tag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post2308396836261694269..comments2024-03-21T19:48:37.600+05:30Comments on राजनैतिक भारत (Political India): धर्म और भक्ति का नशाRam Bansalhttp://www.blogger.com/profile/16212845270175253800noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post-86702323215168432562010-01-29T08:22:35.445+05:302010-01-29T08:22:35.445+05:30okokसंजय तिवारी ’संजू’http://www.blogger.com/profile/12255878761091728878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6919362518035884917.post-82121756137137333502010-01-29T08:33:42.952+05:302010-01-29T08:33:42.952+05:30में आप से असहमत हूँ क्योकि इसमें भाकिभाव का कोई दो...में आप से असहमत हूँ क्योकि इसमें भाकिभाव का कोई दोष नहीं है | इसमें दोष है राजनीतिज्ञों का और कार्यपालिका का, पहले के भारत में खटरिया समाज ने राज काज में उलझे होने के कारन<br>इन लूटेरों से हमें नहीं बचा पाए और राजनीतिज्ञों का दोष ये था की उन्होंने खटरिया समाज को ठीक से प्रेरित नहीं ज्ञान के एक avast किया या कह सकते है की जनता को को भी प्रेरित नहीं कर सके इनसे लोहा ले लेने के लिए |<br>भक्तिभाव ज्ञान की एक अवस्था है | इसको जनता की कमजोरी से न जोड़े | जनता से कभी भी ये उम्मीद नहीं की जाती की वो अपनी रख्षा कर पायेगी, इसी लिए राज्य की स्थापना और राजनीती के साथ न्याय की स्थापना की गयी | इसमें सिर्फ उन बुद्धिमान लोगो का दोष है जिनको जनता की रखा का दतित्व दिया गया और वो नहीं कर पाए |<br><br>आप को सुझाव है की आप अपना तर्क और ज्ञान का पहले समन्वय बना ले फिर किसी टोपिक पे लिखे | हलाकि की ये आपका ब्लॉग है किन्तु निष्पक्ष सोचे |flarehttp://www.blogger.com/profile/17493519360930091896noreply@blogger.com