनेक राजनेताओं से मेरे भी सम्बन्ध हैं किन्तु मैं उनका उपयोग अपने निजी स्वार्थों में नहीं करना चाहता.
क्या कोई पाठक मुझे सुझायेंगे कि मैं अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करते हुए गाँव की सेवा कैसे करूं. मैं किसी भी मूल्य पर गाँव छोड़ने को तैयार नहीं हूँ. मुझे कोई भय भी नहीं है किन्तु मैं क़ानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहता किन्तु गुंडागर्दी की समाप्ति के लिए कृतसंकल्प हूँ.