भारतीय शास्त्रों में 'श्री' शब्द लैटिन के शब्द 'scriptum' से उद्भूत हुआ है जिसका अर्थ 'लेखन प्रतीक' है. आधुनिक संस्कृत के इसके
अर्थ 'ऐश्वर्य' से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है. शास्त्रीय काल में भाषा तथा लिपि के लिए प्रथक शब्द नहीं थे अतः दोनों के लिए 'श्री' शब्द का ही उपयोग किया जाता था.