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सोमवार, 10 मई 2010

महाभारत युद्ध

वस्तुतः महाभारत युद्ध विश्व का प्रथम विश्व-युद्ध था किन्तु भारतीय इतिहासकारों द्वारा इसे सही रूप में प्रस्तुत न किये जाने के कारण विश्व इतिहास इसे विश्व यूद्ध की मान्यता प्रदान नहीं करता है. महाभारत ग्रन्थ के अनुवादों में हुई त्रुटियों के कारण इस युद्ध के स्थान और समय में गंभीर भ्रांतियां उत्पन्न हुई हैं जिसके कारण विश्व इतिहास में इस युद्ध का कोई विवरण नहीं दिया जाता है. इसके पात्रों, काल और स्थल के बारे में मैंने जो शोध किये हैं, उनके परिणाम निम्नांकित हैं -

महाभारत के प्रमुख पात्र 
महाभारत ग्रन्थ के वास्तविक नायक राम हैं जिन्हें ब्रह्मा भी कहा जाता था. किन्तु ग्रन्थ के मूल पथ में जहां-जहां राम शब्द आया है, हिंदी अनुवाद में उसे बलराम, परशुराम आदि कर दिया गया है जिससे राम को ग्रन्थ से पूरी तरह अनुपस्थित किया गया है.  किन्तु राम की हत्या महाभारत युद्ध के पूर्व ही कर दी गयी थी.

ग्रन्थ में कृष्ण खलनायक की भूमिका में है किन्तु उसकी भूमिका व्यापक सिद्ध करने के लिए अनेक शब्दों, जैसे श्याम, गोपाल, वासुदेव, माधव, हृषिकेश, जनार्दन, देवकीनंदन, आदि, को कृष्ण के अन्य नाम कह दिया गया है, जब कि इनमें से अनेक के तात्पर्य अन्य हैं.  राम और कृष्ण की समकालीनता एक अन्य प्रमाण मैं पहले ही दे चुका हूँ.

महाभारत युद्ध में सिकंदर ने भाग लिया था जिसे महाभारत ग्रन्थ में शिखंडी कहा गया है. इस के अतिरिक्त महाभारत ग्रन्थ में सेल्युकस का नाम हेल्युकस लिखा गया है जैसे कि सिन्धु को इंडस अथवा हिन्दू कहा जाता है.  कृष्ण के आमंत्रण पर सिकंदर  द्वारा भारत पर आक्रमण और पराजय के बाद सिकंदर ने समझौता कर लिया था, किन्तु कृष्ण ने उसे और उसकी सेना को दक्षिण भारत में बसा दिया गया था जिससे कि वे आगामी युद्ध की तैयारी कर सकें. १५ माह की तैयारी के पश्चात महाभारत युद्ध हुआ. इसीलिये विश्व इतिहास में सिकंदर का भारत में ठहराव १८ माह कहा गया है. 

युद्ध से पूर्व कृष्ण द्वारा देव योद्धाओं जैसे जरासंध, कंस, कीचक, आदि की हत्या छल-कपट से करा दी थी इसलिए वे स्वयं युद्ध करने में असमर्थ थे. इसलिए देव प्रमुख विष्णु ने भारत की यवनों से रक्षा के लिए सिकंदर द्वारा पराजित आर्यणाम के सम्राट डरायस-2 (दुर्योदन) आमंत्रित किया और शकुनि के छद्मरूप में उसक नीतिकार बने रहे. यही भारत में आर्यों का आगमन था.

काल निर्णय
यदि विश्व इतिहास में माना गया सिकंदर के भारत पर आक्रमण का काल सही माना जाये तो महाभारत युद्ध ३२२ ईसापूर्व में हुआ. मुझे अभी इसकी पुष्टि हेतु कोई सूत्र प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए मैं अभी इस बारे में अपनी ओर से कुछ नहीं कह सकता.

युद्ध स्थल
प्रचारित मान्यता के अनुसार महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ जो मुझे सही प्रतीत नहीं हुआ. इस बारे में मैंने कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय के इतिहास और इंडोलोजी विभाग के विद्वानों के मत जानने चाहे जिनके अनुसार कुरुक्षेत्र में की गयी अनेक खुदाइयों पर भी उस क्षेत्र में युद्ध के कोई प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं. मेरे द्वारा सरस्वती नदी के मार्ग और अवशेषों के अन्वेषण हेतु  की गयी  पदयात्राओं  के दौरान मुझे अजमेर रेलवे स्टेशन के लगभग २ किलोमीटर उत्तर में उपस्थित जलधारा के दूसरे किनारे पर एक विशाल मैदान दिखाई दिया. वस्तुतः यह जलधारा ही सरस्वती नदी का एक अवशेष है. इस मैदान में महाबारत युद्ध क्षेत्र के अनेक लक्षण उपलब्ध हैं, विशेषकर युद्ध का अवलोकन करने का स्थान जो एक समीपस्थ पर्वत शिखर पर बना है. इस बारे में अभी अनुसंधान चल रहा है, विशेषकर महाभारत ग्रन्थ में इस स्थान के सन्दर्भ के बारे में.     

