महाभारत २०१९-3
हिंदुत्व की दो विशेषताएं
हैं – समाज में छूताछूत और परिश्रमी उत्पादक एवं वैभवशाली अनुत्पादक वर्ग. देश को
हिन्दू राष्ट्र की घोषणा जब भी हो, मोदी सरकार द्वारा उपरोक्त दोनों व्यवस्थाएं
लागू की जा रही हैं. इस प्रथम चरण में आधुनिक हिंदुत्व को लागू किया गया है जिसके
अंतर्गत राजनेता आधुनिक ब्राह्मण हैं, एवं प्रशासक आधुनिक क्षत्रिय. ये दोनों
मिलकर देश का वैभवशाली अनुत्पादक वर्ग बनाता है. देश के व्यापारी, किसान एवं
पशुपालक आधुनिक वैश्य हैं, एवं शेष सभी अछूत शूद्र. ये दो वर्ग देश के परिश्रमी
उत्पादक वर्ग में सम्मिलित हैं.
उत्तर प्रदेश के वर्तमान
हिन्दू राजा ने प्रदेश के राजनेताओं के विरुद्ध चल रहे 20,000 आपराधिक मुकदमों को
वापिस लेने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है. यह देश के सभी राजनेताओं को संरक्षण
प्रदान करने का आरम्भ है, उनके विरुद्ध आगे कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. इसमें बस
शर्त यह होगी कि वे देश के निरंकुश शासकों के विरुद्ध कुछ नहीं बोलेंगे. मूल
हिंदुत्व के ब्राह्मणों को भी यह संरक्षण प्राप्त था.
प्रशासकों को अत्यधिक
वेतन-भत्ते एवं अनेकानेक निःशुल्क सुख-सुविधाएँ देते हुए उन्हें छूट दे दी गयी है
कि बस जीवन का आनंद लें, उन्हें कोई कार्य करने की आवश्यकता नहीं है. इसके कुछ
अनुभव मुझे हुए हैं. मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय को दो जन-शिकायतें भेजीं, जिन के
बारे में स्वचालित कंप्यूटर द्वारा मुझे सूचना दी गयी कि उनका निस्तारण कर दिया
गया है, विवरण pgportal.gov.in पर उपलब्ध हैं. मैंने वेबसाइट पर अपना पंजीकरण
कराया, फ़ोन और ईमेल वेरीफाई कराये, आदि. इसके बाद भी मुझे वहां कोई सूचना उपलब्ध
नहीं हुई. इस स्वचालित कंप्यूटर की देखरेख के लिए एक जन-शिकायत निदेशालय बनाया गया
है जिसमें दो IAS अधिकारीयों के अतिरिक्त लगभग दो दर्जन कर्मचारी हैं. मैंने
निदेशक एवं जॉइंट सेक्रेटरी को फ़ोन पर संपर्क करने के प्रयास किये किन्तु 11 बजे
तक कार्यालय में कोई फ़ोन उठाने वाला भी उपस्थित नहीं था. इस बारे में मैंने
प्रधानमंत्री को ही तीसरी शिकायत भेजी, जिसका कोई उत्तर नहीं मिला है. एक सप्ताह
व्यतीत होने पर भी कोई सूचना उपलब्ध होने पर मेरा निदेशक से फ़ोन पर संपर्क हुआ,
जिसने कहा की में सम्बंधित सेक्शन ऑफिसर से संपर्क करूँ. फिर जॉइंट सेक्रेटरी से
संपर्क हुआ तो उसने कहा कि वह बहुत व्यस्त है, इसलिए कोई बात नहीं कर सकती. लगभग
एक माह व्यतीत होने पर भी मैं अपनी शिकायतों के बारे में अँधेरे में हूँ. आखिर
आधुनिक हिन्दू क्षत्रिय हैं, उत्तर दें भी क्यों.
कोकोआ एक अत्यंत
स्वास्थवर्धक वनस्पतिक उत्पाद है, जो अभी केवल दक्षिणी भारत के चार राज्यों में
उगाया जा रहा है, और प्रचारित किया जा रहा है कि यह मूलतः अमेज़न की खाड़ी का वृक्ष
है. इसके मूल-नाम theobroma के कारण मेरी धारणा यह है कि इसे वैदिक काल में उत्तरी
भारत में उगाया जाता था, क्योंकि theobroma का अर्थ ‘theo’ जाति का भोजन है, एवं
theo उस जाति का नाम है जिसने वेदों-शास्त्रों की रचना की थी. यह जाति भारत के
पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बसी थी. वे लोग
निश्चय ही अमेज़न से अपना भोजन प्राप्त नहीं करते थे एवं उसे यहीं उगाते थे.
देश में कोकोआ के विकास के
लिए भारत सरकार का ‘काजू एवं कोकोआ विकास निदेशालय’ कार्यरत है. जिसका मुख्य
कार्यालय कोचीन में है. मैंने अपने उक्त तर्क के साथ निदेशक को पत्र लिखा और मुझे शोध
हेतु कोकोआ के कुछ पौधे प्राप्त करने के विधान की जानकारी माँगी. किन्तु मुझे १०
दिन में भी कोई उत्तर नहीं मिला है. आखिर आधुनिक हिन्दू क्षत्रिय हैं, उत्तर दें
भी क्यों.
मुझे अब तो बस इंतजार है,
हिन्दू राष्ट्र का शूद्र घोषित होने का.
असली भारत का धर्म-निरपेक्ष
मोर्चा