मंगलवार, 24 जून 2014

नमो : प्रधान मंत्री पद पूर्व और पाश्च

भारत विगत 5 वर्षों में आवश्यक वस्तुओं के मूल्य, सरकारी तंत्र में भृष्टाचार और बेरोजगारी तीव्र गति से बढ़ते रहे हैं और शासक-प्रशासक जनसामान्य की विवशता पर अपने वैभवों में वृद्धि करते रहे। एक और सत्तासीन राजनेता, राज्यकर्मी और बड़े व्यवसायी घरानों और दूसरी और शेष जनसँख्या में निरंतर बढ़ती आर्थिक दूरी ने मानवीय मूल्यों में भी आमूल-चूल परिवर्तन कर दिए। जहाँ वैभवशाली वर्ग जनसामान्य की दृष्टि में राक्षसीय प्रतिमान बन गया, वहीँ दूसरी ओर वैभवशाली वर्ग की दृष्टि में निस्सहाय त्रस्त जनता अधीनस्थ पशु-मानव समुदाय मानी जाने लगी जिसका व्यापक शोषण प्रथम वर्ग के वैभवों के लिए प्रचलन बन गया। ऐसी स्थिति में जनसामान्य बौखला गया और वैभवशाली वर्ग से विद्रोह को अधीर हो गया।

शुक्रवार, 20 जून 2014

श्रीमान प्रधानमंत्री जी

आपके प्रधान मंत्री बनने को लगभग एक माह होने जा रहा है, किन्तु महंगाई, भृष्टाचार, बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर अभी तक सरकार ने अपनी इच्छाशक्ति भी नहीं दर्शाई है। सवा करोड़ भारतीयों के जीवन जीवन स्तर में सुधार तो बहुत दूर की बात है। गंगा की स्वच्छता योजना और काले धन पर जाँच दल जैसे बड़े लोगों के वैभवशाली कदम तो पूर्व की सरकारों ने भी उठाये थे जिन पर गरीब भारतीयों की गाढ़े पसीने की कमाई के हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला। अब कुछ सकारात्मक होगा इसके कोई आसार नहीं लगते।

सोमवार, 9 जून 2014

गंगा प्रदूषण और समाधान

मोदी सरकार के मंत्रियों एवं सचिवों ने गंगा शुद्धिकरण के लिए समय की उलटी गंगा बहाने की योजना बनाई है, जिसके अंतर्गत गंगा तटों पर नए नगर और और व्यावसायिक केंद्र खोले जायेंगे जैसा कि प्राचीन काल में जल की सहज उपलब्धता के लिए किया जाता था। यह योजना एक कुशल व्यवसायी मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में बनी है, जिसके अंतर्गत गंगा को व्यवसाय के साधन के रूप में परिवर्तित किया जायेगा। इसी सन्दर्भ में मैं आज जब इंटरनेट पर गंगा-स्नान के चित्र खोज रहा था तब मुझे अनेक विदेशी वेबसाइट दिखाई दीं जिनमें गंगा में स्नान करती  हुई नग्न एवं अर्धनग्न भारतीय महिलाओं के चित्र कामुक लोगों को परोसे गए हैं। भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वाली सरकार इसी कामुक व्यवसाय को गंगा तट पर पर्यटक स्थलों के निर्माण से प्रोन्नत करेगी जिसके लिए गंगा शुद्धिकरण को एक बहाने के रूप में उपयोग किया जायेगा।

शनिवार, 7 जून 2014

उत्तर प्रदेश की आवश्यकता - कुशल नेतृत्व

उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से ऐसे कुशल नेतृत्व का अभाव रहा है जो प्रदेश के लोगों के विकास की आवश्यकताओं और दिशा को समझ सके। श्री चन्द्र भान गुप्त के बाद के सभी मुख्य मंत्री वैभव भोग, स्वयं के परिवार अथवा ग्राम की प्रगति अथवा अपना समय व्यतीत करते रहने में रूचि रखते रहे हैं। इसके कारण पर्याप्त साधन संपन्न होने पर भी प्रदेश देश के पिछड़े राज्यों में गिना जाता रहा है।

बुधवार, 4 जून 2014

उत्तर प्रदेश का विद्युत संकट

विद्युत शक्ति आधुनिक मानव की जीवन-रेखा है. इसका अभाव जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है. यही उत्तर प्रदेश में होता रहा है. अतः यहां लोग भरपूर जीवन नहीं  रहे, बस अपना जीवन-काल व्यतीत कर रहे  हैं. इसमें शासन का दोष तो है ही लोग भी कम दोषी नहीं हैं. प्रदेश का विद्युत संकट यहां के लोगों के सुख एवं सम्पन्नता से ही सम्बन्ध नहीं रखता, अपितु उनकी मानसिकता एवं चरित्र  भी गहन सम्बन्ध रखता है. अतः विद्युत संकट के आर्थिक, सामाजिक  और राजनैतिक तीनों पक्ष हैं।

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

वैदिक शास्त्र भावप्रकाश में आयुर्वेद एवं इतिहास एवं भूगोल

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