वेदों और शास्त्रों में पाए गए वर्य तथा वरीय शब्द लैटिन भाषा के शब्द variorum से उद्भूत हैं जिसका अर्थ 'भिन्न' है न कि 'इच्छित अथवा वांछित' जैसा कि आधुनिक संस्कृत में माना गया है. अतः आधुनिक संस्कृत के आधार पर किये गए उक्त ग्रंथों के अनुवाद भ्रामक हैं.