रविवार, 4 अप्रैल 2010

कृति, कृतु

The 10th Kingdomशास्त्रीय शब्द कृति और कृतु ग्रीक भाषा के शब्दों krates तथा kratos के देवनागरी स्वरुप हैं जिनके अर्थ क्रमशः 'शासक' एवं 'शासित' हैं. तदनुसार इनके भाव निरंकुश तथा विनम्र भी लिए जाते हैं. आधुनिक संस्कृत में इनके अर्थ 'रचना' तथा 'रचनाकार' लिए गए हैं जिनके आधार पर शास्त्रों के अनुवाद करना त्रुटि है.  

कस्तूरी

The 2009 Import and Export Market for Ambergris, Castoreum, Civit, Musk, Cantharides, Bile, Glands, and Other Animal Products Used in the Preparation of ... Products in North America & the Caribbeanशास्त्रीय शब्द 'कस्तूरी' एक सुगन्धित द्रव्य का नाम है जो औषधियों और सुगंधियों में उपयोग किया जाता है तथा बीवर नामक चूहे जैसे एक जंतु से प्राप्त होता है. इस जंतु को ग्रीक भाषा में kastor तथा लैटिन भाषा में castor कहा जाता है. इसी जंतु को सुकोमल शालीन बालों से युक्त त्वचा के लिए भी जाना जाता है जिससे टोपी आदि बनायी जाती हैं. कस्तूरी जैसा ही सुगन्धित द्रव्य 'मूषक' एक विशेष मृग की नाभि में स्थित होता है.इस मृग के सींग नहीं होते और यह मध्य तथा पूर्वी एशिया में पाया जाता है.

शनिवार, 3 अप्रैल 2010

आख्या

Aquariusशास्त्रीय शब्द 'आख्या' लैटिन शब्द 'aqua' से उद्भूत है जिसका अर्थ 'पानी' है. आधुनिक संस्कृत में इसका अर्थ 'समीक्षा' लिया गया है जिससे इस आधार पर किये गए हिंदी अनुवाद पूर्णतः भ्रांत हैं.

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

बौद्धिक अर्थव्यवस्था

बौद्धिक जनतंत्र में अर्थव्यवस्था को विशेष स्थान दिया गया है जिसका मूल बिंदु देश का सकल घरेलु उत्पाद न होकर देश के प्रत्येक नागरिक का समग्र विकास है. सभी कुछ कहीं भी करना या सबकुछ केवल शहरों में केन्द्रित करना बौद्धिक जनतंत्र के लक्ष्य के बाहर है. अतः बौद्धिक जनतंत्र आर्थिक गतिविधियों का देश में समान रूप से वितरित करता है जिसके लिए विविध गतिविधियों को विशिष्ट स्तरों और विशिष्ट केन्द्रों से संचालित करता है.  

  1. ग्राम-स्तर : कृषि, कुटीर उद्योग,
  2. विकास खंड-स्तर : सामाजिक वानिकी, कृषि विकास,
  3. क़स्बा-स्तर : उपभोक्ता-वस्तु व्यापार, कलाएँ एवं हस्तकलाएँ, सड़क परिवहन आगार,
  4. जनपद स्तर : सार्वजनिक सम्पदा विकास एवं संरक्षण,
  5. नगर : औद्योगिक इकाइयां एवं व्यापार,
  6. प्रांत-स्तर : औद्योगिक विकास, सड़क परिवहन,
  7. महानगर-स्तर : पर्यटन, विदेश व्यापार, चलचित्र, उद्योग एवं व्यवसाय कार्यालय, वायु परिवहन आगार
  8. राष्ट्र-स्तर : सम्यक विकास, वायु परिवहन, रेल परिवहन. .

