देश में महंगाई की मार के कारण जनसाधारण अस्वस्थ है,
सरकारी तंत्र को रिश्वत न देने के कारण गाँवों में बच्चों को शिक्षा देने वाले
स्कूल सरकार ने बंद करा दिए है, उच्चतर शिक्षा जनसाधारण की पहुँच के बाहर कर दी
गयी है,
एक और किसी को भी समय पर न्याय नहीं मिलता, दूसरी और सरकार २५ वर्ष पुराने
बोफोर्स मुद्दे पर लोगों को बेवक़ूफ़ बना रही है.
मोबाइल कंपनियां ग्रामीण लोगों से धन एकत्र करके भी उन्हें उचित सेवा नहीं दे
रही हैं, उनके नेटवर्क कार्यकारी नहीं हैं. इस पर भी सरकार ने मोबाइल रखना
अनिवार्य कर दिया है.
सरकार का इन वास्तविक समस्याओं पर कोई ध्यान न होकर केवल आधार के नाम पर
जनमानस को व्याकुल कर रखा है.
आधार के कारण -
किसी का राशन बंद है तो किसी का इलाज, किसी की शिक्षा बंद है तो किसी का
रोजगार, किसी की बिजली बंद है तो किसी का बैंक खाता, किसी के लिए न्याय के दरवाजे
बंद हैं तो किसी की रेल यात्रा,
देश के कंप्यूटर केन्द्रों पर आधार से आहत निर्धन लोगों की भीड़ लगी रहती है,
किन्तु गरीबों की चीख-पुकार हिन्दू शासकों को सुनाई नहीं देती.
यदि फिर एक बार हिन्दू सरकार बनी तो समझो कि देश के उत्पादक लोगों को हिन्दू
राष्ट्र के शूद्र घोषित कर दिया जायेगा, जिन्हें शिक्षा पाने का तो अधिकार ही नहीं
होगा.
असली भारत का धर्म-निरपेक्ष मोर्चा