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मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

भारत निर्माण का आरम्भ

इस संलेख के कथानकों का काल यह मानकर निर्धारित किया गया है कि सिकंदर का भारत पर आक्रमण ३२३ ईसापूर्व में हुआ जिसे आज विश्व स्तर पर सत्य माना जाता है.

अब से लगभग २,35० वर्ष पहले आज थाईलैंड कही जाने वाली भूमि पर एक परिवार था 'पुरु' नाम का. इस परिवार के तीन पुत्रों - ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश्वर ने आज के विएतनाम से अफगानिस्तान तक कि भूमि पर एक देश के निर्माण कि ठानी जो तब छुटपुट जंगली बस्तियों के अतिरिक्त जंगलों से भरी थी. हिमालय से सागर तक बहने वाली नदियाँ क्षेत्र को हरा-भरा रखने के लिए पर्याप्त जल प्रदान कर रही थीं और मानव बस्तियों के लिए अनुकूल जलवायु एवं पर्यावरण प्रदान कर रही थीं.

पुरु परिवार शिक्षित था और अपने क्षेत्र में सभ्यता का विकास करने में लगा था. अपने अनुभवों को भावी पीढ़ियों के लिए लिखते रहना इसकी परंपरा थी. इसी आलेखन को बाद में वेदों का नाम दिया गया. भारत कि मुख्य भूमि पर आकर इस परिवार ने एक नयी भाषा का विकास आरम्भ किया जिसे 'देवनागरी' नाम दिया गया. उस समय भाषा तथा लिपि एक ही नाम से जानी जाती थीं. इसके बाद वेदों को भी इसी भाषा में लिखा गया. यहीं इस परिवार का सम्बन्ध स्थानीय व्यक्ति 'विश्वामित्र' से बना जो भ्रमणकारी थे और जनसेवा उनका व्रत था.

तीनों भाइयों में सबसे बड़े महेश्वर थे जो एक विशालकाय योद्धा थे इसलिए क्षेत्र कि रक्षा का दायित्व इन्हें सोंपा गया. ब्रह्मा सृजन कार्य करते थे और मानवोपयोगी घर, बर्तन तथा अन्य वस्तुएं बनाने में लगे रहते थे. इनका स्वभाव अत्यधिक सौम्य था तथा लोगों के दुःख दर्दों को दूर करने का प्रयास करते थे जिसके कारन सर्वाधिक लोकप्रिय थे. स्वभाव में साम्यता के कारण विश्वामित्र इनके घनिष्ठ मित्र बन गए. विष्णु बुद्धिवादी थे और परिस्थिति तथा समयानुकूल योजना बनाने में लगे रहते थे. तीनो समाज को देने में लगे रहने के कारण लोग इन्हें 'देव' कहते थे.

उधर आज इजराएल कहे जाने वाले क्षेत्र पर एक बाहरी जंगली जाति ने अपना शाषन स्थापित कर लिया था जिससे स्थानीय जनता दुखी थी जिसके आक्रोश का स्वर एक स्थानीय किशोर 'क्रिस्तोफेर' ने बुलंद करना आरम्भ किया. इस आक्रोश के दमन के लिए क्रिस्तोफेर पर अवैध संतान होने का आरोप लगाकर उसे क्रॉस पर यातना देते हुए मृत्यु दण्ड का प्रयास किया गया. हताहत किशोर के शरीर का औषधीय लेपन से गुप्त रूप में उपचार किया गया जिससे बालक कि जान बच गयी. इस किशोर की बड़ी बहिन मरियम उसे साथ लेकर गुप्त रूप से भारत आ गयी और देवों के साथ इस नव निर्माण कार्य में जुट गयी. गुप्त रहने के लिए भाई-बहिन नौका परिचालन का कार्य करते थे. क्रिस्तोफेर विष्णु के परम मित्र और सहयोगी बने.

उसी समय ग्रीस के अथेन्स नगर में एक सभ्यता का विकास किया जा रहा था जिसके अंतर्गत नगर में विश्व की प्रथम जनतांत्रिक शाषन व्यवस्ता स्थापित की गयी. इस नगर राज्य को एक्रोपोलिस कहा जाता था जो चरों और से जंगली जातियों से घिरा था. मसदोनिया के जंगली शाषक फिलिप ने नगर राज्य पर आक्रमण किया और सभ्य नागरिकों को वहां से खदेड़ दिया. इनके शीर्ष विद्वान् सुकरात को विषपान करा मृत्युदंड दे दिया गया. नगर के लोग छिपकर भागते हुए भारत पहुंचे और देवों में मिल गए. इन्होने भारत में आगरा और आसपास के क्षेत्रों को विकसित किया. यहाँ ये लोग अक्रोपोल होने के कारण अग्रवाल कहलाये.

इस प्रकार स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक बड़ा समूह भारत निर्माण के कार्य में जुट गया. नयी-नयी बस्तियां बनाने लगीं, भोजन के उत्पादन के लिए कृषि विकसित की जाने लगी.    

