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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

यत्र, यात्री, व्यय, व्यत, व्यतीत

यत्र, यात्री 
भारतीय शास्त्रों में शब्द यत्र एवं यात्री ग्रीक भाषा के शब्दों iatros  तथा iatrikos से उद्भूत हैं जिनके अर्थ क्रमशः 'चिकित्सक' एवं 'स्वस्थ' हैं. इनका सम्बन्ध स्थान अथवा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से नहीं है, जो इनके तात्पर्य आधुनिक संस्कृत में लिए गए हैं.


व्यय, व्यत, व्यतीत 
शास्त्रों में ये शब्द लैटिन भाषा के शब्दों via तथा viaticus से बनाये गए हैं जिनके अर्थ क्रमशः 'मार्ग' एवं 'यात्रा संबंधी' हैं. तदनुसार शास्त्रीय शब्द 'व्यय' का अर्थ 'मार्ग', 'व्यत' का अर्थ 'यात्री', तथा 'व्यतीत' का अर्थ 'यात्रा' हैं. 

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

यत्र, यात्र, यात्री

शास्त्रों में पाए गए शब्द यत्र, यात्र, यात्री, आदि ग्रीक भाषा के क्रमशः iatros एवं iatrikos से उद्भूत हैं जिनके अर्थ क्रमशः 'चिकित्सक' तथा 'स्वस्थ' हैं. तदनुसार 'यत्र' का अर्थ स्वास्थ, 'यात्र' का अर्थ 'चिकित्सक' एवं 'यात्री' का अर्थ 'स्वस्थ' होता हैं. आधुनिक संस्कृत में इनके अर्थ क्रमशः 'यहाँ', 'एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना', तथा 'एक स्थान से दूसरे स्थान परे जाने वाला' हैं जिनका उपयोग शास्त्रों के अनुवाद में किया जाना भ्रमात्मक सिद्ध होता है जैसा कि इनके प्रचलित अनुवादों से स्पष्ट है.