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रविवार, 7 नवंबर 2010

उत्कृष्टता कैसे प्राप्त करें

आज फिर हिंदी की अपूर्णता का आभास हो रहा है और अंग्रेज़ी के 'परफेक्ट' शब्द के समतुल्य कोई शब्द नहीं मिल पा रहा है, जो 'उत्कृष्ट' 'आदर्श' और 'पूर्ण' शब्दों के मध्य कहीं होना चाहिए था किन्तु इसका भाव न तो ''उत्कृष्ट' और आदर्श' व्यक्त करते  है और न ही 'पूर्ण' शब्द. इसलिए अभी 'उत्कृष्ट  शब्द से काम चलाया जा रहा है.

सर्व प्रथम यहाँ यह चेतावनी देना प्रासंगिक है कि उत्कृष्टता कभी उपलब्ध न होने वाली स्थिति होती है, तथापि इसके लिए सतत प्रयास करते रहना वांछित है. इन प्रयासों से ही हम एक उत्कृष्ट व्यक्ति और कर्मी बन सकते हैं. अतः प्रयास करते रहने पर भी उत्कृष्टता प्राप्त न होने पर भी निराश नहीं होना चाहिए, अपितु और अधिक प्रयास किये जाने चाहिए.

जीवन शैली और कर्मों में उत्कृष्टता प्राप्त करना साधारणता की तुलना में सरल और सुविधाजनक तो नहीं होता अपितु असीम संतुष्टि प्रदायक होता है. इसके लिए अपने आराम और सुविधाजनक स्थिति को त्यागते हुए और असफलता की चिंता न करते हुए सतत प्रयास करने होते हैं. जितना कष्टकर और महत्वपूर्ण उत्कृष्टता प्राप्त करना होता है, उससे अधिक कष्टकर और महत्वपूर्ण इसे बनाये रखना होता है. इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण सूत्र निम्नांकित हैं -
  • अपनी पसंद का कार्य करें : उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है कि करता की उस कर्म में पूर्ण रूचि हो और यह तभी संभव होता है जब कार्य कर्ता की पसंद का हो. अतः उत्कृष्टता के लिए वही करें जो आपको सर्वाधिक पसंद हो. 
  • क्लिष्टतम को सर्वप्रथम करें : प्रत्येक कार्य में अनेक चरण अथवा अंग होते हैं. सुविध्वादी लोग प्रायः कार्य के उस भाग को पहले करते हैं जो सरलतम होता है. इसके बाद जब वे क्लिष्ट भागों की ओर बढ़ते हैं तो क्लिष्टता उन्हें पसंद नहीं आती और वे अनेक कार्यों को मध्य में ही छोड़ देते हैं अथवा उन्हें शीघ्रता से घटिया रूप में संपन्न करते हैं. उत्कृष्टता के सर्वप्रथम तो यह आवश्यक होता है कि व्यक्ति उसे पूर्ण और उत्कृष्ट रूप में करने के लिए संकल्पशील हो. कार्य को आरम्भ करते समय व्यक्ति स्वाभाविक रूप में अधिक ऊर्जावान होता है जिसके कारण उसे क्लिष्ट कार्य में कठिनाई नहीं होती. इसलिए कार्य को करते हुए अधिकाधिक आनंद प्राप्त करते रहने के लिए उसके क्लिष्टतम भाग को सर्वप्रथम करना चाहिए ताकि आगे के सरल भाग आनंददायक सिद्ध होते चले जाएँ. इससे कार्य में उत्कृष्टता प्राप्त करना सरल होता है.  
  • गहन तल्लीन रहें : कहावतों में अभ्यास को उत्कृष्टता की जननी कहा गया है, जो अक्षरशः सत्य है. किन्तु कोई भी व्यक्ति दीर्घ अवधि तक सतत कार्य करते हुए उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकता. अध्ययनों से पाया गया है कि व्यक्ति किसी एक कार्य को अधिकतम ९० मिनट तक ही उत्कृष्टता के साथ संपन्न कर सकता है. अतः जब भी जो भी करें पूर्ण तल्लीनता से करें और जब भी कार्य की एकरसता तल्लीनता में बाधा बने, कुछ समय के लिए उस कार्य को विराम दें. इससे व्यक्ति के मस्तिष्क का दाहिना भाग पुनः ऊर्जित हो जाता है और वह व्यक्ति की रचनात्मकता को बनाये रखता है.  मनोवैज्ञानिक शोधों से यह भी पाया गया है कि व्यक्ति २४ घंटों में अधिकतम ४.५ घंटों के लिए उत्कृष्टता के साथ कार्य कर सकता है. इससे अधिक किये गए कार्यों में उत्कृष्टता होनी आशंकित होती है. इसलिए केवल शारीरिक परिश्रम की अपेक्षा कर्म में बुद्धि और मानसिकता का सहयोग लें जो सीमित समय के लिए ही उपलब्ध होता है. 
  • दूसरों के मत जानें किन्तु अंतरालों पर : अपने द्वारा किये गए कार्य से सभी को संतुष्टि होती है किन्तु मानव की सामाजिकता यह भी अपेक्षा रखती है कि दूसरे लोग भी कार्य की उत्कृष्टता से संतुष्ट हों, जिसके लिए अपने द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में समय-समय पर उस क्षेत्र के विशेषज्ञ लोगों के मत भी जानें और तदनुसार अपनी कार्य शैली में संशोधन करें. किन्तु दूसरों के आलोचनात्मक मत सतत रूप में उपलब्ध होने से व्यक्ति के मानस पर अनावश्यक भार पड़ता है जिससे उसकी रचनात्मकता दुष्प्रभावित होती है. इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान रखें कि सभी को संतुष्ट करना असंभव होता है. इसलिए सुनें अनेकों की, किन्तु करें अपने ही तदनुसार संशोधित निर्णय की. 
  • स्वयं अनुशासित रहें : संकल्पशक्ति और अनुशासन, मानवीय जीवन के दो ऐसे पहलू हैं जिनके बारे में कहा बहुत कुछ जाता है, किन्तु इन्हें जीवन में धारण करना अत्यधिक क्लिष्ट है और हम में से अधिकाँश इन से कतराते हैं. इन्हें दारण करने की कुछ व्यवहारिक कठिनाइयाँ भी हैं. इन कठिनाइयों के निवारण के लिए हम जो विशेष कार्य उत्कृष्टता के साथ करना चाहते हैं, उनके लिए विशिष्ट समय निर्धारित करें जिससे उन्हें करना हमारे स्वभाव और जीवनचर्या में सम्मिलित हो जाये. इससे हम स्वानुशासित भी सरलता से हो सकेंगे.         .
Perfection: A Memoir of Betrayal and Renewalइन मनोवैज्ञानिक तथ्यों को ध्यान में रखकर हम अपने कार्यों में अधिक उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं. तथापि हमें इसे प्राप्त करने में असफलता से निराश भी नहीं होना चाहिए और यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि हमारे प्रयासों में कहीं कोई कमी रह गयी है जिसके निराकरण के लिए भविष्य में और भी अधिक प्रयास करने चाहिए.