प्रथम वरीयता - ५ अंक
द्वितीय वरीयता - ३ अंक, तथा
तृतीय वरीयता - २ अंक.
मतदान के पश्चात् प्रत्येक प्रत्याशी के वरीयता अंको का योग प्राप्त किया जायेगा और जो प्रत्याशी कुल अंको का ५० प्रतिशत से अधिक तथा प्रत्याशियों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करेगा, वही विजयी घोषित होगा. इसके तीन लाभ अपेक्षित हैं -
- प्रत्याशियों में परस्पर सहयोग करने की भावना उभरेगी ताकि एक प्रत्याशी के प्रथम वरीयता मतदाता दूसरे प्रत्याशियों को अपनी अन्य वरीयता प्रदान कर सकें. अतः चुनावों में अंतर्कलह न्यूनतम होगी.
- प्रत्येक मतदाता को सुविधा मिलेगी कि वह तीन प्रत्याशियों का मूल्यांकन करे और किसी एक तक सीमित न रहे.
- विजित प्रत्याशी का प्रबाव क्षेत्र सीमित न रहकर विस्तृत प्राप्त होगा.
यदि चुनाव मैदान में केवल दो ही प्रत्याशी रहते हैं तो वरीयता अंक इस प्रकार दिए जाएँगे -
प्रथम वरीयता - 6 अंक, तथा
द्वितीय वरीयता - 4 अंक.
जिससे कि विजित प्रत्याशी को एक बार में ही ५० प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त हो सकें, क्योंकि इस स्थिति में पुनः मतदान करना अव्यवहारिक होगा. .