महाभारत ग्रन्थ का आरम्भ निम्नांकित श्लोक से होता है -
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जिसका अर्थ है &
लेखकगण सर्वजन का एवं भद्रजनों & देवियों] सरस्वतियों एवं व्यासों का अभिनन्दन करते हैं जिन्होंने इस कार्य हेतु मूल सामग्री ऐसे प्रदान की जैसे एक गाय अपने बछड़े को दूध पिलाती है।
इसके बाद उन पांच प्रकार के कार्यों की सूची प्रदान करते हैं जिनका अध्ययन इस ग्रन्थ में विशेष रूप से किया गया है &
- खाद्य सामग्री उगाना] बनाना तथा प्रस्तुत करना]
- वनस्पति रेशों से वस्त्र बनाना]
- मिट्टी के बर्तन एवं भवन बनाना]
- लेखन] विवादों में मध्यस्तता एवं न्याय करना]
- किण्वन प्रक्रिया से रोगों की चिकित्सा हेतु औषधियां बनाना।