महेश्वर को जब उसके जन्म की कथा बताई गयी तो वे बहुत क्रोधित हुए. भरत एक शक्तिशाली योद्धा होने के साथ-साथ रूप परिवर्तन की कला में भी निपुण थे. उन्होंने अपने जीवन काल में विशेष प्रयोजनों के लिए अलग अलग समयों पर नौ प्रकार के रूप धारण किये थे. उनका सर्वाधिक भयानक रूप परशुराम का था जो उन्होंने अपने जन्म की कथा जानने के बाद धारण किया.इस कथा के कारण सबसे पहले उन्हें अपनी माता के चरित्र पर संदेह हुआ.
परशुराम के रूप में सबसे पहले भरत अपनी माताश्री के पास गए और उनसे उनके चरित्र संबंधी अपने संदेह व्यक्त किये और उन्हें भला-बुरा कहा. माता द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने पर उन्होंने अपनी माता के साथ किये गए छल का बदला लेने की ठानी. सबसे पहले उन्होंने उन सभी कुलों को नष्ट करने का संकल्प किया जो विदेशों से आकर भारत के पश्चिमी क्षेत्र में अपने राज्य स्थापित कर लोगों का शोषण कर रहे थे. इस अभियान में उन्होंने २१ कुलों को नष्ट किया.
इसके बाद महेश्वर ने उस कुल की कन्या की खोज की जिसके सदस्य ने उनकी माताश्री के साथ विवाहपूर्व छल किया था और उन्हें मिली पृथा नामक एक कन्या. महेश्वर ने तब सूर्यावतार का वेश धारण किया और पृथा को उसी प्रकार छला जिस प्रकार दुष्यंत ने उनकी माता को छला था. परिणामस्वरूप पृथा गर्भवती हो गयी और महेश्वर का आक्रोश शांत हुआ.
पृथा बाल्यकाल के इस यौनाभिचार से अत्यधिक प्रभावित हुई और वह सदैव यौनाभिचार की कामना करने लगी. स्त्री योनि के लिए एक शब्द कुंत है, सदैव अपनी कुंत के बारे में चिंतन करते रहने के कारण पृथा का गुणवाचक नाम कुंती हो गया. कुंती ने अविवाहित अवस्था में ही एक पुत्र को जन्म दिया जिसका उसने लोकलाज के कारण परित्याग कर गंगा नदी में बहा दिया. कुंती का यही पुत्र महाभारत का सुप्रसिद्ध योद्धा और दानवीर कर्ण नाम से विख्यात हुआ.
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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
महेश्वर का आक्रोश
महेश्वर को जब उसके जन्म की कथा बताई गयी तो वे बहुत क्रोधित हुए. भरत एक शक्तिशाली योद्धा होने के साथ-साथ रूप परिवर्तन की कला में भी निपुण थे. उन्होंने अपने जीवन काल में विशेष प्रयोजनों के लिए अलग अलग समयों पर नौ प्रकार के रूप धारण किये थे. उनका सर्वाधिक भयानक रूप परशुराम का था जो उन्होंने अपने जन्म की कथा जानने के बाद धारण किया.इस कथा के कारण सबसे पहले उन्हें अपनी माता के चरित्र पर संदेह हुआ.
परशुराम के रूप में सबसे पहले भरत अपनी माताश्री के पास गए और उनसे उनके चरित्र संबंधी अपने संदेह व्यक्त किये और उन्हें भला-बुरा कहा. माता द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने पर उन्होंने अपनी माता के साथ किये गए छल का बदला लेने की ठानी. सबसे पहले उन्होंने उन सभी कुलों को नष्ट करने का संकल्प किया जो विदेशों से आकर भारत के पश्चिमी क्षेत्र में अपने राज्य स्थापित कर लोगों का शोषण कर रहे थे. इस अभियान में उन्होंने २१ कुलों को नष्ट किया.
इसके बाद महेश्वर ने उस कुल की कन्या की खोज की जिसके सदस्य ने उनकी माताश्री के साथ विवाहपूर्व छल किया था और उन्हें मिली पृथा नामक एक कन्या. महेश्वर ने तब सूर्यावतार का वेश धारण किया और पृथा को उसी प्रकार छला जिस प्रकार दुष्यंत ने उनकी माता को छला था. परिणामस्वरूप पृथा गर्भवती हो गयी और महेश्वर का आक्रोश शांत हुआ.
पृथा बाल्यकाल के इस यौनाभिचार से अत्यधिक प्रभावित हुई और वह सदैव यौनाभिचार की कामना करने लगी. स्त्री योनि के लिए एक शब्द कुंत है, सदैव अपनी कुंत के बारे में चिंतन करते रहने के कारण पृथा का गुणवाचक नाम कुंती हो गया. कुंती ने अविवाहित अवस्था में ही एक पुत्र को जन्म दिया जिसका उसने लोकलाज के कारण परित्याग कर गंगा नदी में बहा दिया. कुंती का यही पुत्र महाभारत का सुप्रसिद्ध योद्धा और दानवीर कर्ण नाम से विख्यात हुआ.
परशुराम के रूप में सबसे पहले भरत अपनी माताश्री के पास गए और उनसे उनके चरित्र संबंधी अपने संदेह व्यक्त किये और उन्हें भला-बुरा कहा. माता द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने पर उन्होंने अपनी माता के साथ किये गए छल का बदला लेने की ठानी. सबसे पहले उन्होंने उन सभी कुलों को नष्ट करने का संकल्प किया जो विदेशों से आकर भारत के पश्चिमी क्षेत्र में अपने राज्य स्थापित कर लोगों का शोषण कर रहे थे. इस अभियान में उन्होंने २१ कुलों को नष्ट किया.
इसके बाद महेश्वर ने उस कुल की कन्या की खोज की जिसके सदस्य ने उनकी माताश्री के साथ विवाहपूर्व छल किया था और उन्हें मिली पृथा नामक एक कन्या. महेश्वर ने तब सूर्यावतार का वेश धारण किया और पृथा को उसी प्रकार छला जिस प्रकार दुष्यंत ने उनकी माता को छला था. परिणामस्वरूप पृथा गर्भवती हो गयी और महेश्वर का आक्रोश शांत हुआ.
पृथा बाल्यकाल के इस यौनाभिचार से अत्यधिक प्रभावित हुई और वह सदैव यौनाभिचार की कामना करने लगी. स्त्री योनि के लिए एक शब्द कुंत है, सदैव अपनी कुंत के बारे में चिंतन करते रहने के कारण पृथा का गुणवाचक नाम कुंती हो गया. कुंती ने अविवाहित अवस्था में ही एक पुत्र को जन्म दिया जिसका उसने लोकलाज के कारण परित्याग कर गंगा नदी में बहा दिया. कुंती का यही पुत्र महाभारत का सुप्रसिद्ध योद्धा और दानवीर कर्ण नाम से विख्यात हुआ.
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