बौद्धिक जनतंत्र व्यवस्था के लिए समस्त आर्थिक गतिविधियों को पांच विशिष्ट वर्गों में रखता है -
  • कृषि एवं पशुपालन,
  • विकासीय ढांचा,
  • खनिज एवं प्रसाधन उद्योग, 
  • अन्य उद्योग,
  • कुटीर उद्योग 
 इन वर्गों के उन्नयन के लिए सामान्य निदेशक बिंदु निम्नांकित हैं -
  1. भारत का विकास स्थानीय संसाधनों एवं प्रयासों पर ही आधारित होगा. विदेशी सहयोग केवल उन क्षेत्रों में ही अनुमत होगा जिन में स्थानीय संसाधनों का अभाव है. 
  2. विदेशी उद्योगों को स्थानीय उद्योगों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं करने दी जायेगी और वे वही उत्पादन कर सकेंगे जिनका वे निर्यात कर सकें. 
  3. भारत को विदेशी उद्योगों का बाज़ार नहीं बनाने दिया जायेगा एवं अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय उत्पादन से की जायेगी. इसके लिए आयात केवल नयी प्रोद्योगिकी, उत्पादक मशीनरी तक ही सीमित किया जायेगा. 
  4. स्थानीय उत्पादन प्राथमिक रूप में स्थानीय आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए होगा. मांग तथा उत्पादन में ऐसा संतुलन रखा जायेगा किन अधिक प्रतिस्पर्द्धा हो और किसी वस्तु का अभाव. निर्यात प्राथमिकता से बाहर होगा. 
  5. औद्योगिक सिद्धांत 'जो आज उपलब्ध है उसी को पर्याप्त समझना है' होगा. कल की अभिलाषाएं औद्योगिक विकास से संतुष्ट की जायेंगी. 
  6. एक राष्ट्रीय आयोग भारत के व्यवसायियों और राज्नाताओं के विदेशी संपर्कों पर निगरानी रखेगा और इनको नियमित करेगा. 
  7. राष्ट्रीय गुणवत्ता आयोग देश के उत्पादन की गुणवत्ता निर्धारित एवं नियमित करेगा और किसी को भी घटिया उत्पादन की अनुमति नहीं होगी. 
  8. यद्यपि देश के अंतर्गत सभी व्यापार नियंत्रण और कर मुक्त होंगे किन्तु इसमें मध्यस्थों की भूमिका न्यूनतम राखी जायेगी ताकि उत्पादन लागत एवं उपभोलता मूल्यों में न्यूनतन अंतर हो. 

अपराध और चिकित्सा सेवा

मेरे गाँव की एक हरिजन कन्या का विवाह लगभग दो वर्ष पूर्व पास के ही गाँव में हुआ था. लड़का भांग आदि का नशा करता है और अनेक बार लडकी के साथ मारपीट करता रहा है. इस कारण से लडकी अधिकाँश समय गाँव में अपने माता-पिता के पास ही रही है. उसकी इच्छा नहीं कि उसे ससुराल भेजा जाए. किन्तु दोनों गावों के कुछ प्रतिष्ठित लोगों के कहने पर लडकी को ससुराल भेज दिया गया. 
MASS MURDERESS: Irma Grese listens pensively to testimony of her deeds. Woman leader of Nazi guards at Belsen camp sets record for evil. Grese was among the 44 people accused of war crimes at the Belsen Trial. She was tried over the first period of the trials (September 17 to November 17, 1945) and was represented by Major L. Cranfield. Grese and ten others (eight men and two other women; Juana Bormann and Elisabeth Volkenrath) were convicted for crimes against humanity in both Auschwitz and Belsen and then sentenced to death. As the verdicts were read, Grese was the only prisoner to remain defiant;[5] her subsequent appeal was rejected. Irma Grese is the youngest woman to die judicially under English law in the 20th century. ..... 1945 LIFE Magazine Picture, A3094ARecallThing With No Name

अभी तीन दिन पूर्व लडकी के भाई को सूचना मिली कि लडकी के साथ पुनः दुर्व्यवहार किया गया है और वह अचेत अवस्था में मरणासन्न है. भाई कुछ परिवारजनों को लेकर लडकी के पास पहुंचा और लडकी तथा उसके पति को लेकर पुलिस थाने पहुंचा और पुलिस में अपनी शिकायत की. पुलिस ने पति को हवालात में बंद कर दिया और लडकी के परिवार को लडकी की तुरंत चिकित्सा व्यवस्था का सुझाव देकर विदा कर दिया गया. 
दुखी परिवार रोगी को लेकर थाने से ६ किलोमीटर दूर स्थित ऊंचागांव राजकीय अस्पताल में पहुंचा जहाँ के चिकित्सकों ने रोगी की गंभीर अवस्था देखकर कोई प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं दी और तुरंत ३५ किलोमीटर दूर जनपद अस्पताल बुलंदशहर ले जाने का सुझाव दे दिया. बुलंदशहर महिला अस्पताल में पहुँचाने पर वहां के चिकित्सक ने यह कहकर चिकित्सा नहीं दी कि यह पुलिस का मामला है और पुलिस सूचना के बिना कोई चिकित्सा नहीं की जा सकती. रोगी को लेकर परिवार वापस गाँव आया और इस सब में पूरा दिन तथा आधी रात लग गयी. 
अगली सुबह घायल रोगी को पुनः पुलिस के पास ले जाया गया और चिकित्सकों की राय से अवगत कराया. इस पर पुलिस निरीक्षक ने बताया कि पुलिस में काल की गयी शिकायत के आधार पर कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है और पुलिस चिकित्सा में कोई सहायता नहीं कर सकती. रोगी की चिकित्सा किसी निजी अस्पताल में करा लेनी चाहिए. इस पर शिकायत को पुनः लिखा जाना आरम्भ किया गया तो पुलिस चौकन्नी हो गयी और पुरानी शिकायत पर ही कार्यवाही का आश्वासन दे जहांगीराबाद अस्पताल के नाम रोगी की चिकित्सा के लिए पुलिस की ओर से एक पत्र दे दिया गया. इसे स्पष्ट हो गया कि पुलिस अपराध को पंजीकृत नहीं करना चाहती. 
जहांगीराबाद अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि वहां कोई महिला चिकित्सक नहीं है इसलिए रोगी को कोई चिकित्सा नहीं दी जा सकती. तथापि आग्रह पर रोगी को एक इंजेक्शन लगा दिया गया और रोगी को बुलंदशहर महिला चिकित्सालय में ले जाने का सुझाव दे दिया गया. .

