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रविवार, 14 मार्च 2010

अकबर के मकबरे का छल

आगरा से लगभग ८ किलीमीटर की दूरी पर एक ऐतिहासिक स्थल है 'सिकन्दरा', जहां एक विशाल प्रांगण में अति भव्य भवन स्थित है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसे अकबर के मकबरे के नाम से प्रचारित किया जाता रहा है. इस के केन्द्रीय भवन में एक कब्र बनी है जिसपर तैनात एक मुस्लिम अपनी चन्दा वसूली करता रहता है. इसी भवन के एक बरामदे में दो कब्रें और बनी हैं जिन्हें अलबर की पुत्रियों की कब्रे कहा जाता है. इसी भवन के चारों ओर भव्य बरामदे हैंजिनकी भूमि खोखली है अर्थात नीचे भी कक्ष बने हैं. यह खोखलापन पदचापों की प्रतिध्वनियों से स्पष्ट हो जाता है. 

इस प्रांगन का मुख्य द्वार स्वस्तिक चिन्हों से सुशोभित है और अनेक सह-भवनों के पत्थरों पर अनेक पशु, पक्षी, वस्तु आदि के चित्र अंकित हैं. मैं लगभग पांच वर्ष पूर्व वहाँ गया था और समस्त प्रांगण की भव्यता एवं चित्रकारी से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि इस का सम्बन्ध किसी मुस्लिम से है, विशेषकर सर्वाधिक विलासी अकबर से. मैंने इस बारे में वहा तैनात पुरातत्व अधिकारी से बातचीत की.
 
मेरा पहला प्रश्न था कि अकबर का मकबरा किसने बनवाया, उसका पुत्र तो ऐसा कार्य कर नहीं सकता क्योंकि उसने तो अकबर से विद्रोह कर सत्ता हथियाती थी. इसका उत्तर जो मुझे दिया गया वह आश्चर्य काकित करने वाला है. उत्तर था - 'अकबर ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने लिए यह मकबरा बनवाया था.

मेरा दूसरा प्रश्न था कि एक कट्टर मुस्लिम के मकबरे पर स्वस्तिक चिन्ह और जीवों के चित्रों के अंकन का क्या रहस्य है? इसका उत्तर मिला कि अकबर सभी धर्मों का सम्मान करता था. इस पर मैंने पूछा कि इस सम्पूर्ण प्रांगण में मुझे कोई मुस्लिम प्रतीक दिखाइए, और मुझे इसका लोई उत्तर नहीं दिया गया. वस्तुतः संपूर्ण प्रांगण में कोई इस्लामिक चिन्ह उपस्थित नहीं है.

मेरा तीसरा प्रश्न था कि ज्ञात इतिहास के अनुसार अकबर निःसंतान था और किसी सूफी की कृपादृष्टि से ही उसकी पत्नी के गर्भ से एक पुत्र का जन्म हुआ था. (वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऐसी कतिप का अर्थ मैथुन क्रिया ही होता है, जो अकबर के विरुद्ध विद्रोह का भी कारण हो सकता है.) अतः अकबर की कोई पुत्री थी ही नहीं पुत्रियों की कब्र कैसे बन गयीं. उपस्थित अधिकारी के पास इसका भी कोई उत्तर नहीं था.

इस सब का अर्थ यही है कि उक्त भवन अकबर का मकबरा नहीं है और न ही इसे भारत पर मुस्लिम शासन की अवधि में निर्मित किया गया. स्वस्तिक चिन्ह इसे देव जाति द्वारा निर्मित भवन सिद्ध करता है. राम की पत्नी का वास्तविक नाम 'स्वस्तिका' था  इसी आधार पर स्वस्तिक शब्द का अर्थ 'स्वास्थ' लिया जाता है क्योंकि उनके मुख लेखन स्वास्थ संबंधी है. देवों द्वारा भारत के विकास के समय लिखे गए अधिकाँश शास्त्र स्त्रियों द्वारा ही लिखे गए थे. अतः उक्त भवन राम की पत्नी स्वस्तिका का स्मारक है. इसी का एक अन्य प्रमाण इसी संलेख पर अगले आलेख में पढ़िए. .