प्रेस विज्ञप्ति
आमरण भूख हड़ताल के तीन दिन पूरे, किन्तु प्रशासन असंवेदनशील
उत्तर प्रदेश के जनपद गाज़ियाबाद के ग्राम पलवाडा की निवासी हेमलता वहां के प्राथमिक विद्यालय में नियमानुसार नियुक्त शिक्षामित्र है किन्तु विगत तीन वर्षों से वह शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराने से वंचित कर दी गयी है जिसके विरोध में उसने सम्बंधित बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी को उसने पचासों बार लिखित और मौखिक निवेदन किये हैं, किन्तु झूंठे आश्वासनों के अतिरिक्त उसे कुछ प्राप्त नहीं हुआ. हेमलता भूमिहीन. ग्रामीण निर्धन प्रजापति परिवारों की पुत्री तथा वधु है इसलिए उसकी पीड़ा की ओर अधिकारियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया.
अंततः वह अपने पति, माता, बहिन और सास के साथ २१ मार्च २०११ से जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष आमरण भूख हड़ताल पर बैठ गयी. उसके साथ उसके दो पुत्र भी हैं जिनमें से छोटा उसके दूध पर निर्भर होने के कारण भूख से बिलख रहा है. भूख हड़ताल के दूसरे दिन उसकी माता की स्थिति गंभीर हो गयी और प्रशासन द्वारा उसे कोई चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं कराई गयी. अतः अन्य समर्थकों के आग्रह पर उसे अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर वापिस अपने गाँव पलवाडा जाना पड़ा. शेष चार की भूख हड़ताल आज तीसरे दिन भी जारी रही किन्तु अभी तक भी उन्हें कोई चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई गयी है, जब की हेमलता की सास की दशा दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही है किन्तु वह अपनी हड़ताल पर अडिग है.
प्रशासन की ओर से इन्हें कारावास में डाले जाने की धमकियाँ दी गयी हैं किन्तु इनकी समस्या का कोई हल प्रदान नहीं किया जा रहा है. इनसे कहा जा रहा है इनका मामला १७ मार्च को शिक्षा विभाग के परियोजना निदेशक को भेज दिया गया है जहां से निर्देश आने पर अथवा किसी अन्य अधिकारी द्वारा जांच किये जाने पर तदनुसार एक माह के अन्दर शिकायत का निपटान कर दिया जाएगा जो हडतालियों द्वारा विश्वास योग्य नहीं माना जा रहा है जिसके कारण हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही और आगे भी चलती रहेगी. उक्त अविश्वास के लिए हडतालियों के पास पर्याप्त कारण हैं.
हेमलता को उपस्थिति दर्ज न कराने के लिए उसे कोई लिखित कारण नहीं बताया गया. उसके स्थान पर एक अन्य महिला को शिक्षामित्र नियुक्त किया गया था, जिस नियुक्ति को बाद में अनियमित पाए जाने के कारण निरस्त कर दिया गया. इन निर्णयों में कभी भी परियोजना निदेशक को सम्मिलित नहीं किया जाकर सभी निर्णय बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर पर ही लिए गए थे. इससे सिद्ध होता है कि हेमलता को उपस्थिति दिए जाने के सम्बन्ध में परियोजना निदेशक को सम्मिलित करना एक बहाना मात्र है जो उसके उत्पीडन को जारी रखने के उद्येश्य से बनाया जा रहा है.
इस प्रकरण के घटनाक्रम के बारे में हेमलता तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मध्य कोई मतभेद नहीं है, इसलिए किसी जांच की कोई आवश्यकता ही नहीं है. उपलब्ध तथ्यों के आधार पर केवल निर्णय लिया जाना है जिसके लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी पूर्णतः सक्षम हैं. तथापि मामले को बेसिक शिक्षा अधिकारी, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी की बदनीयती तथा जिलाधिकारी की लापरवाही के कारण अब भी उसी प्रकार से टलाया जा रहा है जिस प्रकार विगत तीन वर्षों से टलाया जाता रहा है.
कल आमरण भूख हड़ताल के चौथे दिन हेमलता के न्याय हेतु संघर्ष के समर्थन में मैं रूडकी विश्व विद्यालय का इंजीनियरिंग स्नातक ६२ वर्षीय राम बंसल उसी स्थल पर अपनी आमरण भूख हड़ताल आरम्भ करूंगा ताकि मैं हेमलता परिवार के साथ आत्मोसर्ग करके विश्व को बता सकूं कि तथाकथित जनतांत्रिक भारत का प्रशासन जन-साधारण के न्याय-संगत अधिकारों के प्रति कितना असंवेदनशील है.