महिला चिकित्सालय में पहुँचने पर महिला चिकित्सक ने यह कहकर चिकित्सा और परीक्षण करने से इनकार कर दिया कि घायल के साथ कोई पुलिस कर्मी नहीं है जिसका होना परीक्षण के लिए अनिवार्य है. चिकित्सक से बुत अनुनय विनय की गयीं किन्तु वह अडिग रही. 

इस पर एक राजनेता से संपर्क किया गया जिसने स्थानीय विधायक से संपर्क किया और विधायक ने चिकित्सक को परीक्षण और चिकित्सा का निर्देश दिया. इस पर रोगी की परिक्षा की गयी किन्तु कोई चिकित्सा नहीं की गयी और उसे जनपद के पुरुष अस्पताल ले जाने का सुझाव दे दिया गया. चिकित्सक का कहना था कि महिला चिकित्सालय में महिलाओं की चिकित्सा नहीं की जाती, केवल महिला सम्बंधित रोगों की चिकित्सा की जाती है. रोगी के गुदा पर चोट की गयी है जो महिला रोग नहीं है. इसमें दूसरा दिन भी व्यतीत हो गया. अब दुखी परिवार को निजी चिकित्सा के अतिरिक्त कोई अन्य मार्गे वांछित नहीं लगा. 

बलात्कार का विरोध

सन २००८ के अंत में एक सुबह मुझे ज्ञात हुआ कि गाँव के दो या तीन युवाओं ने एक अविवाहित मुस्लिम १४ वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार किया है और अपराधियों के परिवार वाले बालिका के पिता को पुलिस में शिकायत करने से रोक रहे हैं. सभी गाँव वाले तमाशा देख रहे हैं किन्तु कोई भी दुखी मुस्लिम परिवार की सहायता के लिए आगे नहीं आया है. मेरे गाँव में रहते हुए ऐसा हो तो मुझे लगा कि मेरी उपस्थिति महत्वहीन ही नहीं धिक्कारे जाने योग्य है. 
Cognitive Processing Therapy for Rape Victims: A Treatment Manual (Interpersonal Violence: The Practice Series)DisabledExcuse me miss, I was across the room and I couldn't help but notice that you look alot like my next rape victim.

मैं दुकी परिवार के घर गया तो देखा कि वहां भीड़ जमा है और अधिकाँश व्यक्ति घटनाक्रम का बखान करते हुए आपना मनोरंजन कर रहे हैं, कुछ को परिवार से सहानुभूति है किन्तु अपराधियों के विरुद्ध पुलिस में शिकायत करने का साहस नहीं बटोर पा रहे हैं. अपराधियों में से एक युवा का बड़ा भाई अनेक हत्याएं कर चुका है, एक हत्या के लिए उसे आजीवन कारावास का दंड भी मिला है किन्तु वह दंड के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील कर जमानत पाकर गाँव में रह रहा है और अपराधों में लिप्त है. उसके विरुद्ध दंड का न्याय होने में कई दशाब्दी लगने की संभावना है, अतः वह निश्चिन्त है. उसी के बल पर छोटा भाई भी अपराधों की ओर बढ़ रहा है. गाँव वाले दोनों भाइयों से भयभीत हैं. यही भारतीय मानसिकता है. 


मैंने लडकी के पिता से आग्रह किया कि वह मेरे साथ पुलिस थाने चल कर अपनी शिकायत करे, जिसके लिए वह, उसकी पत्नी, तथा अन्य परिवारजन तैयार हो गए. पुलिस शिकायत मेरे द्वारा ही लिखी जानी थी इसलिए मैंने लडकी से सबकुछ सच-सच बताने को कहा. उसके द्वारा बताया गया घटनाक्रम इस प्रकार है.