महाभारत युद्ध

वस्तुतः महाभारत युद्ध विश्व का प्रथम विश्व-युद्ध था किन्तु भारतीय इतिहासकारों द्वारा इसे सही रूप में प्रस्तुत न किये जाने के कारण विश्व इतिहास इसे विश्व यूद्ध की मान्यता प्रदान नहीं करता है. महाभारत ग्रन्थ के अनुवादों में हुई त्रुटियों के कारण इस युद्ध के स्थान और समय में गंभीर भ्रांतियां उत्पन्न हुई हैं जिसके कारण विश्व इतिहास में इस युद्ध का कोई विवरण नहीं दिया जाता है. इसके पात्रों, काल और स्थल के बारे में मैंने जो शोध किये हैं, उनके परिणाम निम्नांकित हैं -

महाभारत के प्रमुख पात्र 
महाभारत ग्रन्थ के वास्तविक नायक राम हैं जिन्हें ब्रह्मा भी कहा जाता था. किन्तु ग्रन्थ के मूल पथ में जहां-जहां राम शब्द आया है, हिंदी अनुवाद में उसे बलराम, परशुराम आदि कर दिया गया है जिससे राम को ग्रन्थ से पूरी तरह अनुपस्थित किया गया है.  किन्तु राम की हत्या महाभारत युद्ध के पूर्व ही कर दी गयी थी.

ग्रन्थ में कृष्ण खलनायक की भूमिका में है किन्तु उसकी भूमिका व्यापक सिद्ध करने के लिए अनेक शब्दों, जैसे श्याम, गोपाल, वासुदेव, माधव, हृषिकेश, जनार्दन, देवकीनंदन, आदि, को कृष्ण के अन्य नाम कह दिया गया है, जब कि इनमें से अनेक के तात्पर्य अन्य हैं.  राम और कृष्ण की समकालीनता एक अन्य प्रमाण मैं पहले ही दे चुका हूँ.

महाभारत युद्ध में सिकंदर ने भाग लिया था जिसे महाभारत ग्रन्थ में शिखंडी कहा गया है. इस के अतिरिक्त महाभारत ग्रन्थ में सेल्युकस का नाम हेल्युकस लिखा गया है जैसे कि सिन्धु को इंडस अथवा हिन्दू कहा जाता है.  कृष्ण के आमंत्रण पर सिकंदर  द्वारा भारत पर आक्रमण और पराजय के बाद सिकंदर ने समझौता कर लिया था, किन्तु कृष्ण ने उसे और उसकी सेना को दक्षिण भारत में बसा दिया गया था जिससे कि वे आगामी युद्ध की तैयारी कर सकें. १५ माह की तैयारी के पश्चात महाभारत युद्ध हुआ. इसीलिये विश्व इतिहास में सिकंदर का भारत में ठहराव १८ माह कहा गया है. 

युद्ध से पूर्व कृष्ण द्वारा देव योद्धाओं जैसे जरासंध, कंस, कीचक, आदि की हत्या छल-कपट से करा दी थी इसलिए वे स्वयं युद्ध करने में असमर्थ थे. इसलिए देव प्रमुख विष्णु ने भारत की यवनों से रक्षा के लिए सिकंदर द्वारा पराजित आर्यणाम के सम्राट डरायस-2 (दुर्योदन) आमंत्रित किया और शकुनि के छद्मरूप में उसक नीतिकार बने रहे. यही भारत में आर्यों का आगमन था.

काल निर्णय
यदि विश्व इतिहास में माना गया सिकंदर के भारत पर आक्रमण का काल सही माना जाये तो महाभारत युद्ध ३२२ ईसापूर्व में हुआ. मुझे अभी इसकी पुष्टि हेतु कोई सूत्र प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए मैं अभी इस बारे में अपनी ओर से कुछ नहीं कह सकता.

युद्ध स्थल
प्रचारित मान्यता के अनुसार महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ जो मुझे सही प्रतीत नहीं हुआ. इस बारे में मैंने कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय के इतिहास और इंडोलोजी विभाग के विद्वानों के मत जानने चाहे जिनके अनुसार कुरुक्षेत्र में की गयी अनेक खुदाइयों पर भी उस क्षेत्र में युद्ध के कोई प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं. मेरे द्वारा सरस्वती नदी के मार्ग और अवशेषों के अन्वेषण हेतु  की गयी  पदयात्राओं  के दौरान मुझे अजमेर रेलवे स्टेशन के लगभग २ किलोमीटर उत्तर में उपस्थित जलधारा के दूसरे किनारे पर एक विशाल मैदान दिखाई दिया. वस्तुतः यह जलधारा ही सरस्वती नदी का एक अवशेष है. इस मैदान में महाबारत युद्ध क्षेत्र के अनेक लक्षण उपलब्ध हैं, विशेषकर युद्ध का अवलोकन करने का स्थान जो एक समीपस्थ पर्वत शिखर पर बना है. इस बारे में अभी अनुसंधान चल रहा है, विशेषकर महाभारत ग्रन्थ में इस स्थान के सन्दर्भ के बारे में.