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सोमवार, 22 फ़रवरी 2010
यत्र, यात्र, यात्री
शास्त्रों में पाए गए शब्द यत्र, यात्र, यात्री, आदि ग्रीक भाषा के क्रमशः iatros एवं iatrikos से उद्भूत हैं जिनके अर्थ क्रमशः 'चिकित्सक' तथा 'स्वस्थ' हैं. तदनुसार 'यत्र' का अर्थ स्वास्थ, 'यात्र' का अर्थ 'चिकित्सक' एवं 'यात्री' का अर्थ 'स्वस्थ' होता हैं. आधुनिक संस्कृत में इनके अर्थ क्रमशः 'यहाँ', 'एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना', तथा 'एक स्थान से दूसरे स्थान परे जाने वाला' हैं जिनका उपयोग शास्त्रों के अनुवाद में किया जाना भ्रमात्मक सिद्ध होता है जैसा कि इनके प्रचलित अनुवादों से स्पष्ट है.
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