शास्त्रों में उपस्थित शब्द 'लिपि' दो भावों में उपयोग किया गया है. एक भाव में यह शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'lipidus' से बना है जिसका अर्थ चिकनाई वाले द्रव्य जैसे वसा, तेल, घी, आदि है.
दूसरे भाव में यह शब्द लैटिन भाषा के शब्द lepis से बना है जिसका अर्थ छिलका अथवा आवरक परत है. इसी भाव में इसे वस्त्रों के लिए भी उपयोग किया गया है.
आधुनिक संस्कृत में इसका अर्थ 'लेखन प्रतीक' है जिसका शास्त्रीय शब्द से कोई सम्बन्ध नहीं है.