योग शब्द का विश्व भर में बहुत अधिक दुरूपयोग किया जा रहा है तथा इसे शरीर के व्यायाम से लेकर 'आत्मा परमात्मा के मिलन' तक के भावों में लिया जा रहा है. इसका वास्तविक अर्थ द्रव्यों को मिलाकर कोई उपयोगी औषधि अथवा पोषण द्रव्य बनाना मात्र है. संज्ञा के रूप में यह मिलाकर बनाई गयी उपयोगी वस्तु के लिए उपयोग किया जाता है.
दुरूपयोग के सन्दर्भ में योग का परिभाषा सूत्र 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः' अर्थात योग 'चित्त की वृत्तियों को संयमित करना है' माना जाता है, जो सर्वथा भ्रमात्मक है, क्योंकि यह सूत्र का पूरा स्वरुप ही न होकर पतंजलि योगसूत्र के प्रथम सूत्र का आधा भाग है.. यह पूरा सूत्र और इसकी व्याख्या मेरे दूसरे संलेख पर दी गयी है.