भारत निर्माण का आरम्भ

इस संलेख के कथानकों का काल यह मानकर निर्धारित किया गया है कि सिकंदर का भारत पर आक्रमण ३२३ ईसापूर्व में हुआ जिसे आज विश्व स्तर पर सत्य माना जाता है.

अब से लगभग २,35० वर्ष पहले आज थाईलैंड कही जाने वाली भूमि पर एक परिवार था 'पुरु' नाम का. इस परिवार के तीन पुत्रों - ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश्वर ने आज के विएतनाम से अफगानिस्तान तक कि भूमि पर एक देश के निर्माण कि ठानी जो तब छुटपुट जंगली बस्तियों के अतिरिक्त जंगलों से भरी थी. हिमालय से सागर तक बहने वाली नदियाँ क्षेत्र को हरा-भरा रखने के लिए पर्याप्त जल प्रदान कर रही थीं और मानव बस्तियों के लिए अनुकूल जलवायु एवं पर्यावरण प्रदान कर रही थीं.

पुरु परिवार शिक्षित था और अपने क्षेत्र में सभ्यता का विकास करने में लगा था. अपने अनुभवों को भावी पीढ़ियों के लिए लिखते रहना इसकी परंपरा थी. इसी आलेखन को बाद में वेदों का नाम दिया गया. भारत कि मुख्य भूमि पर आकर इस परिवार ने एक नयी भाषा का विकास आरम्भ किया जिसे 'देवनागरी' नाम दिया गया. उस समय भाषा तथा लिपि एक ही नाम से जानी जाती थीं. इसके बाद वेदों को भी इसी भाषा में लिखा गया. यहीं इस परिवार का सम्बन्ध स्थानीय व्यक्ति 'विश्वामित्र' से बना जो भ्रमणकारी थे और जनसेवा उनका व्रत था.

तीनों भाइयों में सबसे बड़े महेश्वर थे जो एक विशालकाय योद्धा थे इसलिए क्षेत्र कि रक्षा का दायित्व इन्हें सोंपा गया. ब्रह्मा सृजन कार्य करते थे और मानवोपयोगी घर, बर्तन तथा अन्य वस्तुएं बनाने में लगे रहते थे. इनका स्वभाव अत्यधिक सौम्य था तथा लोगों के दुःख दर्दों को दूर करने का प्रयास करते थे जिसके कारन सर्वाधिक लोकप्रिय थे. स्वभाव में साम्यता के कारण विश्वामित्र इनके घनिष्ठ मित्र बन गए. विष्णु बुद्धिवादी थे और परिस्थिति तथा समयानुकूल योजना बनाने में लगे रहते थे. तीनो समाज को देने में लगे रहने के कारण लोग इन्हें 'देव' कहते थे.

उधर आज इजराएल कहे जाने वाले क्षेत्र पर एक बाहरी जंगली जाति ने अपना शाषन स्थापित कर लिया था जिससे स्थानीय जनता दुखी थी जिसके आक्रोश का स्वर एक स्थानीय किशोर 'क्रिस्तोफेर' ने बुलंद करना आरम्भ किया. इस आक्रोश के दमन के लिए क्रिस्तोफेर पर अवैध संतान होने का आरोप लगाकर उसे क्रॉस पर यातना देते हुए मृत्यु दण्ड का प्रयास किया गया. हताहत किशोर के शरीर का औषधीय लेपन से गुप्त रूप में उपचार किया गया जिससे बालक कि जान बच गयी. इस किशोर की बड़ी बहिन मरियम उसे साथ लेकर गुप्त रूप से भारत आ गयी और देवों के साथ इस नव निर्माण कार्य में जुट गयी. गुप्त रहने के लिए भाई-बहिन नौका परिचालन का कार्य करते थे. क्रिस्तोफेर विष्णु के परम मित्र और सहयोगी बने.

उसी समय ग्रीस के अथेन्स नगर में एक सभ्यता का विकास किया जा रहा था जिसके अंतर्गत नगर में विश्व की प्रथम जनतांत्रिक शाषन व्यवस्ता स्थापित की गयी. इस नगर राज्य को एक्रोपोलिस कहा जाता था जो चरों और से जंगली जातियों से घिरा था. मसदोनिया के जंगली शाषक फिलिप ने नगर राज्य पर आक्रमण किया और सभ्य नागरिकों को वहां से खदेड़ दिया. इनके शीर्ष विद्वान् सुकरात को विषपान करा मृत्युदंड दे दिया गया. नगर के लोग छिपकर भागते हुए भारत पहुंचे और देवों में मिल गए. इन्होने भारत में आगरा और आसपास के क्षेत्रों को विकसित किया. यहाँ ये लोग अक्रोपोल होने के कारण अग्रवाल कहलाये.

इस प्रकार स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक बड़ा समूह भारत निर्माण के कार्य में जुट गया. नयी-नयी बस्तियां बनाने लगीं, भोजन के उत्पादन के लिए कृषि विकसित की जाने लगी.