tag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post4027394702913420561..comments2024-03-21T19:48:37.600+05:30Comments on राजनैतिक भारत (Political India): दो बुद्धों की कथाRam Bansalhttp://www.blogger.com/profile/16212845270175253800noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post-61301148909077981902010-02-07T02:10:31.056+05:302010-02-07T02:10:31.056+05:30इस संलेख पर विरोधी टिप्पणी करने वाले सज्जनों से मे...इस संलेख पर विरोधी टिप्पणी करने वाले सज्जनों से मेरा निवेदन है कि वे शास्त्रों का कोई एक ऐसा अनुवाद बताएँ जिस पर वे विश्वास करते हों और वह आधुनिक संस्कृत पर आधारित ना हो. यदि आपको ग्यात ना हो तो मैं बता डून कि शस्त्रों की भाषा का आधुनिक संस्कृत से कोई वास्ता नहीं है. <br>दूसरे तर्कों और संदर्भों के उत्तर तर्कों और संदर्भों से ही दें तो आपकी बुद्धि का परिचय भी आकलन हो सकेगा. अश्लील और भद्दी टिप्पणियाँ द्योतक हैं कि आप स्वस्थ चर्चा से बचते हुए मेरे प्रयास को दबाना चाहते हैं. यह कितना शोभनीय है इस प्र विचार करें.देवसूफी राम कु० बंसलhttp://www.blogger.com/profile/10182040999161020512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post-38936643725916545152010-02-07T01:45:32.933+05:302010-02-07T01:45:32.933+05:30@समय२००० वर्षों से जो मल लोगों के दिल और दिमाग़ मे...@समय<br>२००० वर्षों से जो मल लोगों के दिल और दिमाग़ में भरा गया है, उसे निकालने में समय लगेगा. अभी आरंभ हुआ है, धैर्य रखिए अथवा निमग्न रहिए अंधकार में.देवसूफी राम कु० बंसलhttp://www.blogger.com/profile/10182040999161020512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post-84339499163496970282010-02-06T23:02:14.630+05:302010-02-06T23:02:14.630+05:30क्या आप वाकई समझते हैं कि आप यह इतिहास और मानवजाति...क्या आप वाकई समझते हैं कि आप यह इतिहास और मानवजाति की सेवा कर रहे हैं?<br><br>हमारी पौराणिक अभिकल्पनाओं मे सिर्फ़ नये रंग भर रहे हैं। एकदम ऊलजलूल और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद फ़ूहड़। पुराणकथाओं में तात्कालिक समाज और इतिहास के चिह्न खोजे जा सकते हैं, उनके हिसाब से सही इतिहास की पुनर्रचना की जा सकती है।<br><br>पर आप अजीब गाथाएं रच रहे हैं।<br><br>आपने पिछली बार कहा था, ‘भक्ति प्रदूषित भ्रमों का कोई उपचार मेरे पास नहीं है. विगत २००० वर्षों की गुलामी ने इस देश के जनमानस को इतना भ्रष्ट कर दिया है की कोई सच्ची बात सुनने का साहस ही नहीं रह गया है.’<br><br>वाकई हमारा साहस भी चुक रहा है।<br><br>शुक्रिया आपका।समयhttp://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.com