शास्त्रों में 'वराह' शब्द अरबिक, पर्शियन, आदि भाषाओँ के शब्द 'बहर' के समानार्थक है जिसका अर्थ 'जल प्रवाह' अथवा 'जलाशय' है. इस प्रकार वराह शब्द के अर्थ 'नदी' तथा 'समुद्र' भी हैं. उत्तरी भारत में किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए उपयुक्त नाली को 'बराह' कहते हैं जो 'वराह' का ही विकृत रूप है. आधुनिक संस्कृत का शब्द 'प्रवाह' भी इसी भाव में उपयोग किया जाता है.
वराह शब्द से ही 'वराहावतार' शब्द बना है जिसका अर्थ 'समुद्र अथवा नदी को पार कर जाने वाला व्यक्ति' है क्योंक कि 'अवतार' का अर्थ 'पराजित करने वाला' व्यक्ति है.