भारत में अन्य व्यवस्थाओं की तरह ही सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लगभग ७० प्रतिशत भारतीय बसते हैं. इस कारण से अधिकाँश लोगों को व्यक्तिगत वाहन रखना आवश्यक हो गया है जिसमें व्यक्तिगत और सार्वजनिक धन का अपव्यय हो रहा है. बौद्धिक जनतंत्र सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुचारू करने की भव्य योजना रखता है ताकि लोगों को व्यक्तिगत वाहनों की न्यूनतम आवश्यकता हो.
व्यक्तिगत वाहन एक ओर सभी के लिए असंभव हैं, दूसरी ओर ये व्यक्तिगत और राष्ट्र स्तरों पर आर्थिक अपव्यय होते हैं. तीसरे इनकी अधिकता से सडकों पर भार वृद्धि होती है जिससे उनकी देख-रेख पर अधिक धन व्यय होता है. चौथे, इनकी अधिकता मार्गों पर यातायात अवरोध उत्पन्न करती है. इस सबका निदान यही है कि भारत में सार्वजनिक यात्री परिवहन व्यवस्था को सुचारू किया जाये. बौद्धिक जनतंत्र में सार्वजनिक यात्री परिवहन को सुचारू बनाने के लिए तीन मूलभूत सिद्धांत निश्चित किये हैं -
- सरकार किसी व्यावसायिक गतिविधि में लिप्त नहीं होगी,
- सरकार प्रत्येक व्यावसायिक गतिविधि को जनहित में बनाये रखने के लिए उस का नियमन करेगी.
- सुचारू बनाये रखने के नियमन में सरकार का जो व्यय होगा वह उसी व्यवसाय से वित्तपोषित किया जाएगा.
तदनुसार, यात्री परिवहन के लिए सरकार मार्गों का निर्माण स्वयं एक यात्रा प्राधिकरण के माध्यम से करायेगी, तथा उनपर वाहनों के आवागमन के समय, यात्री किराए, आदि का नियमन इस प्रकार करेगी कि प्रत्येक मार्ग पर यात्रियों को उच्च कोटि की परिवहन सेवा उपलब्ध हो. इसके लिए प्राधिकरण प्रत्येक मार्ग पर लगभग २० किलोमीटर के अंतराल से वाहन-स्थलों का निर्माण करेगा और उनसे उस मार्ग पर चलने वाले सभी सार्वजनिक यात्री वाहनों के आवागमन के समयों और यात्री किरायों का नियमन किया जाएगा. इन वाहन-स्थलों के अतिरिक्त, प्रत्येक ५ किलोमीटर के अंतराल से यात्री वाहनों के प्रार्थना पर रोके जाने की व्यवस्था होगी जहां से यात्री वाहनों पर सवार हो सकेंगे अथवा उनसे उतर सकेंगे.
सरकार अथवा प्राधिकरण अपने वाहनों का सञ्चालन नहीं करेगी किन्तु मार्गों पर चलने के लिए प्राधिकरण निजी क्षेत्र के यात्री वाहनों को अनुमति देगा और उनसे मार्ग कर वसूल करेगा जिस धन से मार्गों और वाहन-स्थलों का निर्माण, देखरेख एवं सञ्चालन होगा.
सरकार अथवा प्राधिकरण अपने वाहनों का सञ्चालन नहीं करेगी किन्तु मार्गों पर चलने के लिए प्राधिकरण निजी क्षेत्र के यात्री वाहनों को अनुमति देगा और उनसे मार्ग कर वसूल करेगा जिस धन से मार्गों और वाहन-स्थलों का निर्माण, देखरेख एवं सञ्चालन होगा.