लडकी के माता पिता एक गन्ने के खेत में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था के लिए किसान की फसल काटने में सहायता कर रहे थे. लडकी को बाद में उसी खेत पर भैंसा बुग्गी ले कर पहुंचना  था. जब यथा समय लडकी खेत पर नहीं पहुँची तो उसका भाई उसकी खोज के लिए घर गया और पाया कि घर पर न तो लडकी थी और न ही भैंसा-बुग्गी. खेत को वापिस जाते समय खोजने पर उसे भैंसा बुग्गी एक अन्य गन्ने के खेत के पास खडी मिली किन्तु लडकी वहां नहीं थी. वह भैंसा-बुग्गी लेकर माता-पिता के पास पहुंचा और इस बारे मैं उन्हें बताया. 


लडकी की माँ लडकी को खोजने चली तो दूसरे गन्ने के खेत से लडकी और दो युवाओं को निकलते देखा. लडकी रो रही थी. लड़कों में से एक भारतीय सेना में सिपाही है और दूसरा आवारा बेरोजगार. उसने माँ को बताया कि ये लड़के उसे डराकर खेत में ले गए थे और दोनों ने उसके साथ बलात्कार किया था. माँ को देखकर दोनों लड़के भाग गए. वह लडकी को लेकर घर आ गयी जहाँ धीरे-धीरे भीड़ एकत्र हो गयी. 

हम पुलिस थाने पहुंचे और अपनी ओर से घटना का विवरण दिया. थानाधिकारी ने जांच-पड़ताल कर आगे कार्यवाही और अगले दिन लडकी को चिकित्सीय परीक्षण हेतु जनपद मुख्यालय भेजने का आश्वासन दे दिया. हम सब वापिस चले आये. 

अगले दिन प्रातः ही लडकी तथा उसके माता-पिता थाने पहुंचे किन्तु पुलिस निरीक्षक उनसे बार-बार पूछताछ करता रहा किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की और न ही उनकी शिकायत पंजीकृत की. शाम को वे वापिस घर आ गए और मुझे पुलिस की लापरवाही के बारे में बताया. मैंने अगली सुबह उनके साथ जाने का आश्वासन दिया. 

रात्रि में लगभग १० बजे जब मैं सो चुका था, गाँव के एक व्यक्ति ने मुझे जगाया और बताया, "बलात्कार में शामिल एक युवा कुख्यात अपराधी का भाई है और वह आपसे बहुत नाराज है और आपके विरुद्ध कुछ भी कर सकता है. इसलिए इस बारे में शांत बैठ जाना ही आपके हित में है." यह व्यक्ति भी अपराधियों के परिवार का है और उसे अपराधियों ने ही भेजा था. 

मैंने उसे बता दिया कि मैं सुबह थाने जाऊँगा और इस अपराध को पंजीकृत करूँगा. जिस किसी जो भी करना हो वह करे, मैं मुकाबला करने के लिए तैयार हूँ. वह निराश होकर चला गया. 

अगली सुबह मैं लडकी और उसके परिवार के साथ पुलिस थाने पहुंचा. पुलिस निरीक्षक ने मुझे भी टालने का प्रयास किया  तो मैंने उसे बताया कि यदि उसने तुरंत पंजीकरण नहीं किया तो मैं लडकी और उसके परिवार सहित पुलिस अधीक्षक के पास चला जाऊंगा. इस पर वह सहम गया और उसने तुरंत केस पंजीकृत करने का आश्वासन दिया. इस पर भी वह मामले को दो घंटे तक टलाता  रहा. ज्ञात हुआ कि अपराधियों ने उससे सांठ-गाँठ कर ली थी और वे थाने पहुँचाने वाले थे. उन्ही की प्रतीक्षा के लिए वह हमें टलाता रहा. किन्तु वहां अपराधी पक्ष से कोई नहीं आया, और केस पंजीकृत हो गया और लडकी को चिकित्सीय परीक्षण हेतु भेज दिया गया. 

चिकित्सीय परीक्षण में लडकी का यौन शोषण सिद्ध हो गया. इसके बाद अपराधी पक्ष की ओर से समझौते के निवेदन आने लगे. मैं इसके लिए तैयार नहीं था किन्तु लडकी ले परिवार की निर्धनता और केस को लम्बे समय तक न लड़ पाने की स्थिति से परिचित था, इसलिए यह मामला लडकी के परिवार पर ही छोड़ दिया. सामाजिक दवाब में आकर वे समझौते के लिए तैयार हो गए और कुछ आर्थिक सहायता के बदले केस वापिस ले लिया गया. 

इस घटनाक्रम से गाँव वालों को मुझ पर विश्वास हो गया कि मैं प्रत्येल संकट में निर्भयतापूर्वक  उनकी सहायता कर पाने में सक्षम हूँ.       .