देश की उस पीढी के बाद नहरू ने अपने परिवार के हितों की रक्षा करते हुए देश में कुशल नेतृत्व का विकास अवरुद्ध कर दिया और नेहरु, इंदिरा आदि के षड्यंत्रों से देश की बागडोर स्वार्थी तत्वों के हाथ में चली गयी, जिसके कारण भारतीयता का अर्थ स्वार्थपरता माना जाने लगा है जिससे आज का भारत पीड़ित है.
गाँव देश की मौलिक इकाई होता है, अतः जो देश में होता है, कुछ वैसा ही गाँव-गाँव में भी होता रहता है. जैसे देश के नेता धनबल के माध्यम से सत्ता हथियाते रहे हैं, कुछ वैसा ही गाँवों में भी होता रहा है. यहाँ स्पष्ट कर दूं कि आदर्श स्थिति में देश का नेतृत्व गाँव-गाँव के नेतृत्व से प्रभावित होना चाहिए, किन्तु भृष्ट राजनीति में गाँव-गाँव का नेतृत्व देश के नेतृत्व से प्रभावित होता है. इसका मूल कारण है कि सदाचार सदैव लघुतम स्तर से विशालता के ओर अग्रसर होता है जबकि भृष्टाचार सदैव उच्चतम स्तर से निम्न स्तर की ओर बढ़ता है. भारत को भृष्टाचार पूरी तरह निगल चुका है.और इसका आरम्भसत्ता के उच्चतम स्तर से आरम्भ हुआ था.
१९४० से लेकर १९८० तक पिताजी श्री करन लाल गाँव तथा क्षेत्र के निर्विवादित नेता थे. उस समय तक लोगों में स्वार्थ भावना जागृत नहीं हुई थी और वे सुयोग्यता और कर्मठता पर सहज विश्वास करते थे. इसलिए गाँव के सभी प्रमुख कार्य पिताजी पर छोड़ दिए जाते थे और वे गाँव के विकास के लिए यथासंभव प्रयास करते रहते थे. सन १९५२ में उन्होंने गाँव के जूनियर हाई स्कूल की नींव डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के हाटों से रखवाई. सन १९५६ में जब गाँव के जमींदारों ने प्राथमिक विद्यालय को उजाड़ दिया था, उस समय गाँव में प्राथमिक विद्यालय के लिए नया भवन बनवाया.
१९६२ में मेरे एक ताउजी श्री नंदराम गुप्त गाँव आये जो उससे पूर्व प्रतापगढ़ जनपद की कुंडा तहसील से समाजवादी विधायक रह चुके थे. पिताजी के बाहर के कामों में व्यस्त रहने के कारण गाँव वालों ने प्रधान पद पर उन्हें विराजित कर दिया. १९६४ में उन्होंने गाँव का विद्युतीकरण करा दिया जब आसपास के किसी गाँव में विद्युतीकरण नहीं हुआ था. उसी काल में उन्होंने गाँव में एक कन्या पाठशाला की स्थापना की. जमींदारों द्वारा उजड़े गए जूनियर हाई स्कूल को पुनः आरम्भ कराया.
सन २००० से मैंने गाँव से कुछ सम्बन्ध स्थापित किया है, और २००५ से यहीं स्थाई रूप से रह रहा हूँ. इस अवधि में एक बलात्कार के अपराध में गाँव के सबल लोगों को दंड दिलाया है, प्राथमिक विद्यालय को बचाया है, और गाँव की विद्युत् स्थिति में गुणात्मक सुधार कराये हैं, साथ ही लोगों को विद्युत् चोरी न करने के लिए समझाया है. इस सबसे लोग पुनः जाग्रति की ओर बढ़ रहे हैं और वे दुराचारियों का मुकाबला करने के लिए तैयार हो रहे हैं.